मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

मेरे तरकश में ...

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कुटिल हुंकार से तेरी ...
डरने वाले हौसले नहीं हैं मेरी नस में ! 
स्वच्छता सजगता सतर्कता ...
निडरता के तीर हैं मेरे तरकश में !!
तू अगर , अड़ियल है कोई तो ...
फिर ' मैं भी तो असल जिद्दी हूँ ! 
तेरी अकड़ तोडना कर्म ही नहीं ...
हठधर्म भी है , मेरे लावाकश में !!
पहले मुझको तो हराओ ...
फिर , घात करना भरतवंशियों पर !
चांडाल ' तेरी हरेक फूं फां का ...
इलाज़ है , मेरे पास कमरकस में !!
चीनांशुक विष रोग कोइ ...
मेरे देश को यूँ ही नहीं गला सकता !
चरक की संतान हैं हम ..
खूब जानते हैं ,द्रोही को करना वश में !!
#सारस्वत 
 21042020

गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

राष्ट्रभाव को जीवित रखिये ...


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भाव को जीवट रखिये स्वभाव को जीवित रखिये  
मृदंग की टंकार में भी धनुर्भाव को जीवित रखिये 
लक्षित रहे मन एकाग्रता रक्षित हो धर्म संस्कृति 
संरक्षित रहें उत्कीर्णे हृत्पिंडताव को जीवित रखिये
स्वच्छता शुंडी शुद्धता संग सुचिता सिद्धि समग्रता 
पुण्यता पवित्रता गर्वित समभाव को जीवित रखिये 
जीवन यात्रा है सरल तरल गरल जलधारा के जैसी   
प्रण प्राण जीव आत्मा में मनुर्भाव को जीवित रखिये 
शिष्टता की महत्ता एवम विशिटता की समग्रता 
मेघाशक्ति जागृति शतशक्तिभाव को जीवित रखिये
कर रहा छल का नीरद कालानाग द्रव्यपीप की हुंकार 
जन एकता अखंडता के प्रादुर्भाव को जीवित रखिये
कूटकपट गुप्तदल वर्तमान में संलिप्त हैं षड्यंत्र में 
पट नयन बिंदु खोल कर राष्ट्रभाव को जीवित रखिये 
#सारस्वत 
16042020  

मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

भीगे हुए खत ...

तुम्हें ...
रुकने को किसने कहा है
मैने तो नहीं ...
चलते रहो चलते चलो
ख्यालो के साथ में
सवालों के साथ में
जब तलक
मिल ना जाये जवाब
या फिर मैं !!!
रुकना नहीं कहीं
अटकना नहीं
विचारों का सरोवर गहरा है
तुम्हारे बिना भेजे
खत़ की तरहा !!!
कभी पढ़ कर देखो
पलकों से गिरी
बूंदों की तड़प को
महसूस कर सको तो ...
कभी ,
कंकर ही फैंक कर देखो
मन के सरोवर में
मिल जाएंगे मसले हुए जवाब
तुम्हें ...
भीगे हुए खतों में ही कहीं !!!
#सारस्वत 01042020