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श्री राम लखन और जानकी … मातपिता का रख के मान
बन को चले हैं बन बनवासी …
बन को चले हैं बन बनवासी … रघुकुल रीत का रख सम्मान
श्री राम लखन और जानकी …
समय काल … था विकराल
प्रातःकाल … ही होगई संध्या
समय चाल … था चला चाल
दुःखसागर … में डूबी अयोध्या
कोपभवन में … हारे दशरथ …
कोपभवन में … हारे दशरथ … जीता कैकई का अभिमान ....
श्री राम लखन और जानकी …
राज तिलक … राज्य सिंहासन
राज कुँवर ने … सबकुछ त्यागा
राज भवन … राज्य ऐश्वर्य
सिया ने तज के … धर्म को साधा
कर्म निभाया … अनुज लखन में …
कर्म निभाया … अनुज लखन में … सकल अयोध्या हुई वीरान
श्री राम लखन और जानकी …
जब चले … सँग चले
सब चले … नगर जन पक्षी
जब चले … बह चले
नयन सिंधु … धारा बन साक्षी
बन प्रवासी … बन सन्यासी …
बन प्रवासी … बन सन्यासी … चले सभी को कर प्रणाम
श्री राम लखन और जानकी …
#सारस्वत
18102007
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