शुक्रवार, 4 मार्च 2022

जिंदगी में आदमी ...

अधूरी ही रहती है जिंन्दगी ; 
बहुत कुछ खोता है आदमी , 
थोड़ा सुकून पाने के लिये ! 
फेहरिस्त लम्बी है बड़ी सी ; 
फरमाइशों के अंतहीन डेरे में , 
ख्वाइशें भरमाने के लिये !! 
टूटता है टूटकर बिखरता है ; 
तन्हाई में रोता है आदमी , 
रिश्तों को बचाने के लिए !!! 
#सारस्वत 04032022