गुरुवार, 16 मई 2019

हम धनिया सजा कर बैठे हैं ...

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सज धज कर हम आकर बैठे हैं , झगडे सगड़े भुला कर आ बैठे हैं 
तुम सत्ता विरोधी वोट करना , हम धनिया सजा कर आ बैठे हैं 
बटवारे की चिंता मत करना  , लुटेरे ठग बंधन कर आ  बैठे हैं
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अभी अच्छा तुम एक काम करो , मोदी को दिल्ली से बाहर करो 
फिर मिलावट की पूरी बनाएंगे , मिल बांट कर तब ही ना खाएंगे 
कोई जतन करो कोई यत्न करो , झूठी सच्ची कोई भी टंगड़ी करो 
चलो मंदिर मंदिर की होड़ करो , मंदबुद्धि पर मंदिर से चोट करो 
डटजाना अड़जाना तुम लड़जाना , बस पीछे ही तुम्हारे हम बैठे हैं 
तुम सत्ता विरोधी वोट करना , हम धनिया सजा कर आ बैठे हैं 
बटवारे की चिंता मत करना  , लुटेरे ठग बंधन कर आ  बैठे हैं
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बोलो तो ठर्रा छर्रा तमंचा सब , जो चाहोगे यहां मिलेगा सब  
जाती से जाती को लड़ा दोगे तो  , मज़हब और धर्म लड़ेंगें सब 
चलो उठो देश के गद्दारो तुम , इसे जंग समझकर लड़ना तुम 
आज वक़्त आख़री आन पड़ा , हारे तो सब कुछ हारोगे तुम  
धंधे नंबर दो करने वालो सुनो , सब ठीयेबंद आ करके  बैठे हैं 
तुम सत्ता विरोधी वोट करना , हम धनिया सजाकर आ बैठे हैं 
बटवारे की चिंता मत करना  , लुटेरे ठग बंधन कर आ बैठे हैं
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फिर मत कहना बतलाया नहीं , मौका था किसी ने टोका नहीं  
वो भगत सिंह की बात करेंगें , सुभाष आज़ाद को याद करेंगें 
सिरे से तुम सबको झुठलाना  , आतंकी उन सबको बतलना 
चरखे की चकरी के किस्सों से , नेहरू दर्शन तक पहुंच जाना  
याद रखना सभी एक मूलमंत्र , सावरकर को गद्दार बताकर बैठे हैं 
तुम सत्ता विरोधी वोट करना , हम धनिया सजाकर आ बैठे हैं 
बटवारे की चिंता मत करना  , सब लुटेरे ठगबंधन करके  बैठे हैं
#सारस्वत 
16052019 

शुक्रवार, 10 मई 2019

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उधड़े अरमानों की तुरपाई कर लिया करता हूँ 
हौसलों के धागों से उम्मीदें पिरो लिया करता हूँ 

अहम में जीते हैं तो कुछ लोग वहम में जीते हैं 
थोड़ा सा अलग हूँ बेपरवाही जी लिया करता हूँ 

मुश्किलों के पहाड़ों का नाम ही तो जिंदगी है 
वक़्तेनाज़ुक में गिनती ख़ैर की किया करता हूँ 

लड़खड़ाकर ही सही मगर चलता रहता हूँ 
गिरता भी हूँ तो खुदसे उठ लिया करता हूँ 
#सारस्वत 
10052019