#
जिंदगी …
चार दिन की ,
कितनी दूर जानी थी
खर्च …
हो जानी थी ,
खर्च हो गई एक दिन
#
बाकी …
अब बस यादें हैं हवा में
और …
बातें हैं यादों में बाकी
जो …
हवा थी , जिस्म में दौड़ती
कैद से …
हवा हो जानी थी एक दिन
वो …
हवा , हवा हो गई एक दिन
जिंदगी …
चार दिन की …
#
प्राणी …
मिटटी का दुनियाँ पीर पराई
बंधन …
रिश्ते नाते सुख दुःख राम दुहाई
मिटटी को …
खाक हो जाना था किसी दिन
मिटटी …
जा मिली आखिर मिटटी से
और …
राख हो गई एक दिन
जिंदगी …
चार दिन की …
#सारस्वत
28102014