मंगलवार, 26 नवंबर 2019

लक्ष्य ...

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पड़ाव को जिसने मंजिल समझा है
लक्ष्य उन आंखों से ओझल हुआ है
पड़ाव को जिसने  ...
त्वरित लाभ के किसी मोहजाल में
लिपटा चित्त जिसका वर्तमान में 
आने वाले कल का भान नहीं उसे
वो , सरल नहीं है उलझा हुआ है
पड़ाव को जिसने  ...
अंधियारे से लेकर उजियारे तक
केवट बन चलो नदिया धारे तक
लड़ो क्षणिक जीत के दीर्घ हार से 
दिये की लौ से भी उजाला हुआ है
पड़ाव को जिसने  ...
#सारस्वत
26112019 

मंगलवार, 29 अक्तूबर 2019

#शुभमंगल #भैयादूज!!


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बचपन में अगर 
आपने अपने छोटे होने की 
कभी किसी से कोई शिकायत नहीं की 
बचपन में अगर 
किसी बड़े से आपका 
कभी भी कहीं कोई झगड़ा नहीं हुआ 
मेरी पेंसिल मेरा बैग 
वाली लड़ाई अगर नहीं हुई 
आपकी किसीसे अपने ही घर में कभी 
मेरे कपड़े तुमसे अच्छे 
ऐसा बोल कर यदि किसी को 
चिढ़ाया नहीं तुमने कभी बचपन में 
छुटपन में 
मंदिर से लाये थे तुमको 
एकदम चूनासा छोटा सा था तू
चाहो तो 
मम्मी से पुछ लो 
चिढ़ाने को यदि नहीं कहा किसीने 
यक़ीनन 
आपका नाम भी 
तब उन्हीं लोगों में शामिल है ,
जो  
छोटा भाई बहन होने के 
सुख से वंचित रह गए शायद ... 
#सारस्वत 28102019

शनिवार, 31 अगस्त 2019

कभी पेड़ों पर हुआ करते थे हमारे घोसले ...


चहकते फिरते थे कभी अब बेघर बंजारे हैं 
कभी पेड़ों पर हुआ करते थे हमारे घोसले 
कंक्रीट के जंगल को विकास कहती है दुनियां 
खा गए हरियाली को तरक़्क़ी के ढकोसले 
कच्चे घरों के तापमान में परिवार रहता था 
मकान पक्के हुए तो रिश्त हो गए खोखले  
तुमने कमी नहीं छोड़ी हमने जीना नहीं छोड़ा
बनावटी हो गए तुम हम हिम्मत के हौसले 
कभी पेड़ों पर हुआ करते थे  ... 
#सारस्वत 
31082019 

शनिवार, 24 अगस्त 2019

सनातन सुदर्शन साक्षी


नंद का पाला है यशोदा का लाला है कृष्ण 
वसु का बेटा देवकी का दुलारा है कृष्ण 
मनमोहन है माधव है मुरलीमनोहर है 
गोविन्द है गिरधर है गोपाला है कृष्ण 

सेवक भी राजा भी 
शिष्य भी प्रार्थी भी 
पंच भी परमेश्वर भी 
सहायक भी सारथि भी 
क्या नहीं है कृष्ण सबकुछ तो है कृष्ण 
सोलह कलाओं में पूर्ण सम्पूर्ण है कृष्ण 

भाव में प्रभाव में 
आभाव में संभव में 
न्याय में आस्था में 
प्रेम की परकाष्ठा में 
कहां नहीं है कृष्ण सब जगह तो है कृष्ण 
अर्पण में तर्पण में समर्पण में है कृष्ण 

दर्शन से श्रंगार तक 
निति से ज्ञान तक 
शास्त्र से शस्त्र तक 
ध्यान से प्रमाण तक 
जीवनजन्म सुखशांति आधार है कृष्ण 
धर्म स्थापनार्थ अद्भुद गीताज्ञान है कृष्ण 

प्रसार है कृष्ण 
प्रगति है कृष्ण 
समृद्धि है कृष्ण 
प्रार्थना है कृष्ण 
कल्याण है कृष्ण 
अच्चुतम है केशव है दामोदर है बल्लभ है 
राम भी है कृष्ण नमो नारायण भी है कृष्ण 

#सारस्वत 
24082019 

शुक्रवार, 9 अगस्त 2019

जलधारा ... प्रियतम ... मिलन ...

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पहले 
चंचल उच्छल 
जलधारा सी बहती थी  ‼️
प्रियतम 
मिलन की आस लिए   
अविरल चलती रहती थी ‼️
इठलाती थी 
जो बलखाती थी 
मन उसका यूँ तृप्त हुआ ‼️
व्यक्त हुआ 
जब मेल हुआ  
और सरिता सागर हो गई ‼️
#सारस्वत 
10082019 

बुधवार, 31 जुलाई 2019

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आज फिर से लहराया है... 
उसने;
पर्दों को, दरवाजे पर 
चश्में चिरागों से, रोशन होंगी...
खिड़कियाँ;
आज फिर... देर रात तक 
और ;
कोई होगा,
... जो ...
दूर से देखकर, करेगा एहसास 
ओम के, 
प्रकाश के गुंजन की, थिरकन को 
#सारस्वत 
31072019

शुक्रवार, 21 जून 2019

योग दिवस ...

  
वो बचपन की पढ़ाई ,
हम जिस से अक्सर घबराया करते थे 
यह उस समय की बात है ,
जब हम भी स्कूल जाया करते थे 
गणित के चार सवाल ,
गुणा भाग घटा योग भूल जाया करते थे 
फिर योग से योग तक ,
मास्टर जी सब याद दिलाया करते थे 
तख्ती कलम दवात , 
गुजरा हुआ ज़माना आजभी याद आता है 
तुम क्या मुकाबला करोगे ,   
साल में एक दिन योग दिवस मनाते हो 
वो भी क्या दिन थे ,
योग दिवस जब हम रोज़ मनाया करते थे 
#सारस्वत 
21062019 

रविवार, 2 जून 2019

वाह जिंदगी ...


किस्सा ये पुराना है 
सबको ही सुनना है 
गुजरा जिधर बचपन 
फिर से दोहराना है 
वहीं का ख्याल वहीं का जूनून 
वही एक तलब वही एक सुकून 
लब्ज़ों की गठरी है 
हसरतों की निशानियां 
करीब से दूर तलक 
शैदाई जिन्दगानियाँ 
बस 
खुद को भूल जाना है 
फिर से दोहराना है ,
 किस्सा ये पुराना है 
लम्हा दर लम्हा हुआ असर का असर 
यक़ीन के यक़ीन पे थी नज़र की नज़र 
वो झोंका हवा का 
जहाँ से भी गुजरा 
ठहर गया मौसम 
खिल उठे बदरा 
उन्हीं 
सपनो से गुजरना है 
फिर से दोहराना है 
किस्सा ये पुराना है 
बहुत कुछ कहना था बहुत कुछ सुनना था 
लड़ना था झगड़ना था मिलना मिलाना था 
खुद से छुपा ना सका 
खुद को ही बता ना पाया 
खुशियां दबाता आया 
यादों से निकल ना पाया 
अब 
हकीकत से गुजरना है 
फिर से दोहराना है 
किस्सा ये पुराना है 
#सारस्वत 
02062019 

गुरुवार, 16 मई 2019

हम धनिया सजा कर बैठे हैं ...

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सज धज कर हम आकर बैठे हैं , झगडे सगड़े भुला कर आ बैठे हैं 
तुम सत्ता विरोधी वोट करना , हम धनिया सजा कर आ बैठे हैं 
बटवारे की चिंता मत करना  , लुटेरे ठग बंधन कर आ  बैठे हैं
*
अभी अच्छा तुम एक काम करो , मोदी को दिल्ली से बाहर करो 
फिर मिलावट की पूरी बनाएंगे , मिल बांट कर तब ही ना खाएंगे 
कोई जतन करो कोई यत्न करो , झूठी सच्ची कोई भी टंगड़ी करो 
चलो मंदिर मंदिर की होड़ करो , मंदबुद्धि पर मंदिर से चोट करो 
डटजाना अड़जाना तुम लड़जाना , बस पीछे ही तुम्हारे हम बैठे हैं 
तुम सत्ता विरोधी वोट करना , हम धनिया सजा कर आ बैठे हैं 
बटवारे की चिंता मत करना  , लुटेरे ठग बंधन कर आ  बैठे हैं
*
बोलो तो ठर्रा छर्रा तमंचा सब , जो चाहोगे यहां मिलेगा सब  
जाती से जाती को लड़ा दोगे तो  , मज़हब और धर्म लड़ेंगें सब 
चलो उठो देश के गद्दारो तुम , इसे जंग समझकर लड़ना तुम 
आज वक़्त आख़री आन पड़ा , हारे तो सब कुछ हारोगे तुम  
धंधे नंबर दो करने वालो सुनो , सब ठीयेबंद आ करके  बैठे हैं 
तुम सत्ता विरोधी वोट करना , हम धनिया सजाकर आ बैठे हैं 
बटवारे की चिंता मत करना  , लुटेरे ठग बंधन कर आ बैठे हैं
*
फिर मत कहना बतलाया नहीं , मौका था किसी ने टोका नहीं  
वो भगत सिंह की बात करेंगें , सुभाष आज़ाद को याद करेंगें 
सिरे से तुम सबको झुठलाना  , आतंकी उन सबको बतलना 
चरखे की चकरी के किस्सों से , नेहरू दर्शन तक पहुंच जाना  
याद रखना सभी एक मूलमंत्र , सावरकर को गद्दार बताकर बैठे हैं 
तुम सत्ता विरोधी वोट करना , हम धनिया सजाकर आ बैठे हैं 
बटवारे की चिंता मत करना  , सब लुटेरे ठगबंधन करके  बैठे हैं
#सारस्वत 
16052019 

शुक्रवार, 10 मई 2019

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उधड़े अरमानों की तुरपाई कर लिया करता हूँ 
हौसलों के धागों से उम्मीदें पिरो लिया करता हूँ 

अहम में जीते हैं तो कुछ लोग वहम में जीते हैं 
थोड़ा सा अलग हूँ बेपरवाही जी लिया करता हूँ 

मुश्किलों के पहाड़ों का नाम ही तो जिंदगी है 
वक़्तेनाज़ुक में गिनती ख़ैर की किया करता हूँ 

लड़खड़ाकर ही सही मगर चलता रहता हूँ 
गिरता भी हूँ तो खुदसे उठ लिया करता हूँ 
#सारस्वत 
10052019 

मंगलवार, 19 मार्च 2019

शारारारा !. बोलो शारारारा !!.. शारारारा !!!. बोलो बोलो शारारारा !!! ...

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चुनाव सर पर आ गया तो , नतीज़े भी रुझान के आने लगे हैं 
भक्त लेने लगे हैं मौज़ , चमचों को डकारें खट्टी आने लगी हैं 
शारारारा !. बोलो शारारारा !!.. 
शारारारा !!!. बोलो बोलो शारारारा !!! ...
आज सत्ता के गलियारों , कुछ ऐसी सच झूठ में लगी पड़ी है
बढ़ने लगा है शुगर का लेविल ,गालियां वैरायटी में आने लगी है 
शारारारा !. बोलो शारारारा !!.. 
शारारारा !!!. बोलो बोलो शारारारा !!! ...
कंजर खाने का शातिर है मटरू ,ढिल्ली दिल्ली का सरताज़   
वाट लगी है ऐसी उसकी ,ना भी लगभग सुनाई देने लगी है 
शारारारा !. बोलो शारारारा !!.. 
शारारारा !!!. बोलो बोलो शारारारा !!! ...
चलेगा कोई भी गुंडा चोर मवाली , सीट जिताऊ नेता चाहिये 
लगे मटकने दलबदलू सारे , थाली के बैंगनों में होड़ लगी है 
शारारारा !. बोलो शारारारा !!.. 
शारारारा !!!. बोलो बोलो शारारारा !!! ...
वोट तो आखिर वोटर का ठहरा , और वोटर कोई क्यों लेगा लोड 
शौर किया चौरों ने जबसे , जनता खुदको चौकीदार कहने लगी है 
शारारारा !. बोलो शारारारा !!.. 
शारारारा !!!. बोलो बोलो शारारारा !!! ...
#सारस्वत 
19032019

बुधवार, 6 फ़रवरी 2019

ये तुम नहीं जानते ...


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जानता हूँ
जब तुम मुस्कुराते हो
छलकते आंसूं छिपाते हो
तब देखता हूँ
पलकों में वो आंसूं
नमी को छोड़ जाते हैं
ये तुम नहीं जानते
कुछ जख्मों का ईलाज़
वक़्त के सिवाय
कोई दूसरा
नहीं कर सकता 
सोच कर बस यही
कर देता हूँ
देखकर भी अनदेखा
ये तुम नहीं जानते
#सारस्वत
06022016

मंगलवार, 8 जनवरी 2019

बचपन के दिन

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बचपन के दिन !
बचपन की याद !!
बचपन की साथ  !
बचपन की बात !!
फिर से निकल जाते थे ..
खेलने ..
घंटों उधम मचाते ..
गिल्ली डंडा कंचे ..
जाने क्या-क्या .. 
खेलने के बाद भी ,
कमबख्त ..
बच ही जाता था समय ,
चुगली करने का ..
लड़ने झगड़ने का ..
फिर रात का सफर ..
गैहरी नींद के साथ ..
दोस्ती ,
सपनीले ख्वाबों से .
बचपन की बात !
बचपन की याद !!
#सारस्वत 
22102013

मंगलवार, 1 जनवरी 2019


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खोने को रोज़ एक दिन खो देता हूँ 
पाने को एक नया दिन पालेता हूँ 
खोने को रोज़ खोता हूँ मैं खुद को 
पाने को रोज़ नाक़ामी पालेता हूँ 
कुछ भी नही बदला सब रोज़ सा 
वही दिन का आना रात का जाना 
सुभहा शाम गम से गप्पे लड़ना 
ना कुछ नया पाया ना ही खोया 
सिवाय इस गुजरते हुऐ वक्त के 
जो गया साँसों से वापस ना आया 
खुद का पता नही खुदा का क्या कहूँ 
दहशत ना वहशत बस जिऐ जा रहा हूँ 
14022014