शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

यादें










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छोटी सी छपरी , बचपन की यादें
नाला क्या पटरी , स्कूल सी यादें
उमर की टपरी , कहानी सी यादें
पल पल महकती , जवानी की यादें
अलसाई सी यादें , अंगड़ाई सी यादें
ख्याल सी यादें , खुमार की सी यादें
तितली सी उड़ती , झूमती गाती यादें
भाँवरों की मस्ती सी , गुनगुनाती यादें
ख्वाबों के आँगन में , चहकती सी यादें
किताबों में रक्खी , फूल सी यादें
चिट्ठी में पसरी , खुश्बू सी यादें
दीवारें फाँदती , अल्लहड़ सी यादें
उमड़ती घुमड़ती , मचलती सी यादें
शरमोहया की , देहलीज़ सी यादें
कुर्सी पर झूलती , बुजुर्गों की यादें
हुक्के की महक सी , गुड़गुड़ाती यादें
उम्मीद के दामन में , लिपटी यादें
सावन के मौसम की , शहद सी यांदें
आंसु रुलाती , छलकती सी यादें
रोटी बिलखती , बिखरी सी यादें
खामोश यादें , सरग़ोश यादें
बेहोश यादें , मदहोश यादें
तन्हाँ की साथी , परछांई सी यादें
शहनाई सी यादें  , विदाई सी यादें
#सारस्वत
31012014 

गुरुवार, 30 जनवरी 2014

बेशर्मी

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सभी जानते हैं , आईना खूब पैहचानता है
फिर भी बेशर्मी से निग़ाह मिला लेते हैं हम

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कितनी लम्बी है जिंदगी , किसको पता है
फिर भी रोज़ मिलने का दावा करते हैं हम
मुश्किल से मिलती है जिंदगी , ये पता है
फिर भी ग़ुनाह दर ग़ुनाह किये रहे हैं हम
सच को मखौटे की जरूरत नही , लेकिन
रोज़ एक नया नकाब पहन ही लेते हैं हम
कितने सच्चे हैं हम , हमको ये सब पता है
फिर भी झूठ कितना अच्छा बोल लेते हैं हम
पलपल मर रहा है जमीर , जिस्म की कैद में
कितनी अच्छी दुश्मनी खुद से निभा रहें है हम
आज भी कच्चे हैं हम , सबको ये भी पता है
फिर भी बेबाक बनने का ढौंग कर लेते हैं हम
#सारस्वत
30012014 

बुधवार, 29 जनवरी 2014

खुदगर्ज हो जाता हूँ











#
तेरे दर्द बाँट लेता हूँ वो कुछ नहीं
जख्म बताऊं हूँ तो खुदगर्ज हो जाता हूँ
तेरी ख़ुशियों को जीता हूँ वो कुछ नहीं
अपना गम दिखाऊँ तो खुदगर्ज हो जाता हूँ
रोती आँखों को हसता हूँ वो कुछ नहीं
अपने आँसू दिखता हूँ तो खुदगर्ज हो जाता हूँ
नाकामियाँ छिपता हूँ तो वो कुछ नहीं
नादानियाँ गिनता हूँ तो खुदगर्ज हो जाता हूँ
तुझको अपना समझता हूँ वो कुछ नहीं
तुझसे नाराज होजाऊँ तो खुदगर्ज हो जाता हूँ
#सारस्वत
29012014 

इन्सान जिन्दा


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मुस्कुराने से दिल मैले हो जाये जिनके
वो लोग बनावटी होते हैं
जैसे खुशबु के बिना बनावटी फूल भी
अहंकार की निशानी होते हैं
सिर्फ़ साँस लेने भर से ही कोई जिन्दा है
ये मान लिया नही जाता
जिन्दा एहसास हों धड़कनों में जिन्दा
तभी इन्सान जिन्दा होते हैं
#सारस्वत
29012014 

मंगलवार, 28 जनवरी 2014

अब दिलों के बीच

#
अब दिलों के बीच मिलने की
कोई गुंजाईश बाकी ना रही
हुए मजबूर इतने हालात
कोई गुंजाईश बाकी ना रही
अब दिलों के बीच ....
रस्ते कुछ इस तरहा जुदा हुए
रिश्ते भी रास्तों पर आ गए
दिलों में लगी गाँठ खुलने की
कोई गुंजाईश बाकी ना रही
अब दिलों के बीच ....
याद आती है जख्म दे जाती है
फांसलों के फैसले सुना जाती है
रहा सवाल करीब आने का
कोई गुंजाईश बाकी ना रही
अब दिलों के बीच ....
रेत होता तो फिसल जाना था
राख होता तो खाक हो जाना था
खून हुआ खून का रिश्ता 'अब'
कोई गुंजाईश बाकी ना रही
अब दिलों के बीच ....
#सारस्वत
28012014 

खुशियों के लिए

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खुशियों के लिए ख़ुशी यूँ भी बाँट देते हैं लोग
माँ बाप का घर का बटवारा कर देते हैं लोग

आज कल आदमी दिलों से अमीर नही होता
पुश्तैनी ज़मीन से ही अमीर हो जाते हैं लोग

रिश्तों की बात मत करना वो रिसने लगेंगे
रिश्तों को तो अब रास्ता दिखा देते हैं लोग

दिलों के बीच में लकीरें नहीं दीवारें खड़ी हैं
बड़े सख्त दरवाजे पलकों में लगातें हैं लोग

#सारस्वत
28012014 

सोमवार, 27 जनवरी 2014

आत्मा

#
"आत्मा" है तो       
"जीवन" शरीर       
आत्मा निकले       
"शव" "मिटटी"       
म्रत्यु लोक में        
"बाँच" रही             
"साँसे"                  
"जन्म की चिट्ठी" 
#सारस्वत 
27012014

शनिवार, 25 जनवरी 2014

नेता


#
कुर्सी के प्यारे नेता हैं ,
यंहा नेता को प्यारे नकारे 
जनता घुन बन कर पिसती है ,
रंग बदलती सरकारे 
कुर्सी के प्यारे नेता हैं  …
सब की जीब चटोरी है ,
कुर्सी के बटवारे में
नेता को कुर्सी प्यारी है ,
सत्ता के गलियारों में 
कुर्सी के प्यारे नेता हैं  …
खादी के मुंह में हड्डी है ,
नही कोई यंहा फिसड्डी 
सब लंगड़ी में अब्बल है ,
खादी की कबड्डी में 
कुर्सी के प्यारे नेता हैं  …
देश धर्म को भुला दिया ,
झंडे के लम्बरदारों ने 
जनता को रोना सिख दिया ,
सत्ता के नाकारों ने 
कुर्सी के प्यारे नेता हैं  …
# सारस्वत
26012014
                                                                                        26012014













#
माँभारती पुकारती ; भूभारती के लाल को !
रक्त से करो श्रृंगार ; आँचल ये मेरा लाल हो !!
*
रक्त में उबाल हो ; क्रोध की मशाल हो !
धड़कने धधक उठे ; जैसे की भूचाल हो !!
*
ना द्वंद ना बवाल हो ; ना धर्म का सवाल हो !
विजयी तुम्हारा भाल ; शत्रु का कपाल हो !!
*
असुरजनों का अंत हो ; हों तो मात्र संत हो !
धर्म हो सुपंथ हो ; सृजन हो न की अंत हो !!
*
उठो बढ़ो बढे चलो ; बढे चलो निशंक हो !!
लगा के ह्रदय कंठ से ; लौह मंन ढले चलो !!
*
विजय की भोर हो ; ना हार की निशीथ हो !!
ह्रदय में एक भाव हो ; धर्म की ही जीत हो !!
*
बुद्धि और शक्ति का ; आज तूम प्रमाण दो !
समयकाल मांग को ; आज तुम जवाब दो !!

#सारसवत
26062014

शुक्रवार, 24 जनवरी 2014

मैं कतरा खून का तेरा रे

#
अम्मा …
तुझको पुकारे .... तेरी लाड़ली ....
अम्मा …अम्मा …
इस धरती पर मईया मेरी , देवी रूप समान है 
बच्चो की रक्षा में अम्बे , शक्ति का वरदान है 
सबसे ऊँचा माँ का दर्जा , माँ का करम महान है
अम्मा …
मत मार मुझे कोख में अपनी
मैं कतरा खून का तेरा रे
मैं कतरा ....
*
पकड़ के ऊँगली मैं भी चलूंगी , तू जो मेरा साथ दे
अम्मा बाबा मैं भी कहूँगी , मईय्या आशीर्वाद दे
अम्मा …
बच्चो में भी अन्तर करना , माँ कहाँ से तूने सिखा रे
मैं कतरा खून का तेरा रे
मैं कतरा ....
*
काँच की आँखे पत्थर का दिल , माँ तेरा नहीं हो सकता
पौध लगा के हटा ले आँचल , ऐसा छल नहीं हो सकता
अम्मा …
माँ देवी है जीवनदाता , ना हत्यारिण मत बनियो रे
मैं कतरा खून का तेरा रे
मैं कतरा ....
*
भईया तिलक है कुलदीपक तो , मैं भी ज्योति समान हूँ
दो पीढ़ी का सेतु-कमल हूँ , कन्या-धन अभिमान हूँ
अम्मा …
माँ का मन ममता सुखसागर , सार गर्भ का सुणियो रे
मैं कतरा खून का तेरा रे
मैं कतरा ....
#सारस्वत
24012014

गुरुवार, 23 जनवरी 2014

#
चिन्ता को ,
चिंता हो जाये कुछ इस तरह से जी

साँसों का ,
कर्जा उतर जाये कुछ इस तरह से जी

प्यार करना है तो ,
माँ बाप से कर ममता मिलेगी

जिस इज्जत ,
से आया उसी इज्जत से जाये

शान से ,
जीना है तो कुछ इस तरह से जी
#सारस्वत
24012014

तलाश'ऐ,मोहब्बत


#

हसी ,
आती है ,
उसकी ,
तलाश'ऐ,मोहब्बत पे।

मुझको ,
ठुकरा के ,
वो ,
मुझी सा ढुंडती है।।

ऐसे ,
भटक रही है ,
प्रेम चन्दन गलियों में।

जैसे ,
कोई दीवानी ,
कस्तुरी को ढुंडती है।।

#सारस्वत
24012014

बुधवार, 22 जनवरी 2014

सर्द काली रात में

#
सर्द काली रात में , मौसम को पसीना आ गया
बुँदे टपक रही हैं देर से , झमाझम फर्श पर
#सारस्वत
22012014

जीत कर लौटूँगा

#
सिर्फ "वक्त" बदला है 
मेरा "नजरिया" नहीं बदला 
"खबर" कर दो दीवानों को 
सियासतदानों को 
मुझको "मालुम" है
रास्ता भी "और" मन्जिल भी 
निकला हूँ तो "लौटूँगा" भी 
"जीत" कर जमाने को 
#सारस्वत 
22012014

सोमवार, 20 जनवरी 2014

अरमान

#
इतना सा है अरमान के ,
तुम प्यार ना करो
रूठ कर करो एहसान ,
मुस्कुराया ना करो
धोखों में जीने की तमन्ना ,
अब बाकी नही रही
हसकर ना करो फरेब ,
जानोमाल जाया ना करो
#सारस्वत
21012014 

जो दिया प्रभु ने


Photo: #
जो दिया प्रभु ने बिना मांगे मुझे उसका धन्यवाद 
जो नही दिया मांगने पर भी उसका भी धन्यवाद 
क्योंकि ईश्वर ही जानते है मेरे लिए क्या अच्छा है 
हितनिमित्त प्यार बरसने वाले परमात्मा का धन्यवाद 
शुभदिनसुंदरहो
#सारस्वत 
20012014
#

जो दिया 
प्रभु ने बिना मांगे मुझे उसका धन्यवाद 
जो नही दिया 
मांगने पर भी उसका भी धन्यवाद 
क्योंकि 
ईश्वर ही जानते है मेरे लिए क्या अच्छा है 
हितनिमित्त प्यार बरसने वाले 
परमात्मा का धन्यवाद 
शुभदिनसुंदरहो
#सारस्वत
20012014













रविवार, 19 जनवरी 2014

ख़ामोशी में

#
जिस हवा को 
खुश्बू से पता मिलता था आशिकी का 
आज फ़िज़ा की 
रफ्तार में गिरफ्तार है वो आशिक 
जहाँ दिन 
शुरू होता था दिवानगी का उल्फत में 
वहाँ रात 
गुजर जाती है अब अब्रे मोहब्बत में 
ढूंडा लिया 
बहाना आखिर उसने रस्ते बदलने का 
ख़ामोशी में
शोर बड़ा है उसको तन्हाई चाहिए 
#सारस्वत 
26092013

#
करवटें 
बदलती रही खामोशी सारी रात 

गुजरता 
गया वक्त भी शम्मा की लौ के साथ 
नजर को 
नजर लग गई नजर के सवाल से 
ख्यालों में 
टीस बड़ी है अब तो रिहाई चाहिए 
ख़ामोशी में
शोर बड़ा है उसको तन्हाई चाहिए 
#सारस्वत

21012014

तूने भी रस्ता बदल लिया


#
नई उम्मीद के साथ 

अच्छा है 


अब यहाँ कोई गलत फेहमी नही रही 

तुमको मुबारक 

खाबगाह मेह्फिलें तसव्वुर 

मुझको तो खैर जीना यहीं 


तन्हाइयों के साथ 

#सारस्वत 
26092013

आलम'ऐ,इश्क

 #
आलम'ऐ,इश्क ना पूछिये 

दीवान'ऐ,इश्क ना पूछिये 


क्या कुछ सहा है सितम 


ना 
ये मोहबत से पूछिये 

दीवानों का मंजर'ऐ,बहाव 

इश्क'ऐ,सैलाब में क्यों उलझा 


दिल के सुकून की उलझने 


अब धडकनों से ना पूछिये 


#सारस्वत

19012014

हमेशा












#

छुप छुप कर बहुत कर ली मोहब्बत
आओ सब को बतला दें दिल की बात
दिल को बैहलाना अब बहुत हो चुका
आज थाम लो उम्र भर के लिए हाथ
तन्हाँ तन्हाँ इकले इकले ख़ामोशी
इसको नही कहते उम्र भर का साथ
खुश्बू मोहब्बत की आशियाने से है
फूल भी मुरझा जाते हैं खिलने के बाद
#सारस्वत
19012014 
#
गलियों से गली खतम हो गई

दिलों से दिल्लगी खतम हो गई

घर में कैद हो कर रह गये लोग

चौपाल से जिंदगी ख़तम हो गई
#सारस्वत
19012014

शनिवार, 18 जनवरी 2014

राम सेतु निर्माण किया
















#
नल नील महा शिलाशिल्पी ने
राम सेतु निर्माण किया
*

तीन धूप में मार्ग चुना श्री राम ने
पंच रात्रि निकल गये निर्माण में
नल नील महा शिलाशिल्पी ने
राम सेतु निर्माण किया
*
शुद्धकमल जल तरंग से शिलाखण्ड
बना मेरु दण्ड शांत किया जल प्रचण्ड
नल नील महा शिलाशिल्पी ने
राम सेतु निर्माण किया
*
श्री रामेश्वरम से श्रीलंका तक
नेक रस्ता राम के नाम किया
नल नील महा शिलाशिल्पी ने
राम सेतु निर्माण किया
*
#सारस्वत
18012014

शुक्रवार, 17 जनवरी 2014


#
सर्दी के मौसम में , बारिश में भीगी रात
जरा धूप निकले , तो कुछ आराम मिले


बहारों पर भी आज तो मस्ती छाई है
रतजगी रातों संग में नहा के आई है
जरा धूप निकले ....

शुभदिनसुंदरहो
#सारस्वत
18012014 

दुआ


#

"दुआ"
के लिए भी
"दुआ"
माँगा कीजिये
"दुआ" भी
असर की "दुआ" मांगती है
रोज़
"फरमाइश" करते हो तुम नई
कभी तो
"इबादत" "इबादत" सी कीजिये

#सारस्वत
17012014 

गुरुवार, 16 जनवरी 2014

#
समय रथ चला आ रहा निरन्तर
रात्रि प्रहरी गया विश्राम स्थल
प्रातः काल उषा किरण के साथ
आशा आकांक्षा का हो विस्तार
नव प्रभात
शुभदिनसुन्दरहो
#सारस्वत
17012014 

ओ मितवा रे ....





ओ मितवा रे ....

#

कच्ची उमर के कच्चे ख्याल
अधपके सपने जैसे सवाल
कच्चे पक्के अक्षर सारे
ओ मितवा रे ....

कद काठी काया का गैहना
सजन सावन धुप को सहना
सुख दुःख सारे , पीढ़ा से हारे
ओ मितवा रे ....

चाक पे चेहरा बन बन जावे
आस बंधावे साँस ना आवे
सब लिक्खे करमों के मारे
ओ मितवा रे ....

बन्द मुट्ठी का लाख सहारा
भेद ना जाना जग उजियारा
सूनी अखियाँ सुनापन तारे
ओ मितवा रे ....

#सारस्वत
16012014 

बुधवार, 15 जनवरी 2014

                                         










#
हमें भीड़ से क्या मतलब
तुम ही काफी हो , दोस्ती दुश्मनी के लिए
फाँसले दूरियाँ कुछ नहीं
कोई शर्त बाकी नहीं , प्यार एतबार के लिए
कल का भरोसा नही अपना
अभी जीलेने दो लम्हें , जिंदगी जीने के लिए
मुझको छुपालो पसीने में
साँस बाकी है ये , रख लो जमानत के लिए
#सारस्वत
15012014 

सोमवार, 13 जनवरी 2014

#
ये सच है
माँ का दर्जा सबसे ऊँचा होता है
माँ की बेटी माँ की लड़ी होती है
हर एक बहन पहले बेटी होती है
अर्धांग्नी भी पहले बेटी होती है
होते हैं माँ के भी माँ बाप
माँ भी कभी बेटी होती है
ये सच है
माँ ना होती तो
ये दुनिया नही होती
लेकिन
इस हकीकत को भी
झुटलाया नही जा सकता
बेटीयाँ ना होती तो
ये जमीन
कब की बंजर हो गई होती
माँ की बेटी माँ की कड़ी होती है
माँ की बेटी
माँ की कड़ी होती है
#सारस्वत
13012014 

रविवार, 12 जनवरी 2014

#
दुनिया की
सबसे खूबसूरत चीज
देखी नहीं जाती
महसूस की जाती है,
जैसे हवा का झोंका,
शहद की मिठास,
जैसे फूलों की खुशबु,
जैसे प्यार विश्वास ,
जानते हो
सब से खूबसूरत
एहसास क्या है,
खुली किताब
आपका साथ .
#सारस्वत
12012014 

शनिवार, 11 जनवरी 2014

मत पूछ

#

मत पूछ धड़कनों की तलब से
किस कशिश में ख्याल रोया है
तुझको दुआ में मांगने से पैहले
हमने खुद को अश्कों से धोया है
*
जब भी देखा हाथों की लकीरों को
हमने पाया मुकद्दर को सोते हुये
जब भी जगाया बुलाया तुझको
चाहतों ने हसरतों को भिगोया है
*
ख्वाइशें हैं के मिटती नहीं दिल की
जाने कब मौसमें हिज्र खत्म होगा
बस ! तेरे वादे इकरार की खातिर
पलकों ने भी इन्तजार को ढोया है

#सारस्वत
11012014



गुरुवार, 9 जनवरी 2014

तेरे हर लव्ज़ को दर्द में डूबा देखा


#
तेरे हर लव्ज़ को दर्द में डूबा हुआ देखा है
फिर भी हमने तुझ को हस्ता हुआ देखा है

अंदाज़े से चल रहा है जिंदगी का सफ़र
दूर तलक कोई कहीं आता नहीं नज़र
बस खामोशी तुझको हमने जी भर देखा है
फिर भी हमने तुझको ...

किस तरहा सजाऊं तुझे बुलाऊँ सपनों में
गुनगुनाहट है ख़ामोशी लिये वीरानों में
नींद के दरवाजे पे लगा पैहरा हमने देखा है
फिर भी हमने तुझको ...

समंदर से गैहरी तेरी ईन भीगी पलकों से
निकले अरमान कई जो बिखरे दोपल पलके
जब भी छलका काजल रंग सुनहरा देखा है
फिर भी हमने तुझको ...

अब भी बाकी हैं निशानियाँ वीरानियों की
रिस्ते एहसास टूटते छूटते आशियानों की
मासुम खुशियों को हमने फिसलते देखा है
फिर भी हमने तुझको ...

#सारस्वत
09012014

#
जाने क्यूँ लोग लब्जों को इजहार कहते हैं

किसी की झुकी निगाहों को इकरार कहते हैं

सिर्फ प्यार का नाम ही तो प्यार नही होता

दोस्तों की दोस्ती को भी तो प्यार कहते हैं

#सारस्वत
09102014 

सोमवार, 6 जनवरी 2014


#

फर्ज को इबादत समझ कर निभाया है 

मासुम शरारतों में खुद को पाया है 

हर दुआ में जिया हिफाजत तुझ को 

सबकी मोहब्बत में खुद को पाया है 

भाई को
जन्म दिन विशेष पर
हार्दिक बधाई
‪#‎सारस्वत‬
06012014

रविवार, 5 जनवरी 2014

"तन्हाई" को "घूँघट"

#
मेरी "तन्हाई" को 
ये कौन "घूँघट" उढ़ा गया
बहुत देर से "भीड़" है
"सुकून" के मकान में 
#सारस्वत
04012014
#

रिश्तों की जिल्दलगी किताब है जिंदगी 

लगे ना कोई दाग तो रूआब है जिंदगी 

सोचसमझ कर खर्च किया करो खुद को 

गलत सही का हिसाबकिताब है जिंदगी 



बुधवार, 1 जनवरी 2014

साल की पहली रात

#
यारो की यारी आबाद करो सब मिलके साथ
एक नई शुरुआत करो नये दिन साल के साथ

परेशानियां तो आज भी हैं कल की तरहा ही
था कमाल का साल वो भी जाने किधर गया
सोचता हूँ नई बात करूं नई उम्मीद के साथ
जशन शुरू करो नई उम्मीद की तलब के साथ

चलो इस बार नया आसमान मिलकर ढूँढ़ते है
नये हौसलों की जुनून से नई इबारत लिखते हैं
गम औ' ख़ुशी का मेल हो जिस दरिया के साथ
मोहब्बत का वो नजरिया खोजते हैं एक साथ

आज तो गुनाहों पर शर्मिंदा होने का वक्त है
अपनी गलतियाँ सुधारने का ये सही वक्त है
आओ टूटे दिलों को जोड़े आज मिल के साथ
चलो खताओं के खाते से माफ़ी मांगते हैं साथ

ख्वाइशों को कोशिशों के पंख लगा आकाश दो
प्यार दो मोहब्बत को सरगम सुरों से सजा दो
वादे ना चलो इरादे करते हैं मुस्कराहट के साथ
चलो दो कदम साथ चलते हैं हम सपनों के साथ

बस आज की रात है बेनकाब फ़रियादों की रात
साज़िशों से दूर निकल ख़ास निगेहबानी के साथ
सगाई खुशियों की ख़ुशियों से हो रिहाई के साथ
गुजार एक रात तू भी दिल के करीब खुद के साथ
#सारस्वत
2014
साल की पहली रात