शुक्रवार, 15 मई 2020

#जो_जहां_हैं_वहीं_रहें_जीवन_है_जरूरी




रास्तों के पास में होती है
मंजिलों को पार करने की मंजूरी
चले जा रहे दिन रात
इसीसोच के साथ करते जो मजूरी
मोदीजी ने तो विनती की थी जोड़कर
सुना नहीं या सुनना चाहा नहीं
ऐसी भी क्या थी मजबूरी

शनिवार, 9 मई 2020

माँ ... ध्यानयोग में चिरंजीवी विश्वात्मा !!!

ध्यानयोग में ही प्रेमयोग है
प्रेम योग में ही है साधना
साधना की आराधना में
स्वंभू समाहित है सौंदर्य कमल
एवं ऋतू चिरंजीव है विश्वात्मा
प्रेम के सरोवर में चाव ही चाव हैं
रस रसायन के भाव ही भाव हैं
प्रेम की परकोटि का रंग केसरी
प्रेम की परदक्षणा में भाव की पताका
एवं दशोदिशा चिरंजीव है विश्वात्मा
प्रेम के ताव में ओढ है ना प्रौढ़ है
 उन्मुक्त आकाश का ग्रह निवास है
प्रेम की सरीता में हैं उच्छल तरंगें
अर्पण से समर्पण तक स्वप्निल
अमिट अटल चिरंजीव है विश्वात्मा

सोमवार, 4 मई 2020

खैर से हूं ...


#
गुजर जाता है
आधा लम्हा आँखों में
आधा लम्हों को ढूंढ़ने में
सलामत हूँ , खैर से हूं  ...
लगा हूँ ,
दोस्तों की खैर मांगने मेंⅱ

मिलकर भी ,
मिलते नहीं हो कभी
कैसे हो , 
खैरियत बताते नहीं कभी
गलती ,
हुई क्या कोई बड़ी  ...
हम से दुआ मांगने मेंⅱ

नराज़गियां ,
तो चलती रहेंगी
जब तलक है ये ज़िंदगी
शिकायते ,
कम नहीं हो जायेंगी
वक्त ,
खुदसे दो घड़ी का  ... 
हमारे लिए मांगने मेंⅱ

तबियत ,
जानने का हक  ...
हम भी नहीं रखते क्या 
या फिर तुम ही  ,
हो गए हो मंदिर के देवता
देता नहीं ,
जो प्रसाद कभी 
सीढ़ियों पर मांगने मेंⅱ
#सारस्वत 04052020