अधूरी ही रहती है जिंन्दगी ;
बहुत कुछ खोता है आदमी ,
थोड़ा सुकून पाने के लिये !
फेहरिस्त लम्बी है बड़ी सी ;
फरमाइशों के अंतहीन डेरे में ,
ख्वाइशें भरमाने के लिये !!
टूटता है टूटकर बिखरता है ;
तन्हाई में रोता है आदमी ,
रिश्तों को बचाने के लिए !!!