अहदे करार से बढ़ के , मगरूर सहूर डेरे थे
परिंदो के से उड़ते थे , पतंगो के जैसे मचलते थे
उमर बदली खिलोनो की ,इश्के शरूर चफेरे थे
करतब करतूत तेरे किये ,दस्तावेज़ी सबूत बने
मुस्तकबिल बन गए तेरे है , करमों के जो फेरे थे
दराजे उम्र हुआ तो अब ,याद करता है रब को
गाफिल नज़रों का रुतबा , मकामें फितूर ज़ेरे थे
माफ़ी के ना कालम हैं ,मोहलत के ना दिन बाकि
जाते हुए आखिरी लम्हें हैं , गए दिन जोभी तेरे थे
चल उसको याद करले अब , जो सबका महेश्वर है
रामेश्वर राम के नमामि प्रभु ,रामेई राम भी तेरे थे
#सारस्वत 30072023