शुक्रवार, 6 अक्तूबर 2023

अपनों से अलग







 

खुद से मिलोगे ,तो ना जानोगे कितने हो अलग 

अपनों से अलग और भीड़ में भी अलग थलग 

रुआब के रुआब में तू , इतना भी मत उलझ 

ऐसेतो हिसाब देने में ,बिखर जायेगा सो अलग 

ये जो गुमान है ना , खुद ही में खुद के होने का 

घमंड से कमतर , कहीं कुछ भी नहीं है अलग 

श्याणपत्ति को समझदारी नहीं ,धूर्तता कहते हैं 

चुप रहता है समाज , लानतें ईनाम देती है अलग 

अमल बढ़ जाये तो अम्लपित्त मुँह से टपकता है 

दंभ गगनचुम्बी हो तो ,बेशर्मी टपकती है अलग 

बहुत सोचा मैंने , रिश्ते तुझसे बरकरार रक्खूँ 

सुधार के पार निकल गए हो तो ,रहो तुम अलग 

सवालों के जवाब तो , देने पड़ेंगे यारा तुझको भी 

यहां पर ना सही ' वहां सही , वो बात है अलग 

#सारस्वत 07102023 

मंगलवार, 5 सितंबर 2023

 लिया है जन्म मृत्युलोक पर  , तो देहावसान भी निश्चित है 

जीवन शाश्वत अटल मृत्यु ही  , जीवन का अंतिम सत्य है 

धर्म विरुद्ध होकरके भी यहां , पाई तो जा सकती है मृत्यु 

संस्कार हीन संस्कृति विहीन  , दशमुखी के होते अनुगत हैं 

सनातन को समाप्त करने की  , हो रही हैं घोषणाएं वर्तमान में 

यात्रा भारत जोड़ो करने वाले , बन मूक बधिर हुए सहमत हैं 

विस्म्त नहीं हूं बिंदु गठबंदन के , कुरूप लच्छनों को देख कर 

लज्जित हूं अपने हिन्दू भाइयों से , जो इन कालनेमियों के समर्थक हैं 

#सारस्वत 05092023 

बुधवार, 23 अगस्त 2023

पृथ्वीजन्य शशिभूमि विक्रम योद्धा पदार्पणम

जंबुद्वीपे व्रतखंडे भारतवर्षे चंद्रयान प्रेक्षपातिके
शुद्ध व्योम लक्ष्य जागृते सिद्ध चंद्रकला साधिके
संघर्मण तिक्षणाग्नि संघर्षिते घोष लोम भयंकरे
आवर्ते निर्रावरते निर्रनिर्विघ्नम अनावृते निरंतरे
शोर्यकर्म सोमनाथ विरानुथुवेल श्रीकांत संकरन
नारायण रामकृष्णा कल्पना विनिथा उन्नीकृष्णन
पृथ्वीजन्य शशिभूमि विक्रम योद्धा पदार्पणम
श्रवण अधिमासे सप्तमी आनंदनम अलिंग्नम
उत्कीर्ण दिनेवासरे अवतरेण ज्योत्सना कलानिधि
शोध साध्य सुत्रपात प्रज्ञान अविकल्पम चतुर्दशी
परिक्षण्म विविध प्रपादिते त्वमेव स्वमेव विलक्षण्म
वंदंम अभिनंदनम अहोभाग्य सुखम दिग्दर्शनम
#सारस्वत 24082023

 

रविवार, 30 जुलाई 2023

आखिरी लम्हों में ...

 बचपन था खिलोने थे , गरूर मशहूर तरेरे थे 

अहदे करार से बढ़ के , मगरूर सहूर डेरे थे 

परिंदो के से उड़ते थे , पतंगो के जैसे मचलते थे 

उमर बदली खिलोनो की ,इश्के शरूर चफेरे थे 

करतब करतूत तेरे किये ,दस्तावेज़ी सबूत बने  

मुस्तकबिल बन गए तेरे है , करमों के जो फेरे थे 

दराजे उम्र हुआ तो अब ,याद करता है रब को 

गाफिल नज़रों का रुतबा , मकामें फितूर ज़ेरे थे  

माफ़ी के ना कालम हैं ,मोहलत के ना दिन बाकि 

जाते हुए आखिरी लम्हें हैं  , गए दिन जोभी तेरे थे 

चल उसको याद करले अब , जो सबका महेश्वर है 

रामेश्वर राम के नमामि प्रभु ,रामेई राम भी तेरे थे 

#सारस्वत 30072023 

शुक्रवार, 23 सितंबर 2022

दावेदार

दावेदार जिंदगी में 
कहने को बहुत आते हैं 
बहुत ही कम होते हैं 
जो सच में निभाते हैं 
वक़्त जब आकर पूछता है 
कौन कौन हैं तेरे अपने
रिश्ते रिसने लगते हैं 
दावा ए दोस्त भाग जाते हैं 
#सारस्वत 23092022 
(जिंदगी का हिसाब शायरी)

शुक्रवार, 4 मार्च 2022

जिंदगी में आदमी ...

अधूरी ही रहती है जिंन्दगी ; 
बहुत कुछ खोता है आदमी , 
थोड़ा सुकून पाने के लिये ! 
फेहरिस्त लम्बी है बड़ी सी ; 
फरमाइशों के अंतहीन डेरे में , 
ख्वाइशें भरमाने के लिये !! 
टूटता है टूटकर बिखरता है ; 
तन्हाई में रोता है आदमी , 
रिश्तों को बचाने के लिए !!! 
#सारस्वत 04032022

रविवार, 3 अक्तूबर 2021

रिश्तों से रिश्ते ...

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रिश्तों से .. रिश्तें ... रिसने .. लगे हैं
पलकों में .. पल के ...  पीसने .. लगे हैं
दिलों में दिलों के , मोहब्बत नहीं अब
धुंए की शकल में , सिरहाने .. लगे हैं
रिश्तों से .. रिश्तें ...
नक्शों के नक़्शे ... उतरे से .. हुए हैं
जुल्फों में फसे से ...  उलझे से हुए हैं
फ़िकर है फ़िकर की , फिक्रमंद हूं मैं
नज़र में नज़र के , नज़रबंद लगे हैं
रिश्तों से .. रिश्तें ... रिसने .. लगे हैं
पलकों में .. पल के ...
बसर में असर बाकी , है रंजिशों का
उमर पे उमर का , नशा गफ़लती का 
दुआ में दुआ का , असर अब नहीं है
दुआ की दीवारों पे , जाले लगे हैं
रिश्तों से .. रिश्तें ... रिसने .. लगे हैं
पलकों में .. पल के ...
बिछुकर के मिलना , ये मिलना है कैसा
रंज तो बहोत है ,पर ...ये  रंज भी है कैसा
जिकर के ज़िकर में , है ज़िकर ख़ामोश
सब ज़िकर के बहाने से, आज़माने लगे हैं
रिश्तों से .. रिश्तें ... रिसने .. लगे हैं
पलकों में .. पल के ...
#सारस्वत 06022013