सोमवार, 27 अप्रैल 2015

केदारनाथ त्रासदी के बाद पशुपतिनाथ भूकंम्प














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तबाही का मंजर देव भूमि के आँगन में
कुदरत का कहर पर्वतमाला के दामन् में
कोई हादसा नही ये प्रक्रति का प्रकोप है
ताँडव अभी तो बाकी है यही है संदेश में
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गौरी पुंड का वजुद जमिन्दोज़ हो गया
नामोंनिशान रामबाड़ा का भी मिट गया
केदारनाथ धाम मंदिर निश्चल खड़ा रहा
बाकि सब ताश के पत्तो सा बिखर गया
कुपित हो रहे महादेव चेतावनी है संदेश में
ताँडव अभी तो बाकी है यही है संदेश में
#सारस्वत
25062013











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मीनार धरहारा भरभरा कर के गिर गई
दरबार चौंक की रौनक पल में बिखर गई
तबाही का मंजर है दहशत है चेहरों पर
आँखों में आंसूं हैं मातम है पर्वतशिखर पर
भूमि श्मशान है और गर्द आसमान में
ताँडव अभी तो बाकी है यही है संदेश में
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हुई जिंदगी बेपटरी बाकी मुसीबतें हजार
लाशों का ढेर लगा ढूंढो जिंदगी के तार
भूकम्प गुजर गया खंडहर हुए घर नगर
मिटटी में मिटटी हुआ जिंदगी का सार
त्रासदी के बहार लिखा था मौत के संदेश में
ताँडव अभी तो बाकी है यही है संदेश में

#सारस्वत
26042015 

शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015

भाषण चालू है ...


















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आप के हाथ में झाड़ू है  … पब्लिक सारी आड़ू है
तू चढ़ जा बेटा सूली पे  … अभी कंजर भाषण चालू  है
आप का आम आदमी  ... माइक थामे हैं
 बैठ जाइये  ... बैठ जाइये  … भाषण चालू है

खेत में खड़ी फ़सल उजड़ गई है
आज किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो गया है
किसान का दर्द कोई सुनने वाला नहीं है
ख़बर रोज़ बनती हैं किसान गम के समुन्दर में डूब जाता है
वालेंटियर ही वालेंटियर हैं , महाकवि बता रहे  … भाषण अभी चालू है
बैठ जाइये  ... बैठ जाइये  … भाषण चालू है

जंतरमंतर धरना प्रदर्शन ऐसे ही चलता रहेगा
गजेन्द्र से कहदो तेरी शहादत का लाइव टैलिकाष्ट होता रहेगा
पल पल की ख़बरें देने में चैनल सारे मशगूल हुऐ
लम्बे छोटे ट्वीट के इशारे पल भर में दुनिया में मशहूर हुऐ
अजी , लटकने वाला लटक गया  … पर भाषण राशन चालू है
 बैठ जाइये  ... बैठ जाइये  … भाषण चालू है

भाषण वाषण रुक जाता तो कुछ भी हो सकता था जी
TRP कम हो जाती खर्चा मिडिया मांग सकता था जी
यहां से सारे मुंह लटकाके सीधे अफ़सोस को जायेंगे
फिर राजनीती में आप सभी को रोटियां सेक कर दिखलाएंगें
कहने को अभी बहुत है  … सुन लो कंजर का भाषण चालू है
 बैठ जाइये  ... बैठ जाइये  … भाषण चालू है
#सारस्वत
23042015 

गुरुवार, 23 अप्रैल 2015

भूखे की भूख













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पता चलता है भूखे की भूख से ही भूख कैसी है
भूख के रूप बहुत सारे हैं जैसी मति भूख वैसी है
किसी को धन की भूख तो किसी शोहरत की भूख
कहीं ममता की भूख कहीं भूख वासना जैसी है
कोई भूख में जान दे देता है भूखा मर जाता है
तो कोई यहींपर इसी भूख के लिये जान ले लेता है
भूख अस्तित्व के लिये अस्तित्व की लड़ाई है
भूखी प्लेट में भूख को परोसना ही है नेतागिरी
रामदुहाई है
#सारस्वत
23042015 

सोमवार, 13 अप्रैल 2015

जलियावाला बाग













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ये मातृभूमि साक्षी है लाखों भूमिपुत्र बलिदानों की
हक की लड़ाई की ख़ातिर संघर्ष पूर्ण उड़ानों की
ये जलियावाला बाग कोई साधारण बाग नहीं है
ये पुण्य धरा है बलिदानी क्रांति के मतवालो की
निहत्थों पर जब बन्दूंके चलवाई कमज़र्फ डायर ने
गवाही देती चीखें हैं रक्तरंजित अंगेजी शाशनकाल की
जनसैलाब डटा हुआ था जब आज़ादी की लेकर के मांग
बेमौत मारे डाले गये सब वीर अमर शहीद दीवानों की
कण कण में बिखरी है इसके हठधर्मी की ज़ुल्म कहानी
यहां जान लूटा दी देश की खातिर ग़ुलाम हिंदुस्तान की
जब माटी खून से लाल हुई रक्तरंजित बिखरे थे लाल
रंग अमृतसरी घटी घटना बसंती जघन्य हत्याकांड की
#सारस्वत
13042015 

रविवार, 12 अप्रैल 2015

श्री राम लखन और जानकी …















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श्री राम लखन और जानकी  … मातपिता का रख के मान
बन को चले हैं बन बनवासी   …
बन को चले हैं बन बनवासी   …  रघुकुल रीत का रख सम्मान
श्री राम लखन और जानकी  …

समय काल  … था विकराल
प्रातःकाल  … ही होगई संध्या
समय चाल  … था  चला चाल
दुःखसागर  … में  डूबी अयोध्या
कोपभवन में  … हारे दशरथ  …
कोपभवन में  … हारे दशरथ  … जीता कैकई का अभिमान  ....
श्री राम लखन और जानकी  …

राज तिलक  … राज्य सिंहासन
राज कुँवर ने  … सबकुछ त्यागा
राज भवन  …  राज्य ऐश्वर्य
सिया ने तज के  … धर्म को साधा
कर्म निभाया  … अनुज लखन में  …
कर्म निभाया  … अनुज लखन में  … सकल अयोध्या हुई वीरान
श्री राम लखन और जानकी  …

जब चले  … सँग चले
सब चले  … नगर जन पक्षी
जब चले  … बह चले
नयन सिंधु  … धारा बन साक्षी
बन प्रवासी  … बन सन्यासी  …
बन प्रवासी  … बन सन्यासी  … चले सभी को कर प्रणाम
श्री राम लखन और जानकी  …
#सारस्वत
18102007 

शनिवार, 11 अप्रैल 2015

शायद …


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पढ़े लिखे सभ्रांत समाज के
उच्चकोटि के ढाबे [होटल] का बैरा
देवता स्वरूप ग्राहक की गाली सुनने के बाद भी
माथे पर शिकन नहीं लाता है मुस्कुराता रहता है
शायद  ...
सहन शक्ति गज़ब की दिखाता है
इसीलिये परितोषण भी पा जाता है
लेकिन  …
सड़क के किनारे उगे दुबघांस की तरहा
बेढंगे ढाबो की बात अलग है
यहां पर अगर  ...
छोटू को भी गाली दे दी किसी ने
तो फिर  ...
न्यूटन का तीसरा नियम दिखाई देगा
बिलकुल स्पष्ट परिभाषित होता हुआ
एक तरफ़  ...
सभ्रांत समाज का बैरा
टिप के बोद्धि वृक्ष से प्राप्त
ज्ञान का अनुसरण करता है
ग्राहक की हर एक बात को
मुस्कुराहट के जल में प्रवाहित करता है
फिर भी वह न बुद्ध बन पाता है
ना बुद्ध का अनुयायी बन पाता है
दूसरी तरफ़  ...
चलती सड़क के किनारे का छोटू ढाबे वाला
आत्मसम्मान के साथ में स्वभाविक जीवन जीता है
और न्यूटन बन जाता है
शायद  … गैरत इसी का नाम है
ज़मीर की जमीन बंजर करके शहर सफेदपोश होगया है
कामयाबी का मूलमंत्र आज चापलूसी हो गया है
शायद  … इसी चुप्पी को कहते सब विद्वान हैं
मेरा भारत महान है
#सारस्वत
11042015

मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

विचार शुन्य का विचार

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मंथन से मुक्ति की मृत सम्भावनायें हैं
विचार शुन्य का विचार ही विस्फ़ोटक है निशब्द भावनाएं हैं

बेबसी है उदासी है असहाय आशायें हैं
काल्पनिक लोक है स्वर्गिक ऐश्वर्य की अंनत इच्छायें हैं
जीवन है जन्म है जाती भेद स्तम्भ हैं
पानी के कुए हैं कटुता के सरोवर हैं प्रतिबंदित प्रबन्द हैं
द्वेष है घृणा है टूटती मर्यादाएं हैं
रिस्ते हुये रिश्ते हैं कूट चालें हैं और भावुक अभिलाषाएं हैं
मंथन से मुक्ति की मृत सम्भावनायें हैं
विचार शुन्य का विचार ही विस्फ़ोटक है निशब्द भावनाएं हैं

बहुत फरक है जमीं आसमां में
गली मोहल्लों के घरों में दरवाजों के बीच से गुजरती हुई हवा में
अमीरी चमक रही है दौलत की क्यारी है
तो कहीं पर भूख तड़प रही है आँगन में लगी दुख्खों की ढेरी है
अरब की रेत उड़ रही है ज़मीर बंजर है
पत्थर हो गया है सरो का शहर कंक्रीट का जंगल ही जंगल है
मंथन से मुक्ति की मृत सम्भावनायें हैं
विचार शुन्य का विचार ही विस्फ़ोटक है निशब्द भावनाएं हैं

जब तक जीवन है संघर्ष हर पल है
विरोध ही विरोध है मानव के मष्तिष्क में अजीब सा कोलाहल है
सोच है समझ है सक्षम समाज है
बहुरंगी लोग हैं यहां पर बदलती परिभाषाओं से बदलते रिवाज़ हैं
साँस है आस है टूटता विश्वाश है
सुख की सुकून की आत्मिक शांति की आत्मा को फिरभी तलाश है
 मंथन से मुक्ति की मृत सम्भावनायें हैं
विचार शुन्य का विचार ही विस्फ़ोटक है निशब्द भावनाएं हैं
#सारस्वत
24032015