शुक्रवार, 21 जून 2019

योग दिवस ...

  
वो बचपन की पढ़ाई ,
हम जिस से अक्सर घबराया करते थे 
यह उस समय की बात है ,
जब हम भी स्कूल जाया करते थे 
गणित के चार सवाल ,
गुणा भाग घटा योग भूल जाया करते थे 
फिर योग से योग तक ,
मास्टर जी सब याद दिलाया करते थे 
तख्ती कलम दवात , 
गुजरा हुआ ज़माना आजभी याद आता है 
तुम क्या मुकाबला करोगे ,   
साल में एक दिन योग दिवस मनाते हो 
वो भी क्या दिन थे ,
योग दिवस जब हम रोज़ मनाया करते थे 
#सारस्वत 
21062019 

रविवार, 2 जून 2019

वाह जिंदगी ...


किस्सा ये पुराना है 
सबको ही सुनना है 
गुजरा जिधर बचपन 
फिर से दोहराना है 
वहीं का ख्याल वहीं का जूनून 
वही एक तलब वही एक सुकून 
लब्ज़ों की गठरी है 
हसरतों की निशानियां 
करीब से दूर तलक 
शैदाई जिन्दगानियाँ 
बस 
खुद को भूल जाना है 
फिर से दोहराना है ,
 किस्सा ये पुराना है 
लम्हा दर लम्हा हुआ असर का असर 
यक़ीन के यक़ीन पे थी नज़र की नज़र 
वो झोंका हवा का 
जहाँ से भी गुजरा 
ठहर गया मौसम 
खिल उठे बदरा 
उन्हीं 
सपनो से गुजरना है 
फिर से दोहराना है 
किस्सा ये पुराना है 
बहुत कुछ कहना था बहुत कुछ सुनना था 
लड़ना था झगड़ना था मिलना मिलाना था 
खुद से छुपा ना सका 
खुद को ही बता ना पाया 
खुशियां दबाता आया 
यादों से निकल ना पाया 
अब 
हकीकत से गुजरना है 
फिर से दोहराना है 
किस्सा ये पुराना है 
#सारस्वत 
02062019