सोमवार, 26 मई 2014

आया है माँ का लाडला











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राग देश अनुराग भेष , आया है माँ का लाडला
माँ भारती की सेवा में , आया है माँ का लाडला
*
हो रहा है शंखनाद , जन गण मन के मान का
हिमालय से इन्दुसरोवर , नव भारत निर्माण का
तिलक चन्दन काशी गंगा , गौ का रक्षक लाडला
माँ भारती की सेवा में , आया है माँ का लाडला
*
उन्नति के उच्च शिखर पर इस तरह से नाम हो
विश्व के शीर्ष शिखर पर भारत का सम्मान हो
नव उदय का निश्चय लेकर आया है माँ का लाडला
माँ भारती की सेवा में , आया है माँ का लाडला
#सारस्वत
26052014 

गुरुवार, 22 मई 2014

प्रारब्ध में क्या लिक्खा है



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प्रारब्ध में क्या लिक्खा है
भ्रमजाल में उलझ गया
प्रारब्ध में  …
बाल सुलभ एहसास सखा का
लवण प्रियतम छिड़क गया
प्यार का सागर भीतर भीतर
भर छलांगे गुजर गया
प्रारब्ध में  …
झुलसा झुलसा प्रेमाग्नि में
मन कस्तूरी पिघल गया
विरह के पथ पर अटका सटका
प्रेम अगन में भटक गया
प्रारब्ध में  …
ऊष्मा ऊर्जा मुर्झाने लगी हैं
शोकगीत के गाने लगी हैं
बर्फ जम गई शरदऋतु सी
मन चंचलमन किधर गया
प्रारब्ध में  …
#सारस्वत
18052014

रविवार, 18 मई 2014

तन्हाइयों से परेशांन हूँ













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तन्हाइयों से परेशांन हूँ , फिर भी जीये जा रहा हूँ
मैं क्या करूँ कहाँ जाऊँ , यूँ ही जीये जा रहा हूँ
*
क्यूँ कुलबुलाते हैं दिल में ये अरमाँ
जब इनकी कोई भी मंज़िल नहीं है
लेता हूँ गैरों से अपने पे अहसाँ
क्यूँकि मेरा कोई , साहिल नहीं है
दुनिया के आगे पशेमांन हूँ , फिर भी जीये जा रहा हूँ
मैं क्या करूँ कहाँ जाऊँ , यूँ ही जीये जा रहा हूँ
*
मुझे अपनी साँसो से शिकवा ना होता
कभी कोई मुझसे मुहब्बत जो करता
अगर हमसफ़र कोई मेरा भी होता
क्यूँ मैं अकेले में घुट घुट के मरता
अपने मुकद्दर पे हैरान हूँ , फिर भी जीये जा रहा हूँ
मैं क्या करूँ कहाँ जाऊँ , यूँ ही जीये जा रहा हूँ
#सारस्वत
01021998  

शुक्रवार, 16 मई 2014

सुप्रभातम













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हिमालय से इन्दू सरोवर
हिन्दुस्ताँन मेरा भारत
अखण्ड एकता नवचेतना
जीवन दर्शन मेरा भारत
मेरा भारत युवा भारत
सबसे प्यारा मेरा भारत
स्वतंत्र भारत मेरा भारत
गणतंत्र भारत मेरा भारत
#सारस्वत
17052014

गुरुवार, 15 मई 2014

गुगल ने किया सलाम








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खुल के हुआ मतदान , किया गुणगान दुनियाँ ने
गुगल ने किया सलाम , गुगल की समझदारी है
उज्व्व्ल भारत की खातिर , जनशक्ति एक हो गई
चंद घंटो की देरी सेरी , फिर मतगणना की बारी है
करो तैयारी खुली हवा की , जनता यही दोहराती है
कमल खिलेंगे गिनते जाना , गणना सब सरकारी है
#सारस्वत
15052014 

पंथ अनेक पथिक अनेको

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पंथ अनेक पथिक अनेको , अनगिनत पठ्येय
वर्ण ध्यान एक चितरंतर  , और एक है ध्येय
*
आने को तेरे मन्दिर में , प्रभुः लाखों हैं द्वार
मनमष्तिष्क मानस पटल पर , है ऐक ही सार
उस श्र्द्धेय पथ को ज्ञान चक्षुः लेते हैं पहचान
पर्वत माला जिस मार्ग में , गीता वेद पुराण
भुला भटका सा ये राही , अब तक रहा है डोल
इस दुविधा में जाने कितने , द्वार चुका टटोल
हे प्रभु , बिना प्राप्त किये ,तेरा स्वछन्द संकेत
पा ना सकुंगा हे परवर , तेरा पुण्य निकेत
मै ना जानू मै क्या हूँ , मै ना जानू तू क्या है
मै ना जानू जीवनमृत्यु , मै ना जानू जग क्या है
मैं ना गया मँदिर सीढ़ी , मैं ना घुमा चारो धाम
गृहस्ती बंधन में उलझा हूँ , ये जीवन है संग्राम
सुखदुःख के जो बादल छाये , सब बातें बेमानी हैं
मै ना हारा तू ना जीता , जाँ भी तेरी दिवानी है
अब उम्र नहीं लम्बी मेरी , ना जाने कब ना कैहदे
अन्तिम छण है दीन बन्धु , मुझ्को भी कोई वर दे
मै भी पालुं परम परमातम , तेरा दर्शन श्रेय
वर्ण ध्यान एक चितरंतर  , यही एक है ध्येय
#सारस्वत
11052014 

मंगलवार, 13 मई 2014

सुरमई सपनो के अंदर

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सुरमई सपनो के अंदर 
पंख लगे हैं सुंदर सुंदर 

सुरमई ...
*
तितली मन उड़ता जाता 
कलियोँ सा खिलता जाता 
खिली धुप सा इतराता है 
मनमयूर देख के अम्बार 
सुरमई ...
*
अन्तर्मन विचरन करता 
चंचल मन उड़ता फिरता 
सपन सरीखी सीप के अंदर 
अंनत शिखाऐ बीच समंदर 
सुरमई ...
*
हर पल आते नींद झरोंखे 
रंग सुनैहरी हवा के झोखे 
इंद्रधनुष की जलधारा है 
मुक्तधरा सपनो के अन्दर 
सुरमई ...
#सारस्वत 
23012014

रविवार, 11 मई 2014

"माँ"















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दुनिया से रूबरू किया माँ ने मुझे
ऊँगली पकड़ चलना सिखाया माँ ने मुझे
आज मैं जो भी हूँ तेरे ही दम से हूँ माँ
पैहला सबक जिन्दगी का दिया माँ ने मुझे
त्याग  की  मूरत  ,  ममता  की  सूरत
गुरु     भी     तूही , ईश्वर     भी   तूही
हे        मातेश्वरी     तुझको   प्रणाम
#सारस्वत
05092013

शनिवार, 10 मई 2014















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हर एक बात पे मुझसे , यूँ तुम पूछा ना करो
तीर'ऐ,नजरों से तुम , मुझको देखा ना करो
*
बात निकलेगी तो फिर , दूर तलक जाएगी
हर एक राज तुम यूँ , मुझ से पूछा ना करो
*
दिल जलता है सुलगता है , तन्हां रातों में
गुजरती रात का आलम , तुम पूछा ना करो
*
कुछ धडकता है सीनें में , और मैं मरता हूँ
इश्क कैहते है किसे , मुझ से पूछा ना करो
#सारस्वत
212013

शुक्रवार, 9 मई 2014

न वो बोले न हम बोले













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मैं ये सोच के बैठा था , ये पूछूंगा जब मिलूंगा
लेकिन , यूँ मिले अचानक से
न वो बोले न हम बोले
*
निगाहें मिली मुस्कुराये , कदम हिले करीब आये
हुऐ मशगूल रिवाजों में , इस कदर
न वो बोले न हम बोले
*
हाथ पकड़ कर हाथ में , खड़े थे आपने सामने
दिलों में इतनी थी दूरियाँ , के
न वो बोले न हम बोले
#सारस्वत
09042014

मिटटी का पुतला है प्राणी















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मिटटी का पुतला है प्राणी 
तू मिटटी में मिल जायेगा 
*
मोह माया की बाँध पोटली
ना कुछ हासिल कर पायेगा
*
अहंकारी तिलक लगा कर
कभी जीवन तर ना पायेगा
*
रिश्ते नाते यहीं रह जायेंगे
कोई साथ ना तेरे जायेगा
*
क्या चलता है धृत् चाल तू
मरघट तक चल ना पायेगा
#सारस्वत
10042014

गुरुवार, 8 मई 2014

शुभ_दिन_सुन्दर_हो














उम्मीदों का सवेरा हो     *    उमंगों का बसेरा हो 
खुशियों का आँगन हो    *    रश्मियों का आगमन हो
आस का दीपक हो        *    आशा प्रकाशक हो
सांसों का तर्पण हो        *    प्रेम का दर्पण हो 

साथ का एहसास हो      *    परस्पर विश्वाश हो        
जीवन परिवर्तन हो       *    सम्पूर्ण समर्पण हो   
मानव मन मन्दिर हो    *    शुभ दिन सुन्दर हो 
#सारस्वत
09052014

बुधवार, 7 मई 2014

राम सांप्रदायिक हो गया










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शासनादेश आया है राम सांप्रदायिक हो गया
अब कोई मंच राम का चित्र  नहीं सजायेगा
शासन का आदेश है राम राम मत बोलो तुम
चौरासी कोसी परिक्रमा पर कोई नहीं जायेगा
राम के देश में रावण का राज स्थापित हो चुका
तुलसी रामायण पढ़ना मुलायम जुर्म कहलायेगा
राम के देश में अब राम नाम प्रतिबन्धित हुआ
राम का नाम गुणगान किया तो सजा पायेगा
सांप्रदायिक बता रहे हैं नेताजी राम के नाम को
कैसे यकीन करूँ मैं देश में राम राज्य आएगा
रामकहानी सिर्फ़ कल्पना आदालत को बता दिया
रामसेतू ऐक बूढ़ा पुल है उसे तोङ दिया जायेगा
राम नाम सत्य है सत्य के सिवाय कुछ नहीं
धर्म के इस भ्रम से अब पीछा छुड़ाया जायेगा
 #सारस्वत
07052014

शनिवार, 3 मई 2014

.... नये गुर सीखे हैं ….

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नये   गुर    सीखे    हैं   ,  नये   पेड़   सीचें   हैं
आज   के   समाज   ने ,  नये  दम्भ  सीखे  हैं
नई लिक्खी है किताब , नये शब्द का रिवाज
छन्द  बन्द  सब  नये , नये  हुड़दंग  सीखे  हैं
नये   गुर    सीखे    हैं   …
शकल  की  नक़ल में , रंग   ढंग   अकल   में
सच्च   पे   झूठ   के  , सब  दावे  वादे  ठूंठ के
रीढ़   है   ना  मूँछ  है , पैंदी   में    भी   छेड़  है
खेद गऊ ग्रॉस ने यहाँ , हारी  बाज़ी  जीती  हैं
नये   गुर    सीखे    हैं   …
ख्वाइशों की फौज है , फरमाइशों पे शोध है
उड़  गये  उसूल  सारे , सब  हुऐ  अंगरेज हैं
सुवाद की कटोरी में , ली सुबकियाँ चटोरी ने
सबर कबर में दफ़न , ईमान  हुआ   चोरी  है
नये   गुर    सीखे    हैं   …
उड़ गई पतंग बन के ,   सिर   की       पगड़ी
चलन में बदचलन नसल , पोहोंच  में  तगड़ी
जहाँ की जिंदगी मौत , शुरू जिन्दगी वहीं से है
नई होड़ के समाज ने , ये  रीत  नई  सीखी  है
नये   गुर    सीखे    हैं   …
नई  सोच  नई  बात ,  सच से आँखें  मीची  हैं
नये बीज नई फ़सल , सभी लालची में लीची हैं
तमीज की कमीज़ में , ये सलवटों का दौर है
                                                              ऊँठ   की   दौड़  में  , अब नहीं किसीसे पीछे हैं
                                                              #सारस्वत
                                                              03052014

खिड़कियाँ ... बंद खोल दो ... सदा के लिए

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खिड़कियाँ ... बंद खोल दो सदा के लिए
आने दो ... हवा खुली साथ लाने के लिए
खिड़कियाँ ... बंद खोल  दो ... 

सदा के लिए 












दर्द का इलाज ... दर्द नहीं होता कभी भी

समंदर तो होते ही हैं ... डूब जाने के लिए
खिड़कियाँ ... बंद खोल  दो 

... सदा के लिए

ख्वाइशों को ... हक़ीक़त का ज़ामा पहना
ख्याल तो ... होते ही हैं आज़माने के लिए
खिड़कियाँ ... बंद खोल  दो ... 

सदा के लिए
उठो-चलो ... मजबूती से हौसले के साथ में
सुबहा ... आने को है नई रौशनी के लिए
खिड़कियाँ ...बंद खोल  दो ... 

सदा के लिए

#सारस्वत
03052014

शुक्रवार, 2 मई 2014

ख्याल जरूरी है


















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गुजरे जब शाम शहर में , तो ख्याल जरूरी है
उतरे जब शाम ऐ असर , तो ख्याल जरूरी है

वक्त का लौट के आना , यादों की उधारी है
हो वक्त को वापस लाना , तो ख्याल जरूरी है

मौसम की हर एक बारिश , का हिसाब जरूरी है
जब लम्हे करे ये गुजारिश , तो ख्याल जरूरी है

हसरत को जिन्दा कर लो ,  गहरी सी खुमारी है
ख्वाइश की कमीं मकानों में , तो ख्याल जरूरी है

आखों में इश्क का काजल , दिल की बिमारी है
हो शामेगजल की महफ़िल , तो ख्याल जरूरी है

#सारस्वत
30042014



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देश  की  खातिर  जीने  का  फौजी  का  शौक  रहा  है 
भारत  पर  मरने  वाले  हर  फौजी  का  रोब  रहा  है 
सियासत  की  गंदी  चालों  में  उसे  ना  घसीटो  तुम
सरहद  की  हिफाजत  में  जो  जिम्मेदारी  से   खड़ा  है 
बंद  करो  नेता  जी  फौजी  को  हिंदू  मुस्लिम  कहना 
मुल्क  का  हर  एक  फौजी  हिंदुस्तानी  फौजी  रहा  है
#सारस्वत
22042014



"नाक में दम कर रक्खा है मजदूर ने"

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जीवन की सच्चाई यही है 
मजदूर को हर कोई मजदूर समझता है 

बस , 

हाड़मास का पुतला समझता है 
इस से ज्यादा कुछ नहीं समझता है 
बराबर से 
उसके ऐसे गुजरा जाता है 
जैसे , 
मशीन के पास से निकला जाता है 
संवेदनाये खत्म हो गई आज 
इंसान की इंसान के प्रति 

जिसे , 
कुंठा का शिकार बना दिया समाज ने 
ऐसे में , 

अब नाक में दम करने वाला ही लगेगा 
जो दुनिया के आगे 

झुका हुआ खड़ा है सदियों से 
गुलाम तो नही है फिर भी 
गुलामी ने जकड़ा हुआ है , जिसे 
अछूत नही है लेकिन 
अछूत समझता है सभ्य समाज , जिसे 
वो मजदूर है , 
जो आज भी 
ऊँचे लोगो को भगवान की तरह देखता है 
दानापानी के लिए उनके चक्कर लगता है 
अपनी ही मजदूरी जिसे 

कभी समय पर नही मिलती 
जिसे 

सभी नाक में नकेल दाल कर रखना चाहते हैं 
वही मजदूर 
अगर बात का जवाब देता है तो 
कहा जाता है 
नाक में दम कर रक्खा है मजदूर ने 
#सारस्वत

02052014

गुरुवार, 1 मई 2014

"मजदूर दिवस पर"

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दिहाड़ी मजदूर हूँ मैं
रोज़ लहू बहाता हूँ  ... पसीने की तरहा से  ...
शाम से पहले  .... थक कर चूर हो जाता हूँ ....
हो जाता हूँ मुर्दा .... की शकल में   ....
सांसे खींच ले जाती हैं .... खुदबखुद घर के करीब   ....
तब जाकर ,
चुल्ल्हा जलता है   .... धुंआँ उठता है   ....
खाना नसीब होता है   .... खुशियों की शकल में   ....
मेरे ख़ून का कुछ मोल नहीं है   ....
दिहाड़ी मजदूर हूँ मैं  .

मेरे हाथ में हुनर है   .... बस रेखा नही है   ....
महल बनता हूँ मैं   .... बुनियाद की ईंट हूँ   ....
सड़कें पूल बनाये कई  .... खुद को गला कर   ....
जोहरी हूँ   .... ]जेवर बनता हूँ   ....
खुशियाँ सजाता हूँ   .... दुनियाँ को दुनिया बनता हूँ   ....
लेकिन ,
नायकों की भीड़ है यहाँ   .... चलने का हक नहीं मुझे   ....
अपने सपनों को यहां   .... छूने का हक नहीं मुझे   ....
दिहाड़ी मजदूर हूँ मैं  .

मजदूर की मजदूरी देंगे   .... सफेदपोश फुर्सत के साथ में   ....
अभी मशगूल हैं साहब   .... मना रहे हैं मजदूर दिवस   ....
पेट की भूख का  ....कोई अंदाजा नहीं जिन्हें   ....
बखान वही सब करेंगे   .... तालियों के साथ में   ....
दौलत लुटायी जायेगी   .... मजदूरों के नाम पर  ....
मेरा नाम लेकर सभी  .... फोटो खिंचवाएंगे   ....
इसलिए ,
आज मुझे   .... भूखेपेट सोना होगा   ....
मैं अखबार की   .... कल हैडिंग बनूगा  ....
दिहाड़ी मजदूर हूँ मैं
#सारस्वत
01052014