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कुटिल हुंकार से तेरी ...
डरने वाले हौसले नहीं हैं मेरी नस में !
स्वच्छता सजगता सतर्कता ...
निडरता के तीर हैं मेरे तरकश में !!
तू अगर , अड़ियल है कोई तो ...
फिर ' मैं भी तो असल जिद्दी हूँ !
तेरी अकड़ तोडना कर्म ही नहीं ...
हठधर्म भी है , मेरे लावाकश में !!
पहले मुझको तो हराओ ...
फिर , घात करना भरतवंशियों पर !
चांडाल ' तेरी हरेक फूं फां का ...
इलाज़ है , मेरे पास कमरकस में !!
चीनांशुक विष रोग कोइ ...
मेरे देश को यूँ ही नहीं गला सकता !
चरक की संतान हैं हम ..
खूब जानते हैं ,द्रोही को करना वश में !!
#सारस्वत
21042020