मंगलवार, 28 अक्तूबर 2014

जिंदगी … चार दिन की



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जिंदगी  …
चार दिन की ,
कितनी दूर जानी थी
खर्च  …
हो जानी थी ,
खर्च हो गई एक दिन
#
बाकी  …
अब बस यादें हैं हवा में
और  …
बातें हैं यादों में बाकी
जो  …
हवा थी , जिस्म में दौड़ती
कैद से …
हवा हो जानी थी एक दिन
वो  …
हवा , हवा हो गई एक दिन
जिंदगी  …
चार दिन की   …
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प्राणी  …
मिटटी का दुनियाँ पीर पराई
बंधन  …
रिश्ते नाते सुख दुःख राम दुहाई
मिटटी को  …
खाक हो जाना था किसी दिन
मिटटी  …
जा मिली आखिर मिटटी से
और  …
राख हो गई एक दिन
जिंदगी  …
चार दिन की   …

#सारस्वत
28102014 

रविवार, 19 अक्तूबर 2014

रुक जा साँस जरा लेलूं

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रुक जा साँस जरा लेलूं तो
हाल नजर का बतलाऊंगा
दम भर दूँ सूखे पत्तों में
फिर सबरंग भी पढ़वाऊंगा
*
उसकी आँखे मद के प्याले
मधुशाला तक ले जाऊंगा
उसकी पलकों से जो छलके
वो मोती भी दिखलाऊंगा
रुक जा साँस जरा लेलूं तो
हाल नजर का बतलाऊंगा
*
ओठों पर था इत्र इश्क का
अभी खुशबु वो सुंघवाउंगा
लब तर थे वादे वफ़ा से
सभी वादे भी वो सुनवाऊंगा
रुक जा साँस जरा लेलूं तो
हाल नजर का बतलाऊंगा
#
रंज ना करना सुनकर तुम
अभी खंजर भी दिखलाऊँगा
दिल में उसके राज़ दबा था
सब राज़ पाश कर जाऊंगा
रुक जा साँस जरा लेलूं तो
हाल नजर का बतलाऊंगा
*
उसकी बस्ती की बंद गलियाँ
सभी तुमको समझाऊंगा
आशिक़ का क्या हाल बुरा था
उस दीवाने सी भी मिलवाऊंगा
रुक जा साँस जरा लेलूं तो
हाल नजर का बतलाऊंगा
#सारस्वत
19102014 

शनिवार, 18 अक्तूबर 2014

किस तरहा से समझाऊं


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किस तरहा से समझाऊं मैं तुझ को
तू समझता नहीं जान निकल जाती है
*
तू ना आयें तो पथरा जाती हैं आँखे
आ जायें तो धड़कन रुक रुक जाती है
*
ख्याल बादशाही और ये दिल दीवाना  
एतबार की राहें वफ़ा पर ठहर जाती हैं
*
रोज बहाने बनाते क्या तू थकता नहीं
तेरे बहानों से तो रात भी थक जाती है
*
वादो पे जी रहे हम ये भी ख्याल रखना
इन्जार करते करते उम्र बीत जाती है

#सारस्वत
25092014 

बुधवार, 8 अक्तूबर 2014

इतिहास में समय की खोज करना

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इतिहास में समय की खोज करना ऐसे है
जैसे तथ्यों में सत्य की खोजबीन करना
खंडहर में दफन ध्वंसावशेषों को ढूंढ़ना
जैसे जीवाश्म में जीवन की खोज करना
इतिहास में ...
इतिहास शीर्ष मुकुट का लिखा जाता है
हार नहीं जीत का कसीदा पढ़ा जाता है
तबाही की गवाही संकेतों में मिलती है
कोई नहीं चाहता सत्य को दर्ज करना
इतिहास में ...
दमन का चाबुक जिंदगी जीने नहीं देता
सोचने समझने का कोई मौका नहीं देता
स्मृतियाँ पीढ़ी दर पीढ़ी धूमिल होती है
मुश्किल होता है सच को एकत्रित करना
इतिहास में ...
कुछ टुकड़े उपलब्ध होते हैं कुछ लापता
कुछ में जुड़ा कुछ कुछ खोये अपना पता
शौर्य गाथा में ढूंढ़ना मुश्किल होता है खता
टुकड़े टुकड़े बीन कर सच को तलाश करना
इतिहास में ...
#सारस्वत
08102014













हम जिनसे मोहब्बत की बात करते हैं

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हम जिनसे मोहब्बत की बात करते हैं
वो हम से दुश्मनी की बात करते हैं

थम लेते हैं शरीक ऐ मेहफिल में हाथ
अकेले में कत्ल करने की बात करते हैं

जब भी कहता हूँ चलो दिल की बतियाएंगे
वो बोलते हैं चलो मुददों की बात करते हैं

कब तलक चलेगा ऐसे पीर ऐ इश्क बता
दरो दिवार भी अब तो सवाल करते हैं

#सारस्वत
23122013

शनिवार, 4 अक्तूबर 2014

अजय भाई जी एवं भाभी जी की 22वी शादी की वर्षगाठं पर


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कुछ इस तरहा से पार किये , जिंदगी के  ... 22 साल  एक साथ 
हरकदम साथ मिला साथी का , रहे हर हाल में  ... एक साथ 


सपनों से समझदारी का सफर 
योवन से जिम्मेदारी का सफर 
कदम से कदम मिला के साथ 
कुछ इस तरहा से पार किये  ... जिंदगी के  ...22 साल  ... एक साथ 

2 शरीर एक आत्मा 
दोनों दिलों में एक धड़कन
सुख में दुःख में एक साथ 
कुछ इस तरहा से पार किये  ... जिंदगी के  ...22 साल  ... एक साथ 

आदर्श के बिम्ब प्रतिबिम्ब बने 
अजेय दाम्पत्य जीवन बने 
आपसी समझबुझ के साथ
कुछ इस तरहा से पार किये  ... जिंदगी के  ...22 साल  ... एक साथ 
शुभकामनाओं के साथ 
हार्दिक बधाई 
#सारस्वत 
04102014