गुरुवार, 31 मार्च 2016

मेरे दोस्त ...

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इस बार फिर से मुझ 'को, भूल गए मेरे दोस्त 
मिल गया शायद 'उन्हें, कोई हुनरमंद दोस्त 
उनकी कोई खता नहीं , अपनी क़िस्मत ही ऐसी है 
सपने दिखाने वाले 'अक़्सर , निकल जाते हैं मेरे दोस्त 
ऐसा नहीं है के अब 'किसी, से बात नहीं होती अपनी 
हर कोई मिलता है 'यहां पर, मतलब से मेरे दोस्त 
छुओ आसमान की बुलंदी को , ये दुआ है मेरी 
ज़मीन से दोस्ती थी 'कभी, भूलना नहीं मेरे दोस्त 
#सारस्वत 
31032016 

बुधवार, 30 मार्च 2016

सेल्फ़ी ...

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सेल्फ़ी 
एक इटेट्स की तरहा विकसित हुआ और रोग की तरह फैल गया 
इसके शिकार अधिकतर 
स्मार्ट कहलाने वाले , की इच्छा रखने वाले एंड्रायड फोन धारक हैं 
बकरी जैसे मुंह बनाना अदा में शुमार है 
जिस पर सेल्फ़ी के कलंदर सिकंदर सभी फ़िदा हैं 
हस्ते रोते गाते बजाते उठते बैठते हर समय की सेल्फ़ी इसके रंग हैं 
इनका बस चले तो हगने मूतने की भी सेल्फ़ी मार लें 
और क्या पता उनके मोबाईल में ये भी स्टोरीज़ हो 
कुछ भी हो सकता है 
आपके दावे कभी भी धराशाई हो सकते हैं 
मैं पहले ही बता चूका हूँ 
सेल्फ़ी एक इटेट्स की तरहा विकसित हुआ था 
फिर सेल्फ़ीमीनिया रोग की तरह फैल गया 
#सारस्वत 
20032016 


गुरुवार, 24 मार्च 2016

बुरा ना मानो होली है ... बोलो सारारारा ... रा

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बोलो सारारारा  ... रा  , 
बोलो बोलो  सारारारा  ... रा 
बोलो सारारारा  ... रा  , बोलो बोलो  सारारारा  ... रा 

सरपर टोपी  ... 
हाथ में डंडा  , डंडे उपर झंडा  ...
झुमरू बन गया नेता  , चंदे का करके धंधा  ... 
बोलो सारारारा  ... रा  , 
बोलो बोलो  सारारारा  ... रा 

झुमरू बोला  ... 
क्रीज़ ज़मा कर , बीच सड़क पर  ... 
भीड़ जुटा कर  ... 
चलो जाकर बैठो  ... धरने का यही है फंडा 
बोलो सारारारा  ... रा  , 
बोलो बोलो  सारारारा  ... रा 

झुमरू पहुंचा फिर  ...
न्यूज़ रूम में , रायते की दावत चटकाने  ... 
झूठमूठ  के किस्से सुनाकर ,  
भोली जनता  बुद्धू बनाने  ...  
कसमें खा कर अलाबला  ... झुमरू हो गया सण्डा 
बोलो सारारारा  ... रा  ,
बोलो बोलो  सारारारा  ... रा 

आम बताकर  ... 
अमरुद उगना , कोई आसान काम नहीं था  ...
पर झुमरू ने तो ठान लिया था ,
 जब कोई काम नहीं था , अजी !! 
नाप नाप कर जूट खाये  .. साथ में खाया अण्डा 
बोलो सारारारा  ... रा  ,
 बोलो बोलो  सारारारा  ... रा 
बोलो सारारारा  ... रा  , बोलो बोलो  सारारारा  ... रा 
#सारस्वत 
24032016 

बुधवार, 23 मार्च 2016

होली का चढ़ता बुख़ार ...

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हमने देखा है होली का चढ़ता बुख़ार 
बच्चे क्या नवले बूढ़ों को चढ़ता ख़ुमार
बच्चे क्या नवले  ... 
टुकर टुकर रस्ता देखे छम छम बजती पायलिया 
लट बलखाये चंद्रमुखी भी हो जाती है बावरिया 
धुकर धुकर करे जियरा तरसे ज़ालिम की जाँनिसार 
बच्चे क्या नवले  ... 
फिर मस्तों की टोली संग रंग पिचकारी संग 
नैन लड़ाने चैन चुराने बन हुड़दंगी रंगपचरंगी 
चाहत की देहरी पर आशिक़ की आती बहार 
बच्चे क्या नवले  ... 
दायें से कभी बायें से जब शौर मचाता मोहल्ला 
अललमगललम सर पर पानी धड़धड़ करता हल्ला 
पकड़ पकड़ में उठा पटक में होली का रंग शुमार 
बच्चे क्या नवले  ... 
चलें कभी लचक लचक तो कभी ठुमक ठुमक 
कभी धमक धमक तो कभी चमक चमक 
जरा सा अटक अटक अरे हां लटक लटक 
फिर सरपट भागे आगे आगे चटके तो रंग हज़ार 
बच्चे क्या नवले  ... 
#सारस्वत 
23032016 

बुधवार, 16 मार्च 2016

कमाल है ना ...

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कमाल है ना ... 
अनजान लोग
आते हैं ज़िन्दगी में , 
और दिल में 
उतर जाते हैं 

और 
उससे बड़ा कमाल ...
ये है 'के 
दिल से उतरने के बाद भी , 
वो 
यादें छोड़ जाते हैं 

‪#‎सारस्वत‬
16032016

शनिवार, 12 मार्च 2016

समय

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एक पल के लिये भी कब बैठा है ठहरा है समय 
करवट दर करवट  करवट ले रहा है समय 

लूट खसोट बढ़ कर जब कारोबार बन जाता है 
बुराई हसकर दिखती है जीत का जश्न मनाती है 
सच्चाई घुट कर रह जाती है शौक में डूब जाती है 
आँसूं बहाती है विरह के गीत गाती सुनाती है 
अच्छाई फिर जन्म लेती है बुराई बूढी हो जाती है 
बुराई के पतन और परिवर्तन का आ रहा है समय 
करवट दर करवट  ... 

दिन के बाद में रात का आना पहले से तय है 
अंधकार के बाद ही उजाले का सूर्य उदय होता है 
किल्विष भी रहता है गलत फैहमी का शिकार 
अँधेरा कायम हो तो सवेरा कभी नहीं होता है  
उठकर देखो नवप्रभात का शंखनाद हो रहा है 
यमुना तट पर कुम्भ है रवि शंकराय है समय 
करवट दर करवट  ... 
#सारस्वत 
12032016

शुक्रवार, 11 मार्च 2016

डर जाता हूँ

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खुद से मिलने के बारे में जब भी सोचता हूँ
बेगाना हो जाने के डर के डर से डर जाता हूँ

हाँ !! रातों को भी जगाता हूँ मैं अपने साथ में
क्योंके ,
तन्हा हो जाने पर अक्सर मैं डर जाता हूँ

ख्याल भी चुप रहते हैं मेरी तरहा ही मेरे साथ में
हिसाब  !!
उठते हुऐ सवालों को देने - करने से डर जाता हूँ

रोज करता हूँ वादा खुद से मैं नजर मिलाने का
लेकिन ,
नजरों में से गिर जाने के भय से डर जाता हूँ
#सारस्वत
21032014 

शुक्रवार, 4 मार्च 2016

मैं देख रहा हूँ ...

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मैं देख रहा हूँ छेद चौथेस्तंम्भ में गद्दारी वाले 
मैं देख रहा हूँ अप्लु पपलू नेता गद्दारी वाले 
मैं देख रहा हूँ  ... 
नमक देश का खाकर जो नमक हरामी करते हैं 
देश के टुकड़े टुकड़े करने को आज़ादी कहते हैं 
बगावत के नारे से ज़मानत के भाषण तक 
देशद्रोही को jnu मतवाला हीरो जतलाने वाले 
मैं देख रहा हूँ  ... 
भारत को जो गाली देता क्यों वही सुर्ख़ियों में होता है 
वन्देमातरम कहने पर क्यों कोरट भी रोक लगा देता है 
गद्दारों की टोली को भी देखो हिमामंडित कर देते हैं 
सबसे बड़े देश के दुश्मन ये ब्रेकिंग न्यूज़ बनाने वाले 
मैं देख रहा हूँ  ... 
#सारस्वत 
04032016 6 

हम

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संवेदनाओं की बोली को अक्सर समझ नहीं पाते 
भावनाओं को बोल कर भी व्यक्त नहीं कर पाते 

सहमति की अपेक्षा तो रखते हैं लेकिन प्रतिपक्ष से 
स्वम को पक्ष विपक्ष के दायरे से निकाल नहीं पाते 

संवाद में वाद से पलायन करना सीख लिया हमने 
कंकर विवाद के उछाले बिना अब खेल नहीं पाते 

माहौल में नकारात्मक ऊर्जा के भाव का प्रभाव है 
हम नासमझ बस इत्ती सी बात समझ नहीं पाते  
#सारस्वत 
04032016 

मंगलवार, 1 मार्च 2016

प्रयास लिखो ...

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निराशा का घर हो जीवन में अगर तो आस लिखो
नीरस ना हो जाये जीवन ऐसा कोई प्रयास लिखो

गाती जाती गीत धमनी में झरझर बहती सांसें
पल प्रतिपल संघर्ष है खारेपन में मिठास लिखो
प्रयास लिखो   ...
छोड़ जाते हैं साथ फूल पत्ते पतझड़ के मौसम में
खिल उठती है फिरसे वसुन्धरा ये विश्वास लिखो
प्रयास लिखो   ...
मत बांचो विरह वेदना विषाद व्यथा कथा को
सत्य साहित्य दर्शन व्याकरण संधि समास लिखो
प्रयास लिखो   ...
उड़कर देखो पंख लगाकर कल्पनाओं में रंग भरेंगें
स्वप्न छुएं यथार्थ धरा प्रयत्न शिलान्यास लिखो
प्रयास लिखो   ...
#सारस्वत
01032016