शनिवार, 9 सितंबर 2017

नज़र ...

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नज़र ने नज़र से नज़र को जो मारा 
दिल ही दिल में दिल देके दिल हारा 

हटी भी ना थी नज़र हवा में घुल गया 
बन कर खुशबु फ़िज़ा में इश्क बेचारा 

नज़र ना आये तो धड़कता है ये दिल 
जब आया नज़र में धड़कनों ने मारा 

इश्क में आशिक ने इश्के ईबादत में   
मांगी इतनी सी दुआ हो मिलना दोबारा

ख़ैर की खबर नहीं तो सुकून भी नहीं   
नज़र से मिले नज़र तो बदला नज़ारा  
#सारस्वत 
10092015

रविवार, 3 सितंबर 2017

रिस्ते हुए रिश्ते

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रिश्तों में रिश्ते रिसने लगे हैं 
पलकों में पलके पीसने लगे हैं 
फ़िक्र है फ़िक्र की फिक्रमंद हूँ मैं 
नज़र में नज़र के नज़रबंद लगे हैं 
दुआ में दुआ सा वो असर अब नहीं 
दुआओं की दीवारों पे ज़ाले लगे हैं 
ज़िक्र के ज़िक्र में हुआ ज़िक्र ख़ामोश 
अक़्स नक्स ज़ुल्फ़ें जब उतरने लगे हैं 
दाव पर लगा दी यहां तमाम ज़िन्दगी 
दावेदार अभीतक आज़माने में लगे हैं 
दिलों में दिलों के अब मोहब्बत नहीं है 
धुंये की शकल में सब सिरहाने लगे हैं 
#सारस्वत 
06022013 

शुक्रवार, 1 सितंबर 2017

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मिलना किसी रोज़  ... 
मिलना तुम , ऐ जिंदगी फुर्सत के साथ में 
देखना !!
क्यों नहीं मिलती , मोहलत जिम्मेदारी के साथ में 
प्यासे को पानी  ... 
खुद पीना पड़ता है , बस  इतना समझ लो 
निवाला !!
तलक नहीं जाता , खुद चल कर  मूंह के पास में 
मिलते तो हैं  ...
इस दुनियां के लोग , चाहे मतलब से मिलते हैं 
वैसे !!
वक्त ही कहाँ मिलता है , यहाँ कभी वक्त के साथ में 
आसान तो यहाँ पर  ...
कुछ भी नहीं है , जिंदगी जीने के वास्ते 
जीतकर !!
हारा हूँ रोज़ , झूठसच की लड़ाई में बड़ाई के साथ में 
#सारस्वत 
01092017