रविवार, 27 अक्तूबर 2013

ये तेरा दर्द

ये तेरा दर्द 

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ये तेरा दर्द आईने की शक्ल ले
जाने कब दिल में ही उतर गया

कभी धडकनों में महसुस किया
कभी ख़ामोशीयों में छुआ गया
कभी लब हिलते से दिखाई दिये
कभी शब्दों को बस सुना गया
कभी यादों के झोकें ले आ गया
कभी यादों को संग ले गुज़र गया
ये तेरा दर्द ...

मेरी हसरतों के बीच तेरी चाहतें
मेरी कोशिशे और तेरी साजिशें
मेरे सपनों में उडती तितलियाँ
मेरी तनहाइयों में तेरी ख्वाइशें
मेरी रात फिर खलिश ले गया
मेरा चाँद आज फिर गुजर गया
ये तेरा दर्द ...

चलता चला परछाइयों के साथ
करता रहा बात ख्वाबों के साथ
हल्का सा उतरा सर से नकाब
छलका छिटका पलकों से आब
कभी कदमों में दिल रखता गया
कदमों के निशां भी गिनता गया
ये तेरा दर्द ...

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सारस्वत
27102013

1 टिप्पणी:

  1. ये तेरा दर्द आईने की शक्ल ले
    जाने कब दिल में ही उतर गया
    bahut khoob baat kahi hai aapne

    जवाब देंहटाएं