रविवार, 30 जुलाई 2023

आखिरी लम्हों में ...

 बचपन था खिलोने थे , गरूर मशहूर तरेरे थे 

अहदे करार से बढ़ के , मगरूर सहूर डेरे थे 

परिंदो के से उड़ते थे , पतंगो के जैसे मचलते थे 

उमर बदली खिलोनो की ,इश्के शरूर चफेरे थे 

करतब करतूत तेरे किये ,दस्तावेज़ी सबूत बने  

मुस्तकबिल बन गए तेरे है , करमों के जो फेरे थे 

दराजे उम्र हुआ तो अब ,याद करता है रब को 

गाफिल नज़रों का रुतबा , मकामें फितूर ज़ेरे थे  

माफ़ी के ना कालम हैं ,मोहलत के ना दिन बाकि 

जाते हुए आखिरी लम्हें हैं  , गए दिन जोभी तेरे थे 

चल उसको याद करले अब , जो सबका महेश्वर है 

रामेश्वर राम के नमामि प्रभु ,रामेई राम भी तेरे थे 

#सारस्वत 30072023