सोमवार, 16 दिसंबर 2013

बेजुबान जात मेरी

#
जमीन की तलाश थी ,
आसमान चाहने लगा ,
ख्वाइशें डरने लगी ,
अरमान बिखरने लगा ,
#
उमर जो बढने लगी ,
जीना मुश्किल हुआ ,
फूल कलियाँ बाग़ की ,
भवरा आजमाने लगा ,
#
निगाहें नोचने लगी ,
अब रोज़ जिस्म मेरा ,
तितलियों की जान पे ,
सैयाद पैहरा देने लगा ,
#
बेजुबान जात मेरी ,
बस यही कुसूर है मेरा ,
क्यों गोश्त के बाज़ार में ,
दाम मेरा लगने लगा ,
#
सारस्वत
16122013

रविवार, 15 दिसंबर 2013

साँसो के मोहताज

#
साथ ना दे जिस्म का साँस अगर दिल घूट के मर जायेगा
जीने मरने का नगमा फिर भला कोई कैसे गुनगुनाएगा
सोचा ना था इजहार ऐ मोहब्बत का असर यूँ भी होता है
सुर्ख रंग खुद ब खुद शरमा के यूँ चेहरे पे ही उतर आएगा
लैहरा के आई अब के दिल की बगिया में इश्क की फ़सल
दिल कि बस्ती में फिर से कोई अपना ही आग लगाएगा
जो धड़कता है बेचैन सा होकर सीने में बता दे दुनियां को
बेजुबां इश्क रहा अगर तो किसी रोज़ गूँगा ही मर जायेगा
जिन्दा रिश्ते रगो में दौड़ते हैं मरने के बाद भी दुनियाँ में
साँसो के मोहताज का नगमा एक रोज़ गुनगुनाया जायेगा
#सारस्वत
15122013 

बुधवार, 11 दिसंबर 2013

अल्फाज़ मुझ से हैं

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क्या लेना देना मुझे शब्दो कि बाजीगरी से
मेरे जज्बात मेरे हैं यही काफी है मेरे लिए

जो महसूस करता हूँ वही कुछ लिख देता हूँ
अब जरूरी नही सब को समझ आ ही जाये
अल्फाज़ मुझ से हैं यही काफी है मेरे लिए
#सारस्वत
11122013 

गुरुवार, 5 दिसंबर 2013

जीवनरूपी पाठशाला में

#
ज्ञान आंकलन "परिशिष्ट " के
विशिष्ट "प्रतिनिधि" के समक्ष

शब्दज्ञान "परीक्षण" में
"प्रतिशोध" की उत्पत्ति
शोषण के प्रतिस्वर क्रोध से होती है
समाज में
जाति रंग अथवा
जीवनयापन शैली का
अपमान ना हो
इसलिए
निगरानी "निरीक्षण" की
"विशेष" आवश्यकता प्रतिक्षण रहती है
सम्मान की अभिलाषा तो
"गर्दन" पर टिके प्रत्येक मस्तिष्क का
जन्मजात अधिकार है
दिपावली का "दीया" यही लौ जगाता है
मन अभिव्यक्ति
विचार कल्पनाये
शाब्दिक प्रारूप "प्रतिबिम्ब"
शैक्षिक अनुसंधान
शिक्षण "प्रशिक्षण"
जीवनरूपी पाठशाला में
निरंतर चलायमान रहे
इसके लिए आवश्यक है
चेतना पटल के तोरणद्वार
जिज्ञासु पुष्प माला एवं
चिंतन "आम्रपल्लव" से
"पुष्पित" रहें
अंतर्मन जागृत न हो तो
मायारूपी असुर "हिरण्याक्ष"
ज्ञानवान को भी मूढ़ बना देता है
अतः
आवश्यक है
जीवन कलश के ह्रदय क्षेत्र में
धर्मसंगत सांस्कृतिक ज्योतिर्पुंज
निरंतर प्रजव्लित रहे
#सारस्वत
05122013 

बुधवार, 4 दिसंबर 2013

रिश्तों में ईमानदारी















"रिश्तों में ईमानदारी"
#

जैसे निखालिस रेत से महल खड़े नही होते
वैसे ही झूट की भी इमारत खड़ी नही होती
रिश्तों में ईमानदारी की बुनियाद जरूरी है
बेईमानी कि नाव कभी भी पार नही होती
#सारस्वत
04122013 

छुपा है चाँद तो नजर आ ही जायेगा

#
छुपा है चाँद तो नजर आ ही जायेगा 
आखिर कब तलक वो दूर रैह पायेगा 
छुपा है चाँद तो 
मर के भी ज़िंदा रहे वही वही वही इश्क 
ज़िंदा रैहने को झोली फैला के आएगा 
प्यार के आसमान में बिखरी है खुशबु 
इस कैद से बच के अब ना रैह पायेगा 
छुपा है चाँद तो 
गरूर ऐ इश्क बाज़ार में बिकता नहीं 
फासला कितना भी हो लौट के आएगा 
यादे समंदर में डुबकियां ना लगा ऐसे 
दिल का दरवाजा सुबकता रैह जायेगा 
छुपा है चाँद तो 
सजाया है सांसों में बंदगी की तरहा से 
जिंदगी की सजा से वो बच ना पायेगा 
पैमाने से भरी दोनों आँखों की कसम 
ज़माना देखकर मंज़र हैरत ही पायेगा 
छुपा है चाँद तो 
#सारस्वत 
04122013


सोमवार, 2 दिसंबर 2013

वो भोपाल गैस त्रासदी की रात

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वो दो और तीन दिसंबर 1984 की रात
वो भोपाल गैस त्रासदी की रात
वो मौत के ताण्डव कि रात
वो यूनियन कार्बाइड कि रात
कितनी भयानक कितनी दर्दनाक
वो औद्योगिक त्रासदी कि रात
जो उस रात सोये और सोये रैह गए
भगवान अगर तू सुन रहा है आज कि रात
उन मासूम आत्माओं को शांति दो
आज कि रात
#सारस्वत
02122013 

मंगलवार, 26 नवंबर 2013

एक दरवाजा रौशनी का

#
वो एक दरवाजा रौशनी का
आज अँधेरे से भर गया
वो एक रास्ता उम्मीद का
दिवार के पार गुजर गया

उम्र से भी लम्बी सड़क
ये इंतजार के किनारे
अब दर ना चौखट यहाँ
सभी कुछ तो उधड़ गया
वो एक रास्ता उम्मीद का
दिवार के पार गुजर गया

#
जब तलक सांस बाकि
गुरजने वाले हैं दिन रात
यादों के लम्पपोश के नीचे
रूह का पिंजर उजड़ गया
वो एक रास्ता उम्मीद का
दिवार के पार गुजर गया

#सारस्वत
27112013 

रविवार, 24 नवंबर 2013

ये ज़मीन वाला ...


#
रब देख रहा है सब देख रहा है ,
फिर भी परवाह नहीं करता
ये ज़मीन वाला
उस आसमान वाले से अब डरा नहीं करता
जैसे शाजिश की मिटटी  में ,
बोया गया उगाया गया बीज
बड़ा पेड़ बन कर भी ,
अमर्त के फल कभी दिया नहीं करता   
वैसे ही अईय्यासी की ,
नीव पर खड़ी हुई इमारत बुलंद में
प्रतिध्वनी देता ,
मन्दिर का घंटा कभी भी बजा नहीं करता
साफगोई की दस्तकारी में ,
माहिर लोग मिलेंगे चारों तरफ
देखो तो सही ,
बंद आंखे खोलकर 'क्या कहा ?? जी नहीं करता
नक़ाब लगे चेहरे के पीछे भी ,
 होता है एक चेहरा यक़ीनन
'जो,सच कहता है
इतनी चालाकी से , कोई यकीं नहीं करता
#सारस्वत
24112013

शनिवार, 16 नवंबर 2013

भारत रत्न सचिन












#
जुनूं
क्रिकेट धरातल पर
धुर्व तारे सा अडिग
रोशन जहाँ आदित्य
सुर्य कमल सा चिन्ह
जादू कड़ी मेहनत
पक्का इरादा अनुशासन
'भारत रत्न '
सचिन
#सारस्वत
16112013

#
सुनते आये थे हम क्रिकेट का भगवान है तू
सचिन रमेश तेंदुलकर सचमुच महान है तू

दुनिया जीत ली विकटो के बीच में दौड़ कर
दिल जीता खड़े हो अनुशासन के छोर पर
मेहनत ईमानदारी का साक्षात प्रमाण है तू

आँसु तेरी भी आँख में आते हैं मेरी तरहा
अपने तुझे भी याद आते हैं सब कि तरहा
आज मालुम हुआ मेरी तरहा इंसान है तू

भारत रत्न
सचिन
#सारस्वत
16112013


शुक्रवार, 8 नवंबर 2013

मै और तू

मै और तू 

#
मै
आज भी अधूरा
आज भी अकेला
आज भी व्यवधान
तू
तू भी अधूरा
खुद में लिपटा सा
घमंड का प्रतिमान
मै और तू मिल जाये तो
धरा को आकाश मिल जायेगा
अधूरेपन को आयाम मिल जायेगा
घमंड
अपनेपन के आगे झुक जायेगा
अहम
खुदबखुद पराजित हो जायेगा
मैं और तू
अधूरे शब्द
बस
सवम के लिए कटिबद्ध
याद कोई सपना नही होती
सच्चाई पागलपन में नही रोती
मन का अकेलापन कचोटता है
भीड़ के शोर से दूर भागता है
क्योंकि
मै और तू में बनती नही है
हम कि अभिलाषा का दीपक
सूनेपन के अंधेरों में भी
अकांक्षा कि रौशनी देता है
मैं हाथ बढ़ा रहा हूँ
तू भी साथ दे मेरा

आज से
हम बन जाये
हम दोनों
#सारस्वत
08112013

दिल के हिस्से में


दिल के हिस्से में 


#
दिल के हर एक हिस्से में अलग तस्वीर रखते हैं
लोग आशिकी भी करते हैं वक्त गुजारने के लिए
किस आंसु पे यकीन करूं मेरे लिए रोया होगा
लोग बहाने ढूंढ लेते हैं यहाँ वक्त गुजारने के लिए
#सारस्वत
08112013

मंगलवार, 5 नवंबर 2013

इज्जत


#

मैंने इज्जत से लपेट रक्खा है बदन को 

इसको भी उतारूंगा तो नंगा हो जाउगा 

#सारस्वत 05112013

भईयादूज

#
कजरी कि अधमुंदी आँखे
आहट के एहसास से चहक उठी
आ गए तुम !
कैसे ना आता दीदी !!
त्रिवेणी कि आवाज कानो में रस घोल गई
मुस्कुरा कर कजरी ने आँखे खोली
कमरे में गुप्प सन्नाटे के आलावा कोई नही था
मन के आंगन में घबराहट आने लगी
माथे पर पसीने कि बूंदे उभर आई
कजरी उठने लगी तो उसका हाथ
बराबर में रक्खी थाली से टकराया
कजरी ने थाली कि तरफ देखा
रोली मोली चावल की थाली को भी
त्रिवेणी का इन्तजार अभी भी बाकी था
एक बार फिर से कजरी ने अखबार उठा लिया
पता नही कितनी बार पढ़ चुकी थी
इस बार फिर से हैडलाइन पर ही निगाहें अटकी थी
बीते दिनों में यहाँ बलवा हुआ था
हिंसा कि आग में बहुत कुछ भस्म हो गया
शहर और गॉव में अभी भी दहशत का माहोल है
दंगो के बाद जिले में वारदातो का दौर जारी है
ऐसा पहले कभी नही हुआ
हमेशा ही
भईयादूज पर त्रिवेणी
सुबहा ही आ जाता था
वो तो अब भी आने को तैयार था
लेकिन मैंने ही मना किया था इसबार
भाई
भईयादूज तो अगले साल भी आएगी
त्रिवेणी तेरे साथ कुछ हादसा हो जाये
तो किसको मुँह दिखाउंगी
मेरा भाई मेरी खुशियों में साथ रहे
यही कामना है मेरी
मैं तेरी लम्बी उम्र कि रोज़ दुआ मांगती हूँ
भाई मैं तेरी जिंदगी को खतरे में नही डालूंगी
इस बार मैं भईयादूज पर तुझको नही बुलाऊंगी
कजरी नल के पास गई और
चेहरे को धोने लगी
अब तक सुकून की हवा पानी में घुल चुकी थी
कजरी भी सम्भल चुकी थी
सधे हुये कदमों के साथ चल कर
कमरे में पहुच कजरी ने
सजी हुई थाली को उठाया और पलंग पर आकर बैठ गई
फिर मुस्कुराते हुए थाली में रक्खे
नारियल को उसने तिलक किया चावल भी लगाया
और खुद ही बुदबुदाने लगी
भाई तू सुरक्षित रहना चाहिए
भईयादूज तो हर साल आएगी
#सारस्वत
05112013

सोमवार, 4 नवंबर 2013

हाथ की लकीरों की जानिब

 #
देख हाथ की लकीरों की जानिब 
नजूमी ने कोई नई बात नही बताई 

वही अपनों की साजिशों की बातें 
जो सब मैं पैहले से ही जानता हूँ 
मेरी बर्बादी की ख्वाइश रखने वाले 
तुझे तो मैं शक्ल से भी पह्चानता हूँ 
#सारस्वत

05112013

मै हूँ आम आदमी

मै हूँ आम आदमी 

#
मै हूँ आम आदमी
जो अमरुद कभी बन ना सका
टपका किस्मत पे लगा फटका
और दसहरी भी लंगड़ा हुआ 
मुझ में और आम तुझ में
कोई ज्यादा फर्क नही है
शक्ल अक्ल रंग ढंग जुदा तो हैं
पर इतनी भी अलग नही है
आम गर तू फलों का रजा है तो
आम आदमी भी बादशाहा से कम नही
तुझ में है स्वाद सेहत का राज
मुझ में भी गरत कुछ कम नही है
तुझ को खाया जब भी जिसने भी
तेरी तारीफ में उसने कसीदे पढ़े है
मुझको खा चबा गये वो चंद लोग
जो नेता की नस्ल में पैदा हुए है
पर आज अपना दर्द कहु तो किस से
इज्जत की तार तार , पगड़ी के किये हिस्से
जेब कतर ली मेरी कमर तोड़ दी
मरजानी मंहगाई ने , रह गया पिस के
नाम तक मेरा चुरा लिया आज चोरों ने
आम आदमी रख लिया नाम नेता खोरो ने
अब मुझे यंहा कोई पहचानता नही है
आम आदमी भी आम आदमी को जनता नही है
लेकिन मैं खुश हूँ फिर भी
गिरगिट का रंग मुझ पे चढ़ न सका
मैं हूँ वो आम आदमी
जो अमरुद कभी बन ना सका
#सारस्वत
04112013

रविवार, 3 नवंबर 2013

पटाके छोड़ना

#
पटाके छोड़ना कोई आसान काम नही है 
दिल मज़बूत होना जरूरी है मुश्किलों में 
जमाना गुजर जाता है किसी को पटाने में
पत्थर का दिल करना पड़ता है छोड़ने में 
#
सारस्वत
04112013

शनिवार, 2 नवंबर 2013

आओ सब मिल कर दीप जलाये

आओ सब मिल कर दीप जलाये 









#
आओ सब मिल कर दीप जलाये
मन से अंधियारों को दूर भगाये
ह्रदय आनंदित दीपावली मनाये
आओ सब मिल कर ..
हवाओं से कह दो होसले से आये
खुश्बू फ़िज़ा की प्यार बन के जाये
आओ मोहब्बत का दीप जलाये
आओ सब मिल कर ..
पलकों से कह दो वो मुस्कुराये
अधरों से कह दो वो गुनगुनायें
आओ अपनेपन का दीप जलाये
आओ सब मिल कर ..
बुझती उमंगे फिर से जगमगाये
मन के आँगन उजालों से नहाये
आओ अंतर्मन का दीप जलाये
आओ सब मिल कर ..
#सारस्वत
02112013 

सोमवार, 28 अक्तूबर 2013

दोस्त

दोस्त 

#
वो
सालों साल बाद मिला था
यार !
बचपन का लंगोटिया यार मेरा
बिलकुल
बराबर में लगा कर के गाड़ी
आज
उसने चौका दिया अचानक से
और
देखते ही एक दूसरे को
सच में
पगला गये हम दोनों उस वक्त
झटाक से
बचपन के किस्से आँखों में तैर गये
झपाक से
वो अपनी अमीरीयत भूल कर
मिला मेरी फटेहाल जिंदगी से
मगर
उसको कुछ जल्दी थी आज
उसको कहीं जाना था जरूरी
शायद
बचपन कि दोस्ती को मिलना था
इसीलिए
रास्ता भूल गया था इत्तेफाक से
फिर मैने उसे
झंडू दलाल के घर का रास्ता बताया
उसने
शाम को फिर मिलने का वादा किया
फिर
हम दोनों एक बार फिर से मुस्कुराये
फुरसत से
बैठ कर बात करने की बोल कर
वो
आखिर रुखसत हुआ मजबूर सा
मैं भी
खड़ा उसे देखता रहा देर तलक
यूँ ही
मायूस निगाहों को ले कर
मेरे पास में
अकेले घर के सिवाए कुछ ओर ठिकाना नही
रफ्तार के
जमाने का कोई सम्पर्क सुत्र मोबाईल नही
वरना
वो अपना नंबर खुद देकर जाता मुझे
मेरे मांगने पर
मना करने कि जरूरत ना पड़ती उसको
आज
खुदगर्जी ने मुझको छोटा कर दिया
मैने
सचमुच दोस्ती को शर्मिंदा कर दिया
#सारस्वत
28102013 

रविवार, 27 अक्तूबर 2013

#
कभी तो , सच्ची ख्वाइश की होती 
कभी तो , अच्छा भरोसा किया होता
देखता रहा बस!! , फ़ासले आते हुए 
कभी तो , नेक फैसला लिया होता 
कम तो , ये दूरियाँ भी हो सकती थी 
कभी जो , मुड़ कर देख लिया होता
रास्ता खुद ब खुद बदल सकता था 
गर,अपनों का ख्याल रख लिया होता 
ख्वाबो हकीकत भी हो सकते थे तेरे 
पलकों पर अगर देख लिया होता
मैं तो , हमेशा ही साथ रहा हूँ तेरे
कभी तो पलटके देख लिया होता
#सारस्वत 27102013 

ये तेरा दर्द

ये तेरा दर्द 

#
ये तेरा दर्द आईने की शक्ल ले
जाने कब दिल में ही उतर गया

कभी धडकनों में महसुस किया
कभी ख़ामोशीयों में छुआ गया
कभी लब हिलते से दिखाई दिये
कभी शब्दों को बस सुना गया
कभी यादों के झोकें ले आ गया
कभी यादों को संग ले गुज़र गया
ये तेरा दर्द ...

मेरी हसरतों के बीच तेरी चाहतें
मेरी कोशिशे और तेरी साजिशें
मेरे सपनों में उडती तितलियाँ
मेरी तनहाइयों में तेरी ख्वाइशें
मेरी रात फिर खलिश ले गया
मेरा चाँद आज फिर गुजर गया
ये तेरा दर्द ...

चलता चला परछाइयों के साथ
करता रहा बात ख्वाबों के साथ
हल्का सा उतरा सर से नकाब
छलका छिटका पलकों से आब
कभी कदमों में दिल रखता गया
कदमों के निशां भी गिनता गया
ये तेरा दर्द ...

#
सारस्वत
27102013

गुरुवार, 24 अक्तूबर 2013

शुभ संध्या

सूरज को सलामी 















#
आसमान में कदमताल करके
जा पहुंचा आरामगाह में आदित्य
सुरज को सलामी दो यारो
कल फिर आएगा शान से
धूप का सेक लेकर
शुभ संध्या
#
सारस्वत
24102013

बुधवार, 23 अक्तूबर 2013

मुझे गिला नही कोई
















#

मुझे गिला नही कोई 

#
उसका मलाल मैं क्या करूं , जो कभी मेरा था ही नही 
जिसको जो अच्छा लगा कैह गया , मुझे गिला नही कोई 

मुट्ठी में बंद करता रहा मैं सपने , अपना समझ कर 
हकीकत की जमीन पर लेकिन , कोई अपना था नही
जिसके काँधे को मैंने रोने को , अपना तकिया समझा
उसके सीने में ना दर्द था मेरे लिए , ना अक्स मेरा कोई

खामखाँ मकां को लेकर लड़ते रहे , वो सब बेमतलबी
दुश्मनी का असल मकसद , जाहिर किया नही कभी
मेरे सीने में खंजर जिसने घोपा , हाथ वो भी मेरे ही थे
ये सिक्को की हिस्सेदारी में , अब सगा रहा नही कोई

बटवारा तो रिश्तों का था , माँ को वो दुनिया रास आई
यतीम हुआ तो मैं ही हुआ , मेरे हिस्से में दिवार आई
मैं टूट कर बिखरा हूँ ऐसे , जैसे बिखरा हो आइना कोई
शाख से टुटापत्ता हो कोई , जैसे माँ बाप रहा ना हो कोई
#सारस्वत
24092013

ज़िन्दगी की राह








ज़िन्दगी की राह 

#


ज़िन्दगी की राह में बहुत से मौड़ आयेंगे
जहाँ हमारे खुद के फैंसले ही काम आयेंगे
शरारतें ना हों ज़िन्दगी में तो बेरंगी दुनियाँ
शिकायतें अपनों से ना करेंगे तो किधर जायेंगे
डूबते सूरज का आसमान आजकल अच्छा लगता है
आ सितारों की बज़्म पे ही कोई नज़्म गुनगुनायेंगे
दीवानगी से खेलना शौक कोई अच्छा नही है दिल
चल सुकून ऐ इश्क का इलाज़ किसी आशिक से पाएंगे
ना बना तमाशा ख्वाईशों को तू तमाशबीनों में
जिस्म हुआ कैदखाना अगर घुट घुट कर मर जायेंगे
रोब'ग़ालिब, छोड़ कर अगर जाना पड़े मंजिल के पार  
तबियत की दीवारों को तौड़ कर हम काहीं ना जायेंगे

#सारस्वत
23102013

बेजुबान चिड़िया

बेजुबान चिड़िया  












#
मेरे घर की छत पर
रोज़ का आना तेरा
एहसास दिलाता है
आज़ादी
किस चिड़िया का नाम है
मैं तो बस
चारदीवारी का गुलाम हूँ
मैं भी आज़ादी चाहता हूँ
खुले आसमान के नीचे
भयमुक्त जीना चाहता हूँ
दोस्त
तुमसे दोस्ती चाहता हूँ
#सारस्वत
23102013 

वक्त को गुजर जाने दो

वक्त को गुजर जाने दो 

#
बह जाने दो वक्त को गुजर जाने दो
समय रोशन फिजा को हो जाने दो










साथ हवाओं के समय चल रहा है
समय बहती नदीयों सा बह रहा है
मुझको किरणों संग बह  जाने दो
बह जाने दो वक्त को गुजर जाने दो

वक्त का काफ़िला दबे पाँव चल रहा
रास्तों को मंज़िल का पता दे रहा है
ठहरो दिल को जरा होश में आने दो
बह जाने दो वक्त को गुजर जाने दो

हर गली मोड़ पे है करिश्मा गज़ब का
महफ़िलों के आँगन का रंग अज़ब का
प्यासे होटों को फिर से तर हो जाने दो
बह जाने दो वक्त को गुजर जाने दो
#सारस्वत
23102013 

मंगलवार, 22 अक्तूबर 2013

थोड़ी सी चाय पत्ती और मैं तुम

थोड़ी सी चाय पत्ती और मैं तुम 

#
थोड़ी सी चाय पत्ती शक्कर पानी
दूद बर्तन में और धुप किरणों में
मिचमिचाती आँखों से उडती भाप
ऊष्मा का न्रत्य गरम् हवा के साथ
निगाहें मिलने लगी स्वाद आने लगा
चाय खिलखिलाई दिल मचलने लगा
जाग उठी हसरतें अब जाग उठो तुम
जल उठा मेरा बदन जल उठा तेरा दिन
में तैयार हूँ तुम्हारा धुप का सूप ले कर
मुझे होटों से लगाओ इसको पी जाओ
मैं तो चाय की प्याली हूँ तू ही पीने वाला
सारा दिन चुस्कियों की चुस्की लेने वाला
बस !!
तुम्हारा इतना याद रखना काफी होगा
जो तुझमें समाया मैं तेरा वो हमसाया हूँ
दिली खुशियों का गवाह तेरी मैं रहा हूँ
तेरे हर एक गम में साथ मैं भी रोया हूँ
तुझमें गमें एहसास का समन्दर है तो
मैं तेरे लिए ही खुशियाँ लिये अन्दर हूँ
दोस्त !
तेरी आँखों में रश्क लिए है आंसू झरी है
मेरे अन्जुल में चाह लिए चाय तेरी है
तेरे होसलों में जिन्दा तेरी खुद्दारी है
मेरे दामन में गम ख़ुशी दुनियादारी है
तू भी धड़कन है में भी तो धड़कन हूँ
तू भी बरतन ही है और मैं भी बर्तन हूँ
#सारस्वत
23082012

रावण अभी मरा नही

रावण अभी मरा नही 

#
इस बार भी
हर साल की तरहा
रावण दहन की रस्म
पुतला जलाने के साथ 
अदायगी कर डाली
और
पाप के अंत की
चिरइच्छा के साथ
अगले बरस फिर से
रावण जलाने की
मनोंकामना कर डाली
क्योंकि
रावण राज आज भी यथावत है
रावण राज का कैहर भी जारी है
रावण अभी मरा नही
रावण अभी मरा नही
#
धर्म की अधर्म पर
विजय का विजय रथ
कल
रामलीला मैदान से
वापस
गोदाम में पहुँच दिया जायेगा
इसे के साथ ही
धर्म को ताला लगा दिया जायेगा
अधर्म
वापस समाज में घुलमिल जायेगा
क्योंकि
रावण राज आज भी यथावत है
रावण राज का कैहर भी जारी है
रावण अभी मरा नही
रावण अभी मरा नही
#
यही
हर साल होता आया है
इस बार भी यही होगा
धर्म की हानि
अधर्म का सत्कार
प्राणियों में
सद्भावना का अभाव
और स्वम का कल्याण
क्योंकि
रावण राज आज भी यथावत है
रावण राज का कैहर भी जारी है
रावण अभी मरा नही
रावण अभी मरा नही
रावण अभी मरा नही
रावण अभी मरा नही
रावण अभी मरा नही
#सारस्वत
13102013

जन्मदिन का दिन


जन्मदिन का दिन 

#
आज का ये दिन जन्मदिन का दिन
आज से खुशियाँ चले साथ दिनोदिन
यही कामना मेरी शुभकामओं के साथ
खुशहाल हो जिंदगी खुबसूरत हों दिन
#सारस्वत
22102013

सोमवार, 21 अक्तूबर 2013

कुछ भी मुश्किल नही

कुछ भी मुश्किल नही 

#
कुछ भी मुश्किल नही है हौसलों के सामने
खुद में कुछ कर दिखाने का  जज्बा होना चाहिए
कामयाबी तो झक्क मार कर आएगी सलामी देने
दिल में कुछ कर गुजरने का ज़ुनू होना चाहिए
#सारस्वत
22102013

कामयाबी


कामयाबी 

#

कामयाबी अगर आज
दुश्मन की चैक पोस्ट भी है
तो परवाह नही है
होसलों का तिरंगा
पैहले भी लाहोर लहराया है
एक बार फिर से सही
#सारस्वत
21102013

जिंदगी का हिसाब मेरी शायरी

जिंदगी का हिसाब मेरी शायरी 

#
जिंदगी का हिसाब मेरी शायरी 
लम्हों की किताब मेरी शायरी 

पहचान का नकाब अपनापन 
खुलता हुआ मिजाज़ बचपन 
तकदीर का बरतन लाजवाब 
जिंदगी का हिसाब मेरी शायरी 

यादे गजल एहसास की बारात 
हफ्ते दिन महीने वक्ते मेहराब
कलम रोशनाई उजालों का साथ 
जिंदगी का हिसाब मेरी शायरी 

ख्याल सोना निर्मोल बोल पानी 
बस ! बीस दिन का नुक्सा सारा 
कुछ घीसा कुछ अध्पीसा सा 
जिंदगी का हिसाब मेरी शायरी 
#सारस्वत 
21102013