मंगलवार, 8 जनवरी 2019

बचपन के दिन

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बचपन के दिन !
बचपन की याद !!
बचपन की साथ  !
बचपन की बात !!
फिर से निकल जाते थे ..
खेलने ..
घंटों उधम मचाते ..
गिल्ली डंडा कंचे ..
जाने क्या-क्या .. 
खेलने के बाद भी ,
कमबख्त ..
बच ही जाता था समय ,
चुगली करने का ..
लड़ने झगड़ने का ..
फिर रात का सफर ..
गैहरी नींद के साथ ..
दोस्ती ,
सपनीले ख्वाबों से .
बचपन की बात !
बचपन की याद !!
#सारस्वत 
22102013

मंगलवार, 1 जनवरी 2019


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खोने को रोज़ एक दिन खो देता हूँ 
पाने को एक नया दिन पालेता हूँ 
खोने को रोज़ खोता हूँ मैं खुद को 
पाने को रोज़ नाक़ामी पालेता हूँ 
कुछ भी नही बदला सब रोज़ सा 
वही दिन का आना रात का जाना 
सुभहा शाम गम से गप्पे लड़ना 
ना कुछ नया पाया ना ही खोया 
सिवाय इस गुजरते हुऐ वक्त के 
जो गया साँसों से वापस ना आया 
खुद का पता नही खुदा का क्या कहूँ 
दहशत ना वहशत बस जिऐ जा रहा हूँ 
14022014