शनिवार, 31 दिसंबर 2016

दिन नया होता है








#
दिन प्रतिदिन दिन नया होता है 
छण प्रतिछण छण नया होता है 
दिन प्रतिदिन  ... 
चक्रसुदर्शन सा जनन रचना चक्र 
पल प्रतिपल आयाम नया छूता है 
प्रभात की किरणें उमंगे लहरें तरंगें 
उदभव होती हैं तो मनमयूर होता है 
दिन प्रतिदिन  ... 
रूचि सुरुचि प्रज्ञा सृजन ज्ञानतंत्र  
मनभावन स्वरसंगम नया होता है  
चित्त चितवन में मनन मंथन में 
प्रजनन उत्सर्जन उद्गम नया होता है 
दिन प्रतिदिन  ... 
अंश से वंश तक धरा से गगन तक 
पुरातन कोई जाता है नूतन कोई नया आता है 
युगों युगों से जन्मोजन्म तक चलायमान 
प्रकृति का प्रकति से संवाद यही होता है 
दिन प्रतिदिन ... 
दिन नया होता है 
दिन प्रतिदिन ... 
दिन नया होता है 
#सारस्वत 
01012017 

सोमवार, 19 दिसंबर 2016

तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई ... शिकवा ... तो नहीं ...

#
कुछ दिन पहले रजनीश भाई मेरे पास
तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई  ... शिकवा  ... तो नहीं ...
आंधी फ़िल्म के गुलज़ार जी के लिखे गीत को लेकर आये और दो अलग अंतरे लिखने को कहने लगे , पहले मैंने उनकी बात को मज़ाक समझा मगर रजनीश भाई जोर देकर कहने लगे लिखने ही पड़ेंगें मैंने कहा मेरे आदर्श हैं उनकी लेखनी की धार के पर जाना मुमकिन ही नहीं नामुमकिन है , लेकिन वह ज़िद पर अड़े रहे ऐसे में मेरे जैसे नासमझ से जो बन पड़ा वह आज यह लिख आप सभी के समक्ष लिखने की धृष्टता कर रहा हूँ । उम्मीद करता हूँ मेरी इस गलती को गुलज़ार जी उदंड शिष्य समझकर माफ़ करेंगें #सारस्वत
#
तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई  ... शिकवा  ... तो नहीं ...
शिकवा ..नहीं ... शिकवा नहीं ...शिकवा नहीं ...
तेरे बिना ज़िन्दगी भी लेकिन , ज़िन्दगी  ... तो नहीं,
ज़िन्दगी  .. नहीं  ... ज़िन्दगी नहीं ...
तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई ...  शिकवा  ...
*
कोहरा फैला है  ...
धुआं शक्लें हैं  ... लिपटी हैं यादें तेरी
आता  ... नज़र कुछ नहीं
तन्हां सी रातों में  ...
चुभती सी यादें की
साथ   ...हैं बातें तेरी
तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई  ... शिक़वा  ...
शिकवा ..नहीं ... शिकवा नहीं ...शिकवा नहीं ...
*
तुमको देखा तो  ...
चश्में उल्फ़त के  ... खुद से रौशन हुए
ख्वाइशें  ...फिर  ज़िंदा हुई
लकीरें हाथों की  ....
हाथों से मिलकर भी
मिलती क्यों नहीं
तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई  ... शिक़वा तो नहीं
शिकवा ..नहीं ...
#सारस्वत
18122016

गुरुवार, 8 दिसंबर 2016

उम्र के ...साथ में ...

#
उम्र के  ...साथ में
बाल  ... पक गए
लक़ीरें  ... हाथों की
चेहरे पर  ... खिंची
बालपन से निकला
तो  ...  बड़ा हो गया
मैं भी  ... वही हूँ
मेरा  ... रास्ता भी वही
मगर ,
नज़रिया मेरा  ...
अब ,
बदल सा  ... गया है
पहले मैं ,
कल्पनाओं में  ... जीता था
हक़ीक़त की  ... ज़मीन पर
अब   ... मैं खड़ा हूँ
पहले ,
मैं  ... बेफ़िक्र बेटा था
अब ,
फिक्रमंद बाप हूँ
#सारस्वत
08122016 

शुक्रवार, 2 दिसंबर 2016

राष्ट्रगान का सम्मान जीत गया

#
बात 14 साल पुरानी है ... 
लेकिन "श्याम नारायण चौकसी" के बारे में 
बात शुरू करने से पहले उसका यहां जिक्र करना ज़रूरी है 
हाँ तो बात 2002 [भोपाल] की है 
"श्याम नारायण चौकसी" एक थेयटर में मूवी देखने गए
फ़िल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान शुरू हुआ तो
.दर्शकों के बीच बैठे "श्याम नारायण चौकसी" खड़े हो गए
उनको खड़ा हुआ देखकर वहां बैठे हुए बाकी लोग
उनकी मजाक उड़ाने लगे ... जोर जोर से हंसने लगे
किसीने सज्जन ने तो कागज के टुकड़े भी उनके सर पर दे मारे
लेकिन "श्याम नारायण चौकसी" अडिग इरादे के साथ खडे रहे
वहां से निकलकर "श्याम नारायण चौकसी" सुप्रीम कोर्ट गए
और 14 साल तक राष्ट्रगान के सम्मान की लड़ाई लड़ते रहे
आखिर में जीत सम्मान की हुई राष्ट्रीयगान की हुई
"श्याम नारायण चौकसी" जीत गए
जब सुप्रीमकोर्ट ने पूरे देश में यह फैसला अनिवार्य किया
#राष्ट्रगान_बजेगा ... तो .... #सम्मान _में_खड़ा_होना_पड़ेगा"
राष्ट्रगान सम्मान के लिए
लम्बी लड़ाई लड़ने वाले ... "श्याम नारायण चौकसी" जी को वन्दन
जयहिंद ...
वन्देमातरम ...
#सारस्वत
02122016

मंगलवार, 15 नवंबर 2016

इन दिनों


#
चर्चा ऐ आम हो रहा आज हिंदुस्तान में
तज़ुर्बे नए से गुज़र रहे हम हिंदुस्तान में 


काला धन कूड़ा हुआ लगा जंग लगाताला
ऐशो हराम की जिंदगी का हुआ मुह काला
पल में पासे पलट गए आज हिंदुस्तान में
चर्चा ऐ आम हो रहा आज हिंदुस्तान में
तज़ुर्बे नए से गुज़र रहे हम    ...
जोशे ज़ुनु उन्मांद में हैं इन दिनों सभी
उम्मीद की लाइन में लगे इनदिनों सभी
जैसे बदल गया हो शहर हिंदुस्तान में
चर्चा ऐ आम हो रहा आज हिंदुस्तान में
तज़ुर्बे नए से गुज़र रहे हम   ...
गली कूचे घर मोहल्ले हसकर बता रहे
बढ़ गई है रौनकें सभी रिश्ते जता रहे
आमिर गरीब एक हुए सब हिंदुस्तान में
चर्चा ऐ आम हो रहा आज हिंदुस्तान में
तज़ुर्बे नए से गुज़र रहे हम    ...
#सारस्वत
15112016 

शुक्रवार, 4 नवंबर 2016

यही कड़वा सच है ...


#
सच सुनने की ख़्वाइश रखते तो हैं
लेकिन  ...
झूठ के बड़े वाले समर्थक हो गये हैं
यही कड़वा सच है  ...
आज  ...
सुबहा की ही बात है , मैंने दूधिये से कहा  ...
आजकल दूध में पानी ज्यादा होता है
दूधिया मुस्कुरा कर बोला  ...
60/- रूपये में और क्या जान लोगे दूधिये की
मैंने उसकी तरफ देखा  ...  और बडबडाया
तुम्हारी बात भी सही है
बात कुछ नहीं है  ...
और है भी बहुत कुछ  ...
सच से ऑंखें फेरनी सीखली हम सभी ,
झूठ के बड़े वाले समर्थक हो गये हैं
यही कड़वा सच है  ...
कल  ...
सब्ज़ी बाज़ार में खीरे वाले से पूछ बैठा
खीरे देसी या जर्सी
वह चिढ़कर बोला  ... मीठे हैं
देसी कड़वे खीरे कौन खाता है आजकल
मैंने उसकी तरफ देखा  ...  मुस्कुराया और बुदबुदाया
तुम्हारी बात भी सही है
स्वाद के नाम कैमिकल सटकाने लगे हैं
ज़हर का चटकारा लगाने लगे हैं
तुम भी चुप हो मैं भी चुप हूँ
तुम खुश हो मैं भी खुश हूँ
इस नकली झूठे मुख़ौटे के साथ में
सच पूछो तो ,
झूठ के बड़े वाले समर्थक हो गये हैं
यही कड़वा सच है ...
सच हज़म होता नहीं , हाजमें की बात करते हैं
घी मक्ख़न में मुश्क बताकर , पैकिट का डकारते हैं
भुलाकर नीम पीपल बरगद , चिंता पर्यावरण की करते हैं
डालकर नदियों में फैक्टरियों का कचरा , प्रदूषण की बात करते हैं
आओ सब मिलकर सेहत खराब करते हैं
कोई बात नहीं  ...
चलो फिर से  ...
हम ना बदलेंगें ये हमने सोचा है
ना तुम बदलना मैं बदलूंगा
झूठ को बुरा भला कहते रहेंगे
सच्चाई को दबाते भुलाते रहेंगे
फिकर करने वाली कोई बात नहीं है
झूठ के बड़े वाले समर्थक हो गये हैं
यही कड़वा सच है ...
#सारस्वत
04112016 

गुरुवार, 8 सितंबर 2016

   #
   कोख के आंगन में
   ममता के प्रांगण में
   एक अँकुर उगता है
   उसका नाम है प्यार 


   यौवन की दहलीज़ पर
   दिल की ज़मीन पर
   एक अंकुर उगता है
   उसका नाम है इश्क़ 


   वात्सल्य के आँचल में
   ज़िन्दा एहसास है प्यार
   और  ...
   मोहब्बत की बिसात पर
   हवस की जात है इश्क़
   #सारस्वत
   28082015  

सोमवार, 5 सितंबर 2016

गुरु दीक्षा से दीक्षित शिष्य ...

#
मानव के जीवन में गुरु का क्या महत्व होता हैं
यह किसी से भी छुपा हुआ नही हैं
किसी भी  मनुष्य की प्रथम शिक्षक उसकी माता होती है
गुरु उस कुम्हार की तरह होता है
जो  चाक पर लाठी घुमाकर कच्ची मिट्टी से
घड़े और दीपक दोनों को तैयार करता हैं
दीक्षा से दीक्षित शिष्य उन्नति पथ को प्राप्त करे
गुरु की सफलता इसी में निहित है
गुरु वचनों को आत्मसात करने वाला शिष्य ही
प्यासे को पानी अन्धकार को उजाला प्रदान करता हैं.
स्वस्थ समाज ही स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण कर सकता हैं
स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए उसका शिक्षित होना बहुत जरूरी हैं

















#छात्र के जीवन में गुरू का क्या महत्व होता है
यह हम भीमराव अंबेडकर के जीवनचक्र के
प्रारम्भिक चरण को देखकर बखूबी समझ सकते हैं
डॉ भीमराव बचपन में भीमराव सकपाल महार थे
 लेकिन एक ब्राह्मण शिक्षक महादेव अंबेडकर ने
न केवल उन्हें शिक्षा दी बल्कि दीक्षा में अपनी जाति का नाम दान भी दिया
भीमराव सकपाल के गुरू महादेव अम्बेडकर ने उन्हें
अपना गोत्र प्रदान करते हुए शूद्र से ब्राह्मण बना दिया
और डॉ भीमराव सकपाल डॉ भीमराव अम्बेडकर हो गये
आज शिक्षक दिवस पर मैं
भारत के संविधान लेखक डॉ भीमराव अंबेडकर के गुरु को नमन करता हूँ
जिन्होंने भारतीय परंपरा के उच्च आदर्शों पर चलते हुए
देशहित में एक आदर्श शिक्षक का उदाहरण प्रस्तुत किया
और समाज को डॉ भीमराव जैसा मेधावी छात्र दिया
#सारस्वत
05092016

सोमवार, 15 अगस्त 2016

जश्नेआज़ादी पर ...

#
जश्नेआज़ादी मनाने वालो
बस इतना बतला दो तुम
कितने हुये आज़ाद हो तुम
कितना बताया जाता है

जनगणमन का अधिनायक
भारत का भाग्य विधाता है
भारतमाँ को पिता बताकर
गीत राष्ट्रीय गाया जाता है

चतुरंगी है राष्ट्र पताका
तिरंगा सब को बताता हूँ
मिली खड्ग बिना ढाल आज़ादी
झूठ घुट्टी में पढ़ाया जाता है

कहने में अच्छा लगता है
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा
लेकिन सुनने को मिलता है
देश साम्प्रदायिक बनता जाता है

कुछ मुस्लिम को कह दूँ तो
सौ मुस्लिम चिल्लाते हैं
मैं गौरक्षा की बात करूँ तो
हिन्दू गुंडा बतलाया जाता है

सोने की चिड़िया सोने की लंका
जैसे होते रोज़ घोटाले है
जनगणमन कुछ मांगे तो
घण्टा बजाया जाता है

जयहिंद जय भारत
मादरेवतन हिंदुस्तान
वन्देमातरम
#सारस्वत
15082016 

मंगलवार, 9 अगस्त 2016

उम्मीद ...


#
उम्मीद पर जिंदा है यह दुनिया सारी 
उम्मीद से बड़ी शह  ... कोई चीज़ नहीं है 
#
मरता है रोज़ आदमी यहां दिन एक बार 
जी उठता है फिर से नई उम्मीद के साथ 
मुझे उसका पता बताए कोई  ... जो कहता हो 
नई सुबह का सूरज उम्मीद नहीं है 
उम्मीद पर जिंदा है  ... 
#
रास्ते बंद हो जायें सब , जब जीने के वास्ते 
खुलता एक रास्ता तब भी , उसी बंदिश के रास्ते 
झूठे हैं वो सभी  ... जो कहते हैं दुनियां से   
दोस्ती का मतलब  ... उम्मीद नहीं है 
उम्मीद पर जिंदा है  ... 
#
ज़रूरी नहीं जो चाहो ,वो सब कुछ मिले तुझे 
जो नसीब में नहीं तेरे , परमेश्वर कैसे दे तुझे 
मैं हूँ अगर गलत  'तो, कर साबित गलत मुझे 
क्या परमात्मा के नाम में  ...  उम्मीद नहीं है 
उम्मीद पर जिंदा है  ... 
#
छू कर जाये ग़म कोई 'तो, दुनिया ख़त्म नहीं होती 
उम्मीद पर क़ायम है दुनियां , वरना उम्मीद नहीं होती 
समय की धारा को 'खुद, वक़्त भी कोई बदल नहीं सकता 
मत कहना किसीसे उजाले का आना  ...  उम्मीद नहीं है 
उम्मीद पर जिंदा है  ... 
#सारस्वत 
09082016 

शिद्दत से जिस को चाहा ...

#
अर्ज़ी भी तेरी ' यहां ,मुकद्दमा भी तेरा 
गवाही भी तेरी ' और , फैंसला भी तेरा 
मरना गर है किसीका , तो चाहत का है 
शिद्दत से जिस को चाहा , है इस दिल ने 
निकला है आख़िर ... , वो दिल भी तेरा 

जिस भी तरहा से कहे   .... तुझ से  दिल 
कर निकाल बाहर  ... दिलबर दिल से दिल , 
मुकद्दर का वहां  ... उठने वाला कुछ नहीं है 
जहाँ ...  मर्ज़ी भी तेरी ' और , दिल भी तेरा 

मुझको पता नहीं है , अलिफ़ बे कुछ भी 
इल्मे मोहब्बत के , रिवाजों के बारे में ,
तू ही बता करके इशारा जो कुछ तुझे पता 
यहां,मैं भी तेरा ' और , मेरा दिल भी तेरा 

दुनियां की परवाह किसे है , ज़रा मुझको बता तू आज 
परवाह दुनियां की दुनियां को नहीं , क्या तुझको नहीं पता 
जहाँ तलक निभ सके निभा  , दस्तूर यही कहता है 
फिर दिल गैर थोड़े ही है ' ये , दिल भी तेरा 
#सारस्वत 
0802016 

मंगलवार, 28 जून 2016

#स्टोरीबोर्ड

भारत में #स्टोरीबोर्ड के बारे में शायद बहुत कम ही लोगों को पता होगा कमर्शियल आर्ट के क्षेत्र में तेज़ी से उभरता हुआ नाम है स्टोरीबोर्ड
हमारे देश में फिल्म के निर्माण के क्षेत्र में पिछले कुछ दशकों में रील के डिजिटल होने तक फिल्म के प्रोसिस में बहुत बड़ा बदलाव आया है
                    #रजनीश [पिंगलराज ] स्टोरीबोर्ड आर्टिस्ट

नयी नयी तकनीक दिन प्रति दिन आ रही हैं और ये भी सत्य है इन सुविधाओं के माध्यम से फिल्मांकन पहले की अपेक्षा बहुत सरल हो गया है ... जिस तरह से फिल्म के किसी सीन के शूट में स्पेशल इफ़ेक्ट [vfx] के लिए कंप्यूटर का उपयोग हो रहा है ... वैसे ही आज किसी भी फिल्म को बनाने में स्टोरीबोर्ड का बहुत बड़ा महत्व है #स्टोरीबोर्ड चित्रों की एक क्रमबद्ध श्रंखला होती है ... जिस से हमें शूटिंग की रूपरेखा समझने में आसानी होती है
किसी भी मूवी की शूटिंग से पूर्व  ...
उपरोक्त सीन के हर एक एंगल को चित्रित करके सब कुछ तय कर लिया जाता है कि ...
उस सीन के लिए कैमरे का एंगल क्या होगा ...
उसमें कब कब लॉन्ग शॉट होगा , कब कब क्लोज शॉट लिया जायेगा
कैमरामैन का कैमरा कब कहाँ से कहाँ कैसे मूव करेगा
#स्टोरीबोर्ड के द्वारा हम पहले से ही देख समझ सकते हैं  ... कौन सा सीन कैसा दिखाई देगा
कब कहाँ किस चीज़ की आवष्यकता है अथवा नहीं कभी कभी आर्टिष्ट की ड्रेश-कोड आदि का निर्णय भी #स्टोरीबोर्ड पर ही होता है
फिल्म निर्माण में #स्टोरीबोर्ड बनाना ज़रूरी है क्योंकि  ...
#स्टोरीबोर्ड के द्वारा हम शूटिंग से पूर्व ही कैमरामैन से लेकर प्रोडूसर तक को अच्छी तरह से बता समझा सकते हैं की  ...
मूवी के लिए निर्देशक ने किसी भी सीन को किस प्रकार से शूट करने का सोचा है
अगर उसमे कोई भी बदलाव करना हो तो  ...
वह  सभी बदलाव #स्टोरीबोर्ड पर कर लिया जाये  ...
वर्ना मूवी शूट होने के बाद में उसमें कोई फेरबदल करने मतलब होगा समय और पैसा दोनों की बरबादी

अतः मूवी शूट करने से पहले निर्देशक उसके हर सीन को एक #स्टोरीबोर्ड आर्टिस्ट के साथ में बैठ कर उसको मूवी के लिए महत्वपूर्ण सीन के सभी एंगल , कलर , लाइटिंग अादी सभी कुछ समझा देता है  ...
फिर #स्टोरीबोर्ड  आर्टिस्ट उसके हिसाब से एक-एक फ्रेम तैयार करके मूवी का #स्टोरीबोर्ड बना देता है
मूवी निर्माण के अगले चरण की शुरुवात ... निर्देशक की तरफ से #स्टोरीबोर्ड को मंज़ूरी मिल जाने के बाद ही होती है , सभी कुछ निश्चित हो जाने के बाद सैट-निर्देशक #स्टोरीबोर्ड के अनुसार सैट का निर्माण करता है ... जिसके बाद में  शूटिंग शुरू होती है
अब निर्देशक के द्वारा वह #स्टोरीबोर्ड कैमरामैन को दिया जाता है ... कैमरामैन #स्टोरीबोर्ड देख कर समझ जाता है की उसे कौन सा शॉट कैसे लेना है ... इस प्रकार से कैमरामैन ओर निर्देशक के बीच में फिल्म को लेकर अच्छी अंडरस्टेंडिंग हो जाती है जिससे काम काफी आसान हो जाता है
ऐसा नहीं है की फिल्म जगत में #स्टोरीबोर्ड का चलन हमेशा से रहा हो ... भारत में #स्टोरीबोर्ड का इतिहास बहुत पुराना नहीं है
मशहूर निर्देशक #सत्यजीत_रे जी अपनी सभी फिल्मों के #स्टोरीबोर्ड खुद बनाया करते थे लेकिन उस समय फिल्म मिडिया जगत स्टोरीबोर्ड को गंभीरता से नहीं लेता था ... #स्टोरीबोर्ड के बिना ही तब फ़िल्में बना ली जाती थी  ... लेकिन आज #स्टोरीबोर्ड फिल्म निर्माण का एक अभिन्न अंग है
#स्टोरीबोर्ड का उपयोग फीचर फिल्म, एनीमेशन, फोटोशूट, टेलीविज़न विज्ञापन इत्यादि फिल्म निर्माण के सभी क्षेत्रों में होता है लेकिन आजकल #स्टोरीबोर्ड का उपयोग सब से ज़्यादा विज्ञापन के लिए होता है
वैसे भी दुनियां में सबसे ज़्यादा शूटिंग विज्ञापन की ही होती है
आज किसी भी विज्ञापन की शूटिंग #स्टोरीबोर्ड के बिना लगभग असंभव सी ही है क्योंकी हर विज्ञापन से पहले उस ब्रांड की कंपनी से लेकर एजेंसी तक सब को यह देखना होता है निर्देशक उन के ब्रांड को ज़्यादा से ज़्यादा कैसे दिखा सकता है ... सेकंडों में उन्हें अपने ब्रांड को प्रमोट करना होता है  ... आर्टिस्ट के हावभाव स्पष्ट होने ज़रूरी हैं ... फ्रेम लोकेशन में रंग भी ब्रांड के अनुरूप होने चाहिए
जैसे डेटोल में हरे रंग का प्रभाव , कोलगेट विज्ञापन में ज़्यादातर लाल रंग का उपयोग इंटेल के लिए ब्लू कलर आदि ,  इसलिए विज्ञापन फिल्म का #स्टोरीबोर्ड बहुत ही प्रोफेशनल होना चाहिए
जब तक कंपनी स्टोरीबोर्ड के हर पहलु से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो जाती विज्ञापन का काम आगे बढ़ नहीं सकता

दुनियां में सब से ज़्यादा फ़िल्में बनने का गौरव हमारे देश भारत को ही प्राप्त है ,  एशिया में सबसे ज्यादा विज्ञापन भी भारत में ही बनते हैं ... कुछ पडोसी देश भी विज्ञापन बनाने और स्पेशल इफ़ेक्ट के लिए भारत में आते हैं यह सर्वविदित है इस प्रकार भारत तारीख में #स्टोरीबोर्ड आर्टिस्ट बहुत मांग है
इस हिसाब से भी #स्टोरीबोर्ड आर्टिस्ट के लिए भारत का बहुत बड़ा बाजार है
#सारस्वत
23062016

मंगलवार, 21 जून 2016

#
तस्वीर लिए हूँ हाथों में तकदीर ढूंढ रहा हूँ   
भारी मन है भावुक तन है तदबीर ढूंढ रहा हूँ     

जाने कितने दिन गुजरे हैं जाने कितनी  ... रातें  
पतझड़ के आँगन में अंबर सावन का ढूंढ रहा हूँ 
तस्वीर लिए हूँ हाथों में  ...

भीड़ में होकर भी भीड़ में खोकर भी ... इकला 
बन कर हिस्सा भीड़ का खुद को ढूंढ रहा हूँ 
तस्वीर लिए हूँ हाथों में  ...

अंदर अंदर उबल रहे हैं सुलगते कुछ  ... सवाल 
आधे अधूरे जीवन के हल मुश्किल ढूंढ रहा हूँ 
तस्वीर लिए हूँ हाथों में  ...

तन्द्रा ना टूटी नींद ना छूटी झूठी रूठी  ... सांसें 
स्वप्न सुनहरे जीवन में मृगतृष्णा ढूंढ रहा हूँ 
तस्वीर लिए हूँ हाथों में  ...
#सारस्वत 
21062016

रविवार, 12 जून 2016

#Spot_Boy ... a short story

#Spot_Boy 
a short story 
फिल्म इंडस्ट्री के किसी भी प्रोडक्शन हॉउस में  , 
स्पॉट बॉय सबसे निचले पायदान पर खड़ा वह व्यक्ति है  ...  
जिसके बिना प्रोडक्शन हॉउस की कल्पना अधूरी ही रहेगी  
अगर  ...
स्पॉटबॉय नहीं होगा
... तो  ...
सेलिब्रिटी के लिये
शीशा कौन पकड़ेगा , 
छतरी लेकर कौन खड़ा होगा , 
चाय पानी लाकर कौन देगा ,
स्पॉटबॉय नाम का जीव
नहीं होगा तो
उनके गुस्से को कौन हज़म करेगा
उनके नखरे कौन उठायेगा
सितारों की भीड़ में  ...
स्पॉटबॉय नहीं होगा तो
उनके सेलिब्रिटी होने का एहसास
उन्हें कौन करायेगा
लेकिन  ... किन्तु  ... परन्तु  ...
इस स्पॉटबॉय की भी इच्छाएं हैं , ख्वाइशें हैं   
उसने भी कभी सपने देखे थे  ..
सपनो के शहर में 
सितारों की भीड़ में
खुद को चमकता सितारा देखा था  ... 
आज वह स्पॉटबॉय
सितारों की उसी भीड़ में खड़ा होकर
अपने उसी सपने को
दूर से देखता है  ... 
धक्के खाता है ...
डांट गालियां सुनता है ... 
तो बस  ...
उन्हीं सैलिब्रिटी सितारों को 
करीब से देखने की चाहत में  ...
वह जानता है
सपनो के बिना उम्मीद का होना
उम्मीदों के बिना जीत का होना
लगभग नामुमकिन होता है
इसीलिए तमाम
मुश्किलों, अड़चनों, दिक्कतों
और समस्याओं के बीच भी
जोश व जज्बा पैदा करते हुए
स्पॉटबॉय अपने सपनों को जिन्दा रखता है
और ,
जब कोई सैलिब्रिटी सितारा ...
उसके साथ हसकर बोलता है  ...
उससे खुश होकर थैंक्स बोलता है 
तो  ... 
उसका सीना चौड़ा हो जाता है  ... 
वह अपना दुखदर्द सब भूल जाता है  ... 
स्पॉटबॉय फिर रात भर सो नहीं पाता  ... 
अगले दिन 
स्पॉटबॉय 
दुगने जोश के साथ
तैयार होता है
फिर से  ...
उन्ही ख्वाइशों के साथ में
सपनो के शहर में 
सैलिब्रिटी सितारों की
डांट गालियां सुनने के लिये 
#सारस्वत 
04052012

#SPOT_BOY ... a short story

#Spot_Boy 
a short story 
फिल्म इंडस्ट्री के किसी भी प्रोडक्शन हॉउस में  , 
स्पॉट बॉय सबसे निचले पायदान पर खड़ा वह व्यक्ति है  ...  
जिसके बिना प्रोडक्शन हॉउस की कल्पना अधूरी ही रहेगी  
अगर स्पॉटबॉय नहीं होगा तो  ...
सेलिब्रिटी के लिये शीशा कौन पकड़ेगा , 
छतरी लेकर कौन खड़ा होगा , 
उन्हें चाय पानी कोई लेकर देगा , 
सितारों की भीड़ में  ...
उनके सेलिब्रिटी होने का एहसास कौन करायेगा
लेकिन किन्तु परन्तु  ...
इस स्पॉटबॉय की भी इच्छाएं हैं , ख्वाइशें हैं   
उसने भी कभी सपने देखे थे  .. 
सितारों की भीड़ में खुद को चमकता सितारा देखा था  ... 
आज वह उस सपने को दूर से देखता है  ... 
धक्के खाता है ... डांट गलियां सुनता है ... 
तो बस उन्हीं सैलिब्रिटी सितारों को 
करीब से देखने की चाहत में  ... 
और ,
जब कोई सैलिब्रिटी सितारा ...
उसके साथ हसकर बोलता है  ...
उससे खुश होकर थैंक्स बोलता है 
तो  ... 
उसका सीना चौड़ा हो जाता है  ... 
वह अपना दुखदर्द सब भूल जाता है  ... 
स्पॉटबॉय फिर रात भर सो नहीं पाता  ... 
अगले दिन 
स्पॉटबॉय 
दुगने जोश के साथ तैयार होता है 
सैलिब्रिटी सितारों की डांट गलियां सुनने के लिये 
#सारस्वत 
04052012

मंगलवार, 31 मई 2016

आख़िरी वक़्त था ...

#
आख़िरी वक़्त था 
कोई आ रहा था 
कोई जा रहा था 
'मगर ,
जिसे वह बुला रहा था 
वह नदारद था 
साँस अटकी थी आस में 
मिलकर ही जाऊंगा 
और वह ...  
हठयोगी बन बैठा था 
इस अंधे विश्वास में
मिलने ना जाऊंगा  
तो ये भी ना जायेगा 
जिन्दा रहेगा 
एक ज़िद कर बैठा था 
दूसरा रूठ कर बैठा था 
सभी आ रहे थे मिलने 
देख रही थी तमाशा 
दरवाज़े पर खड़ी मौत 
आख़री सांसों का 
आख़िरी वक़्त था 
कोई आ रहा था 
कोई जा रहा था
#सारस्वत 
31052016 

मंगलवार, 17 मई 2016

मैंने पूछा ... कौन हो तुम

उसने कहा  ... वक़्त है पास में तो गुफ़्तगु कर लें
मैंने पूछा  ... कौन हो तुम
उसने कहा  ... तुझमें ही तो रहता हूँ , मुझे भी भूल गये
मैंने कहा  ... ऐसा नहीं है , भीड़ में हूँ भीड़ का हो गया हूँ
उसने कहा  ... अज़नबी क़रीब हुए तो , अपने पराये हो गये
मैंने कहा  ... तुझे सब पता है , रिस्तेनाते किसने भुला दिये
उसने कहा  ... कच्चे घरों में , रिश्ते मज़बूत होते थे
मैंने पूछा  ... थे से क्या मतलब है तुम्हारा  ...
उसने कहा  ... घर पक्के हो गये , रिश्ते मिटटी हो गये
मैंने कहा ... पहले हर आँगन में , नीम के पेड़ जरूर होते थे
उसने कहा  ... आँगन छोटे क्या हुए , पेड़ दरवाज़े हो गये
मैंने पूछा  ... बचपन में गायें होती थी तुम्हारे पास में
उसने कहा  ... जबसे बच्चे बड़े हो गये , कुत्ते शेर हो गये
मैंने पूछा  ... परिवार में क़रीब , अब कौन है तुम्हारे
उसने कहा  ... बेटियां कोख़ में खो गई , बेटे पैदा हो गये
#सारस्वत
17052016 

रविवार, 15 मई 2016

क्या कीजिये ...

#
दिल तुमको ही चाहे तो क्या कीजिये
सुकून एक पल ना पाये तो क्या कीजिये
सुकून  ...
तुम्हारे लिए न सही तुम्हारी वज़ह से सही
जान ज़िस्म से रूठ जाये तो क्या कीजिये
सुकून  ...
ख़ामोश सी रातों में तबीयत चुराने वाली
बे मौसम बरस जाये तो क्या कीजिये
सुकून  ...
उलझा कर गेसुओं में दुआ करने वाले
दो हाथ छूट जाएँ तो क्या कीजिये
सुकून  ...
#सारस्वत
15052016 

शनिवार, 14 मई 2016

कुदरत के हैं खेल निराले ...

कुदरत के हैं खेल निराले , तू भी मैं भी उसमें 
धरतीअंबर बिजलीबादल , चाँद सितारे उसमें 
कुदरत के हैं खेल निराले ...

मिले फ़ुर्सत तो सोचना , किसने दुनिया बनाई 
मिटटी का पुतला घड़के , जान फूंक दी उसने 
कुदरत के हैं खेल निराले ...

अरमानों की नौका में दी ,उम्मीदों की पतवार 
हिम्मत घी शक़्कर वाली , दिया हौसला उसने  
कुदरत के हैं खेल निराले ...

कंकर में शंकर के दर्शन , कर लो दुनियां वालो 
सांसे डाली गिनती करके , भर कर चाबी उसने 
कुदरत के हैं खेल निराले ...
#सारस्वत 
14052016

शुक्रवार, 6 मई 2016

वक्त की सुध ले ... ...

#
वक्त ने छोड़े हैं वक्त पर निशान
वक्त की सुध ले वक्त का कहा मान
वक्त की सुध ले ...
जानता है तू भी है जानता मैं भी हूँ
मान सम्मान के बिच बैठा है अपमान
वक्त की सुध ले ...
तेरे सवालों का जवाब दे रहा है वक्त
मुझसे क्या पूछता है वक्त का अभिमान
वक्त की सुध ले ...
वक्त का तकाज़ा है वक्त की मांग
खुली आँख से देख माप मान का मान
वक्त की सुध ले ...
फ़िज़ा में शौर है साज़िशों का जौर है
बदल रहा है पारा पल पल दिनमान
वक्त की सुध ले ...
#सारस्वत
06052016

रविवार, 1 मई 2016

मजदूर दिवस की शुभकामना

#
बेरोज़गार ने कुढ़ते हुए कहा  ... 
पहले मजदूर तो बन लें  !!!!! 
सुनते ही  ... 
मजदूर बोला  ... 
अच्छा !!! ... 
पढ़े लिखे हो  .... 
फिर  , 
हिक़ारत से देखकर वो बोला  .... 
फट्टे पर मजूरी करने में शरम आती है , 
ये बोलो  ... 
बेरोज़गार phd बाबू !!!!!!!!
#सारस्वत 
01052016 

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016

आज भी ...

#
आज का दिन भी ...
कल की तरह ही पूरब से निकला है
दिनचर आज भी   ...
व्यस्तताओं के बीच नितांत अकेला है

उदास रात के बाद  ...
प्रभात किरणें भी उदास ही चली आती है
ठहरा हर तरफ पहरा  ...
अलबेली खम खामोशी का रुपहला है

पिछड़ गया है दौड़ में
सच को अब यहां कोई पूछता तक नहीं
बदला कुछ भी नहीं  ...
झूठे जीवन में ही अब खुशियों का मेला है

हस्ता हसाता चेहरा  ...
याद वही आता है जो आंसूं छिपाता है
शरारतें खो गई कहीं  ...
मुस्कुराहट बनावटी मुंह हुआ कसैला है
#सारस्वत
29042016 

बुधवार, 20 अप्रैल 2016

एहसास ...

#
देर तलक साथ चलने के बाद जब
पता चलता है अकेले लौटना होगा
घर का पता भी बड़ी दूर लगता है

मुद्दतों साथ में रहने के बाद में
बिछुड़ने का कैसा भी कोई एहसास
फ़ासलों का नया फ़ैसला लगता है

दर्दे मोहब्बत के नाम करने के बाद
हर हिस्सा जिंदगी की सौग़ात का 
एक किस्सा सा लगने लगता है

शिकवों की शिकायतें सुनने के बाद
निगाहें लाख निगाह फेरें जज़्बात से
पलकों से गिला छलकने लगता है
#सारस्वत
03022014 

गुरुवार, 7 अप्रैल 2016

नववर्ष मंगल सुमंगल हो

#
नववर्ष मंगल सुमंगल हो
प्रतिपल उज्ज्वल धवल हो














उमंगों का सवेरा हो
उम्मीदों का बसेरा हो
खुशियों का आँगन हो
रश्मियों का आगमन हो
आस का दीपक हो
आशा प्रकाशक हो
सांसों का तर्पण हो
प्रेम का दर्पण हो
साथ का एहसास हो
परस्पर विश्वाश हो
जीवन परिवर्तन हो
सम्पूर्ण समर्पण हो
मानव मन मन्दिर हो
शुभ दिन सुन्दर हो
भू भारती का वंदन हो
भारत माता की जय हो
!! सनातन नववर्ष मंगलमय हो !!
#सारस्वत
08 052016

गुरुवार, 31 मार्च 2016

मेरे दोस्त ...

#
इस बार फिर से मुझ 'को, भूल गए मेरे दोस्त 
मिल गया शायद 'उन्हें, कोई हुनरमंद दोस्त 
उनकी कोई खता नहीं , अपनी क़िस्मत ही ऐसी है 
सपने दिखाने वाले 'अक़्सर , निकल जाते हैं मेरे दोस्त 
ऐसा नहीं है के अब 'किसी, से बात नहीं होती अपनी 
हर कोई मिलता है 'यहां पर, मतलब से मेरे दोस्त 
छुओ आसमान की बुलंदी को , ये दुआ है मेरी 
ज़मीन से दोस्ती थी 'कभी, भूलना नहीं मेरे दोस्त 
#सारस्वत 
31032016 

बुधवार, 30 मार्च 2016

सेल्फ़ी ...

#
सेल्फ़ी 
एक इटेट्स की तरहा विकसित हुआ और रोग की तरह फैल गया 
इसके शिकार अधिकतर 
स्मार्ट कहलाने वाले , की इच्छा रखने वाले एंड्रायड फोन धारक हैं 
बकरी जैसे मुंह बनाना अदा में शुमार है 
जिस पर सेल्फ़ी के कलंदर सिकंदर सभी फ़िदा हैं 
हस्ते रोते गाते बजाते उठते बैठते हर समय की सेल्फ़ी इसके रंग हैं 
इनका बस चले तो हगने मूतने की भी सेल्फ़ी मार लें 
और क्या पता उनके मोबाईल में ये भी स्टोरीज़ हो 
कुछ भी हो सकता है 
आपके दावे कभी भी धराशाई हो सकते हैं 
मैं पहले ही बता चूका हूँ 
सेल्फ़ी एक इटेट्स की तरहा विकसित हुआ था 
फिर सेल्फ़ीमीनिया रोग की तरह फैल गया 
#सारस्वत 
20032016 


गुरुवार, 24 मार्च 2016

बुरा ना मानो होली है ... बोलो सारारारा ... रा

#
बोलो सारारारा  ... रा  , 
बोलो बोलो  सारारारा  ... रा 
बोलो सारारारा  ... रा  , बोलो बोलो  सारारारा  ... रा 

सरपर टोपी  ... 
हाथ में डंडा  , डंडे उपर झंडा  ...
झुमरू बन गया नेता  , चंदे का करके धंधा  ... 
बोलो सारारारा  ... रा  , 
बोलो बोलो  सारारारा  ... रा 

झुमरू बोला  ... 
क्रीज़ ज़मा कर , बीच सड़क पर  ... 
भीड़ जुटा कर  ... 
चलो जाकर बैठो  ... धरने का यही है फंडा 
बोलो सारारारा  ... रा  , 
बोलो बोलो  सारारारा  ... रा 

झुमरू पहुंचा फिर  ...
न्यूज़ रूम में , रायते की दावत चटकाने  ... 
झूठमूठ  के किस्से सुनाकर ,  
भोली जनता  बुद्धू बनाने  ...  
कसमें खा कर अलाबला  ... झुमरू हो गया सण्डा 
बोलो सारारारा  ... रा  ,
बोलो बोलो  सारारारा  ... रा 

आम बताकर  ... 
अमरुद उगना , कोई आसान काम नहीं था  ...
पर झुमरू ने तो ठान लिया था ,
 जब कोई काम नहीं था , अजी !! 
नाप नाप कर जूट खाये  .. साथ में खाया अण्डा 
बोलो सारारारा  ... रा  ,
 बोलो बोलो  सारारारा  ... रा 
बोलो सारारारा  ... रा  , बोलो बोलो  सारारारा  ... रा 
#सारस्वत 
24032016 

बुधवार, 23 मार्च 2016

होली का चढ़ता बुख़ार ...

#
हमने देखा है होली का चढ़ता बुख़ार 
बच्चे क्या नवले बूढ़ों को चढ़ता ख़ुमार
बच्चे क्या नवले  ... 
टुकर टुकर रस्ता देखे छम छम बजती पायलिया 
लट बलखाये चंद्रमुखी भी हो जाती है बावरिया 
धुकर धुकर करे जियरा तरसे ज़ालिम की जाँनिसार 
बच्चे क्या नवले  ... 
फिर मस्तों की टोली संग रंग पिचकारी संग 
नैन लड़ाने चैन चुराने बन हुड़दंगी रंगपचरंगी 
चाहत की देहरी पर आशिक़ की आती बहार 
बच्चे क्या नवले  ... 
दायें से कभी बायें से जब शौर मचाता मोहल्ला 
अललमगललम सर पर पानी धड़धड़ करता हल्ला 
पकड़ पकड़ में उठा पटक में होली का रंग शुमार 
बच्चे क्या नवले  ... 
चलें कभी लचक लचक तो कभी ठुमक ठुमक 
कभी धमक धमक तो कभी चमक चमक 
जरा सा अटक अटक अरे हां लटक लटक 
फिर सरपट भागे आगे आगे चटके तो रंग हज़ार 
बच्चे क्या नवले  ... 
#सारस्वत 
23032016 

बुधवार, 16 मार्च 2016

कमाल है ना ...

#

कमाल है ना ... 
अनजान लोग
आते हैं ज़िन्दगी में , 
और दिल में 
उतर जाते हैं 

और 
उससे बड़ा कमाल ...
ये है 'के 
दिल से उतरने के बाद भी , 
वो 
यादें छोड़ जाते हैं 

‪#‎सारस्वत‬
16032016

शनिवार, 12 मार्च 2016

समय

#
एक पल के लिये भी कब बैठा है ठहरा है समय 
करवट दर करवट  करवट ले रहा है समय 

लूट खसोट बढ़ कर जब कारोबार बन जाता है 
बुराई हसकर दिखती है जीत का जश्न मनाती है 
सच्चाई घुट कर रह जाती है शौक में डूब जाती है 
आँसूं बहाती है विरह के गीत गाती सुनाती है 
अच्छाई फिर जन्म लेती है बुराई बूढी हो जाती है 
बुराई के पतन और परिवर्तन का आ रहा है समय 
करवट दर करवट  ... 

दिन के बाद में रात का आना पहले से तय है 
अंधकार के बाद ही उजाले का सूर्य उदय होता है 
किल्विष भी रहता है गलत फैहमी का शिकार 
अँधेरा कायम हो तो सवेरा कभी नहीं होता है  
उठकर देखो नवप्रभात का शंखनाद हो रहा है 
यमुना तट पर कुम्भ है रवि शंकराय है समय 
करवट दर करवट  ... 
#सारस्वत 
12032016

शुक्रवार, 11 मार्च 2016

डर जाता हूँ

#
खुद से मिलने के बारे में जब भी सोचता हूँ
बेगाना हो जाने के डर के डर से डर जाता हूँ

हाँ !! रातों को भी जगाता हूँ मैं अपने साथ में
क्योंके ,
तन्हा हो जाने पर अक्सर मैं डर जाता हूँ

ख्याल भी चुप रहते हैं मेरी तरहा ही मेरे साथ में
हिसाब  !!
उठते हुऐ सवालों को देने - करने से डर जाता हूँ

रोज करता हूँ वादा खुद से मैं नजर मिलाने का
लेकिन ,
नजरों में से गिर जाने के भय से डर जाता हूँ
#सारस्वत
21032014 

शुक्रवार, 4 मार्च 2016

मैं देख रहा हूँ ...

 #
मैं देख रहा हूँ छेद चौथेस्तंम्भ में गद्दारी वाले 
मैं देख रहा हूँ अप्लु पपलू नेता गद्दारी वाले 
मैं देख रहा हूँ  ... 
नमक देश का खाकर जो नमक हरामी करते हैं 
देश के टुकड़े टुकड़े करने को आज़ादी कहते हैं 
बगावत के नारे से ज़मानत के भाषण तक 
देशद्रोही को jnu मतवाला हीरो जतलाने वाले 
मैं देख रहा हूँ  ... 
भारत को जो गाली देता क्यों वही सुर्ख़ियों में होता है 
वन्देमातरम कहने पर क्यों कोरट भी रोक लगा देता है 
गद्दारों की टोली को भी देखो हिमामंडित कर देते हैं 
सबसे बड़े देश के दुश्मन ये ब्रेकिंग न्यूज़ बनाने वाले 
मैं देख रहा हूँ  ... 
#सारस्वत 
04032016 6 

हम

#
संवेदनाओं की बोली को अक्सर समझ नहीं पाते 
भावनाओं को बोल कर भी व्यक्त नहीं कर पाते 

सहमति की अपेक्षा तो रखते हैं लेकिन प्रतिपक्ष से 
स्वम को पक्ष विपक्ष के दायरे से निकाल नहीं पाते 

संवाद में वाद से पलायन करना सीख लिया हमने 
कंकर विवाद के उछाले बिना अब खेल नहीं पाते 

माहौल में नकारात्मक ऊर्जा के भाव का प्रभाव है 
हम नासमझ बस इत्ती सी बात समझ नहीं पाते  
#सारस्वत 
04032016 

मंगलवार, 1 मार्च 2016

प्रयास लिखो ...

#
निराशा का घर हो जीवन में अगर तो आस लिखो
नीरस ना हो जाये जीवन ऐसा कोई प्रयास लिखो

गाती जाती गीत धमनी में झरझर बहती सांसें
पल प्रतिपल संघर्ष है खारेपन में मिठास लिखो
प्रयास लिखो   ...
छोड़ जाते हैं साथ फूल पत्ते पतझड़ के मौसम में
खिल उठती है फिरसे वसुन्धरा ये विश्वास लिखो
प्रयास लिखो   ...
मत बांचो विरह वेदना विषाद व्यथा कथा को
सत्य साहित्य दर्शन व्याकरण संधि समास लिखो
प्रयास लिखो   ...
उड़कर देखो पंख लगाकर कल्पनाओं में रंग भरेंगें
स्वप्न छुएं यथार्थ धरा प्रयत्न शिलान्यास लिखो
प्रयास लिखो   ...
#सारस्वत
01032016 

गुरुवार, 25 फ़रवरी 2016

तुम मुझे भगत कहकर नकार सकते हो












#
चलो मान लिया मैंने वो देशद्रोही नहीं हैं
और आपसे बड़ा देशभक्त नहीं हूँ मैं
जिससे तुम्हें सबसे ज्यादा नफरत है
उस वन्देमातरम के चश्मे से देख रहा हूँ
तुम मुझे भगत कहकर नकार सकते हो
चाहो तो खिल्ली भी उड़ा सकते हो
लेकिन जरा रुको  ...
कहीं ऐसा तो नहीं   ...
भगत के विरोध के विरोध में  तुम
सीमारेखा पार चार रन लेने निकल गये हों
मेरा विरोध करते करते ;ज़नाब ,
गद्दारों के सुर तुम्हारे स्वर हो गयें हैं
देखिये देखिये अपने अंदर झांक कर देखिये
साथ में अपने कदमों के निचे भी देखिये
ज़मीन खिसक तो नहीं गई
बिलबिलाईये नहीं तिल्मिलाइये नहीं  ...
तर्क आपके पास भी हैं मेरे पास भी
सतर्क आप भी हैं मैं भी
सवाल आखिर आपके अस्तित्व का है
विरोध करना आपका राजनैतिक धर्म है
यही काबिल सियासतदान का कर्म है
पारंगत हो तुम मानता हूँ
लेकिन किन्तु परन्तु  , फिर भी  ...
आप कितने सही है ये आपको पता है हुज़ूर
मानिये ना मानिये मगर सोचिये जरूर
विरोध तक तो ठीक था मगर  ...
आप नफ़रत की आग में जलने लगे हैं
जलने वाला अक्सर गलती कर बैठता है
पतंगे को संभालकर नहीं रख पाता है
आपका ध्यान किधर है
विचारधारा से शुरू होकर
व्यक्तिविरोध का समर्थन करते करते
देश और समाज के विरोधियों के पक्ष में
आप कब जा बैठे
आपको अभी तक भी पता नहीं चला
सब कुछ विरोध के विरोध में  ... !!!!
किसके विरोध में
किसके समर्थक हो गये हजुर !!!!
तुम्हारी सोच पर आश्चर्य हो रहा है  ...
आपको  ... कुछ पता भी है  ... ???
आपकी जमीन खिसक रही है  ....
फिर भी आप मुंह उठाये चले जा रहे हैं
ये तक नहीं पता चले कहाँ जा रहे हैं
ज़रा टटोल कर देखिये खुद को  ... अकेले में
आत्मा खिसक कर नरक में गिरती  हुई मिलेगी
#सारस्वत
24022016 

रविवार, 14 फ़रवरी 2016

क्या चल रहा है ...

#
समय गति के साथ में दौड़ रहा था , और दौड़ रहा था ज़वान
सियाचिन की चौकी का रौब , वापस लौट रहा था सीमा पर
पार करके हिमखंड जा पहुंचा जब , हिममानव साथियों के करीब
सभी ने हैरान परेशान होकर पूछा  .. .
हनुमनथप्पा !!
तू वापस क्यों आ गया तैनाती पर
खामोश क्यों है कुछ हाल बता  , बता  ... देश में क्या चल रहा है
लांस नायक हनुमनथप्पा बोला  ...
मेरे देश में
सेकुलरिज्म का पहाड़ा पढ़ाया जा रहा है
देशभक्ति को कटटरवाद बताया जा रहा है
मेरे देश में अब शहीदों को याद नहीं किया जाता
वेलन्टाइडे मनाया जाता है
भगत सिंह राजगुरु सुखदेव को भुला दिया जाता है
आज़ाद बिस्मिल को आतंकी पढ़ाया जाता है
सुभाष को फरार मुजरिम लिख दिया जाता है
मेरे देश में गद्दारों का भाव बढ़ रहा है
हिंदुस्तान हिन्दू मुस्लिम में बट रहा है
जो गद्दार हैं मृत्युदंड के अधिकारी हैं
महिमामंडित वो देशद्रोही किये जा रहे हैं
परिसरों को युद्धभूमि बनाने की शाज़िशें हो रही हैं
देश को तोड़ने और विखंडित करने की बातें हो रही हैं
तिलक तराजू तलवार अम्बेडकर विरोधी बताया जा रहा है
भ्रम का माहोल बनाया जा रहा है
दहशत को हथियार बनाया जा रहा है
वोटो के नाम पर जयचंद सियासत कर रहे हैं
मेरे देश में जनेऊ नहीं JNU चल रहा है
और ये कहकर हनुमनथप्पा ने
बर्फ की चादर फिर से ओढ़ ली
और मौन हो गया सदा सदा के लिये
#सारस्वत
14022016 

शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

यही सच्चाई है

#
राष्ट्रिय पर्व मनाने का नाम है वेलेंटाइनडे 
यही हैडलाइन है यही समाचार यही सच्चाई है 

सर्वधर्मसम्भाव की साज़िश नाम है वेलेंटाइनडे 
तथ्य में प्रत्य की गुंजाइश नहीं यही सच्चाई है 

 मस्ती के ढोल पीटने का नाम वेलेंटाइनडे है 
कैसी दीवानगी है ज़वानी की यही सच्चाई है 

खून में घुले खुले पन का नाम है वेलेंटाइनडे 
नयी पीढ़ी है ज़ोश में अंधी है यही सच्चाई है 

हक़ीक़त से मुँह मोड़ने का नाम है वेलेंटाइनडे 
यही यथार्थ है ये ही सत्य है यही सच्चाई है
#सारस्वत 
13022016 

रविवार, 7 फ़रवरी 2016













#
पलट कर देख कभी 'ज़िन्दगी, किताब ही तो है
किसी हिस्से में ज़िक्र मेरा किसी में तू भी तो है
पलट कर देख  ...
कहानियाँ लिख चुका है तू भी यहां मेरे साथ में
मेरे किस्सो में एक किरदार यहां पर तू भी तो है
पलट कर देख  ...
तमन्नाई रंग बिखरे हों चारो तरफ़ ऐसा नहीं है
कश्मकश लिये आरज़ू और सवालात भी तो हैं
पलट कर देख  ...
फ़ुरसत मिले तो पढ़ना कभी आँख के आंसूं
बिखरे हुए लाज़वाब मोती एहसास ही तो हैं
पलट कर देख  ...
प्यास अभी बाकि है ज़िंदगानी के समन्दर में
तलाश ले प्यार लहरों के पार तलाश ही तो है
पलट कर देख  ...
शब्दों को शब्द मिलते नहीं थे जब वक्त पर
अब दर्ज़ हैं सब यहां ज़िन्दगी किताब ही तो है
पलट कर देख  ...
#सारस्वत
06022016 

गुरुवार, 4 फ़रवरी 2016

आज भी ...

#
गुज़र रहा है समां हर रोज़ की तरहा 
साथ है आज भी तू याद की तरहा 

सफ़र में सफ़र का पता नहीं चलता 
असर है तेरा ये तेरी बात की तरहा 

ख्यालों में इस कदर घिरा रहता हूँ 
सवाली मैं चेहरा तेरा ख्वाब की तरहा 

ख्वाइशें ज़िंदा हैं तो ज़िंदा हूँ मैं भी 
आँखों में बस्ता है तू नूर की तरहा 
#सारस्वत 
04022016 

जयहिंद हिममानव



#जयहिंद 
सियाचिन में 
माँ भारती की रक्षा करते हुए 
हिममानव में परिवर्तित होने वाले 
अखण्ड भारत के 
वीर सेनानियों को शत शत नमन 
ॐ शांति शांति शांति
#सारस्वत 

शुक्रवार, 15 जनवरी 2016

तेरे हर लव्ज़ को ...


                           #
तेरे हर लव्ज़ को दर्द में डूबा हुआ देखा है
फिर भी हमने तुझ को हस्ता हुआ देखा है
तेरे हर लव्ज़ को  ...

अंदाज़े से चल रहा है जिंदगी का सफ़र
दूर तलक कोई कहीं आता नहीं नज़र
बस खामोशी तुझको हमने जी भर देखा है
तेरे हर लव्ज़ को  ...

किस तरहा सजाऊं तुझे बुलाऊँ सपनों में
गुनगुनाहट है ख़ामोशी लिये वीरानों में
नींद के दरवाजे पे लगा पैहरा हमने देखा है
तेरे हर लव्ज़ को  ...

समंदर से गैहरी तेरी ईन भीगी पलकों से
निकले अरमान कई बिखरे सांसों में पलके
जब भी छलका काजल रंग सुनहरा देखा है
तेरे हर लव्ज़ को  ...

अब भी बाकी हैं निशानियाँ वीरानियों की
रिस्ते एहसास टूटते छूटते आशियानों की
मासुम खुशियों को हमने फिसलते देखा है
फिर भी हमने तुझको ...
#सारस्वत
09012014

शनिवार, 9 जनवरी 2016

दर्द के साथ में

#
सोचता हूँ
चोट दिल पर लगी ज़ख्म गैहरे तक गये
चीस को सींचते निशान नासूर बन गये
दर्द को बंद कर दूँ किसी कनस्तर में
और लगा दूँ डांट पर टांके पीतल के
मर जाये मरदूद वहीं पर फांके के साथ में

लेकिन , दर्द भी अकेला नहीं है यहां
हमदर्द कई दर्द लिए साथ में खड़े हैं
लड़ने भिड़ने को कंधे से कंधा अड़ाए
रिश्ते नाते दावेदार सभी चढ़े पड़े हैं
खामोशी है उदासी है तन्हाई है दर्द के साथ में

और गहरे  ...  देखता हूँ
ख़ीज की चिपकी हुई काई है
कुंठा की सूखी हुई पत्तियाँ हैं
फूँस का ढेर सुलग रहा है निरंतर
तड़प है जलन है तपन है इस दर्द के साथ में

दिन बेस्वाद सा घुटन भरा सा
रात भटकाव लिये चुपचाप सी
यादों की बस्ती दूर तक फैली हैं
जख्मीं किस्सों की गडमड रैली है
मुकम्मल इंतजामात हैं यहां दर्द के साथ में

चारो तरफ ही नज़र दौड़ता हूँ मैं
हर मोड़ पर ठिठक जाता हूँ मैं
नज़र कोई आता नहीं दूर भी जाता नहीं
किसको चुन लूँ किसको जाकर पकडूँ
किसको डालूं कनस्तर में दर्द के साथ में

रौशनी में भी रौशनी नज़र आती नहीं कोई
दम कितना घुटता है इसका माप नहीं कोई
एहसास की तपीश लिए अकेला जलता हूँ
दरारों से गिरता है रिस्ता है लावा झरता है
उठता है धुंआँ खुदबखुद में दर्द के साथ में

सुना है तैय शुदा है मौत सबकी , मगर  …
दर्द की मौत भी नहीं आती जनता हूँ
आँखे रोती है तो दरिया फूट पड़ता है
बरसात का मौसम वरदान में मिला है
पीप से रिसते हैं रिश्ते इसी दर्द के साथ में
#सारस्वत
10042015