जिंदगी का हिसाब मेरी शायरी
शुक्रवार, 23 सितंबर 2022
दावेदार
दावेदार जिंदगी में
कहने को बहुत आते हैं
बहुत ही कम होते हैं
जो सच में निभाते हैं
वक़्त जब आकर पूछता है
कौन कौन हैं तेरे अपने
रिश्ते रिसने लगते हैं
दावा ए दोस्त भाग जाते हैं
#सारस्वत 23092022
(जिंदगी का हिसाब शायरी)
शुक्रवार, 4 मार्च 2022
जिंदगी में आदमी ...
अधूरी ही रहती है जिंन्दगी ;
बहुत कुछ खोता है आदमी ,
थोड़ा सुकून पाने के लिये !
फेहरिस्त लम्बी है बड़ी सी ;
फरमाइशों के अंतहीन डेरे में ,
ख्वाइशें भरमाने के लिये !!
टूटता है टूटकर बिखरता है ;
तन्हाई में रोता है आदमी ,
रिश्तों को बचाने के लिए !!!
#सारस्वत 04032022
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