शाम को घर लौटते हुए
अचानक रजत की दुकान पर नज़र ठहर गई
कदम रुक गए याद आया ,
कल रक्षाबंधन है भाई बहन का त्यौहार
सुबह ही बेटी ने याद दिलाने वाले अंदाज़ में कहा था
और उसने अपने भाइयों के लिए राखी लाने के लिए बोला था
रजत से दोनों बेटो के लिए राखी खरीदकर
थके कदमों के साथ घर में दाखिल हुआ
बेटी ने दौड़ कर पानी का गिलास थमाया
और मुस्कुराते हुये सवालिया निगाहों से मुझे देखने लगी
मैंने भी मुस्कुराते हुए
उसके हाथ में राखी का लिफाफा रख दिया ,
लिफाफे को लेकर आंगन की चिरईया
अपने भाइयों की तरफ दौड़ी
मैं कपडे बदलने लगा ,
बराबर के कमरे से
तीनो बच्चो की खिलखिलाकर हसने की आवाज आ रही थी
उनकी आवाजे आत्मा को सुकून दे रही थी
अंतर्मन की उदासी को दूर कर रही थी
अचानक से आवाज़े ख़ामोशी में तब्दील हो गई
जब छोटे ने पूछा
पिता जी की राखी किधर है
और जवाब उसकी माँ ने दिया
तुम्हारे पिताजी की बहने राखी भेजती कब हैं ...
और मुझे याद आने लगा
राखी का वो मनहूस दिन
जब पिताजी ने आखरी साँस ली थी !!!!!
#सारस्वत
25082018