रविवार, 3 अक्तूबर 2021

रिश्तों से रिश्ते ...

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रिश्तों से .. रिश्तें ... रिसने .. लगे हैं
पलकों में .. पल के ...  पीसने .. लगे हैं
दिलों में दिलों के , मोहब्बत नहीं अब
धुंए की शकल में , सिरहाने .. लगे हैं
रिश्तों से .. रिश्तें ...
नक्शों के नक़्शे ... उतरे से .. हुए हैं
जुल्फों में फसे से ...  उलझे से हुए हैं
फ़िकर है फ़िकर की , फिक्रमंद हूं मैं
नज़र में नज़र के , नज़रबंद लगे हैं
रिश्तों से .. रिश्तें ... रिसने .. लगे हैं
पलकों में .. पल के ...
बसर में असर बाकी , है रंजिशों का
उमर पे उमर का , नशा गफ़लती का 
दुआ में दुआ का , असर अब नहीं है
दुआ की दीवारों पे , जाले लगे हैं
रिश्तों से .. रिश्तें ... रिसने .. लगे हैं
पलकों में .. पल के ...
बिछुकर के मिलना , ये मिलना है कैसा
रंज तो बहोत है ,पर ...ये  रंज भी है कैसा
जिकर के ज़िकर में , है ज़िकर ख़ामोश
सब ज़िकर के बहाने से, आज़माने लगे हैं
रिश्तों से .. रिश्तें ... रिसने .. लगे हैं
पलकों में .. पल के ...
#सारस्वत 06022013  

मंगलवार, 3 अगस्त 2021

" बटवारा " ( रिस्तों का ... )

" बटवारा " (रिस्तों का ... ) 

[स्टोरी &स्ट्रांग सीन #सारस्वत ]



सीन नम्बर 01 

पंचायत में राजबीर सरपंच है , 

दोनों पक्ष की गवाही सुनकर फैंसला सुना रहा है ... 

राजबीर :- जब दो भाइयों में बटवारा होता है , तब बटवारे के साथ में रिश्तों का भी बटवारा हो जाता है , 

तब घर की हर एक जायदाद का बटवारा हो जाता है 

 अब वो बटवारा घर का ही या घेर का , ट्रेक्टर का हो या टुबैल का ... जब एक बार बटवारा हो जाता है तो उसके बाद में  फिर कोई भी , एकदूसरे के हिस्से में दखलंदाजी नहीं कर सकता , मगर जग्गी तूने बटवारे के बाद अपने भाई तेजिंदर के टुबैल  के पास के दो शीशम के पेड़ काटकर डेढ़ लाख में बेच दिए , जबकि तेरा उन पेडों पर कोई हक नहीं था , तेरा भी तेजिंदर तो फिर भी आधी रकम में राजी था... 

 लेकिन तूने उसे पैसे ना लौटाकर पंचायत तक बात को पहुंचाया है , इसलिये पंचायत जग्गी को दौशी मानती हुई उसे आदेश देती है के वह एक हफ्ते के अंदर अपने छोटे भाई तेजिंदर के पैसे लौटायेगा !!! 

जग्गी :- अगर मैं देने सै इंकार कर दूं तो ... 

राजबीर :- एक हफ्ते के बाद भी अगर जग्गी अगर अपने छोटे भाई तेजिंदर की रकम नहीं लौटता तब 

" यह पंचायत जग्गी के ट्रेक्टर ट्रोले को तबतक के लिए जपत कर लेगी जबतक जग्गी के ट्रेक्टर ट्रोले को किराये पर चढ़कर तेजिंदर की रकम वसूल नहीं हो जाती " 


{जग्गी (गुस्से से ) और राजबीर (गम्भीरता से ) एक दूसरे को देखते हैं ... 

और राजबीर खड़ा हो जाता है , गले का पटका झटकता है और दोबारा से कन्धे पर डालता है , स्लोमोशन में चलने लगता है , सभी देखते रह जाते हैं } 

गांव वाले :- वाह जी वाह ... मुखिया जी बहोत बढिया फैंसला 

धनप्रकाश(राजुमान का भाई) :- मुझै तो पहलै से पता था ... भाई किसका है 

लाला :- अररर यार किसका है , बोल बोल बोलता क्यों नी 

***** 

जितेंद्र :- मुखिया तूने आज का फैंसला ठीक नी करा , 

इसका खामियाजा तुझे भुगतना पड़ेगा ... 

तभी वहां धनप्रकाश(राजुमान का भाई) आ जाता है औऱ जितेंद्र को आवाज़ लगाता है , जितेंद्र उसे वहीं रोक देता है 

जितेंद्र :- अंदर आने से पहले यो बता दरवाजे पर कौन खड़ा है , मुखिया का भाई या जितेंद्र का दोसत 

धनप्रकाश(राजुमान का भाई) :- यू के बात हुई ... 

जितेंद्र :- जितेंद्र का दोस्त है तो दरवाजे खुले हैं तेरे लिए 

और धनप्रकाश (या दोस्ती इतनी कच्ची ना है ) कहकर आगे कदम बढ़ाता है , जितेंद्र का हाथ पकड़ लेता है , 

******* 

रात का समय ... 

राजबीर(राजुमान) :- किधर सै आरी सवारी ....

धनप्रकाश( शराब पी हुई है ) :- भाई साहब ... वो (जग्गी ) , आज पंचायत की वजह सै परेशान था ना ... बस ... उसके पास तक गया था 

राजबीर :- अच्छा यो दावत वहीं हुई दिक्खे 

धनप्रकाश राजुमान की तरफ झुककर  .. 

बड़बड़ाता है , भाई साहब आपका फैंसला सुपर और उनके कंधे पर ही लुढ़क जाता है , 

राजबीर :- बस यो रहा ठीक ... अरै कोई है क्या ... देखियो इसे !!!! 

****** 

राजबीर खेत पर काम कर रहा है ,दोपहर हो चुकी है तभी वहां वीरप्रताप (वीरू ) बाइक पर खाना लेकर आता है , दोनों खाना खाने लगते हैं , थोड़ी देर में पुजा आ जाती है , वीरू बहाने से जाता है गाना होता है 

(गाने में कई दिन, एक दिन पुजा का कंकर राजबीर को लगता है और उसे पता लग जाता है ) 

गाने के बाद :- 

****** 

रात के समय वीरू ,राजबीर के पास से जाने लगता है ... ताऊ राजबीर उसका हाथ पकड़ कर सीने से लगा लेता है 

वीरू : -  क्या हुआ ... 

राजबीर : - हर साल जन्मदिन पै तू सबसे पहलै मेरे पास आया करै था याद है ना ... 

वीरू : -हां याद है सब ... 

राजबीर: - कल तेरा जन्मदिन है ना ... बस इसलिए तुझे पुचकरुं था 

वीरू : - यो बहाना नि चलै , कल जन्मदिन है तो कल कू ई पुचकरिये 

राजबीर : -  अरै कल कू कहां टैम मिलै तूझै 

वीरू : - कैसै टैम निकलेगा यो सोचने का काम तेरा है हमें नी पता ... 

धनप्रकाश : - अरै कौन सा छत पै ... 

राजबीर: - अरै कहां मिलेगा यो तो बताता जा 

वीरू : - खड़का ना करै , वीरू के अलावा कौण हो सकै ... (जोर से ) सुना ... ऐसे मौसम मैं ... टुबैल का पानी मीठा होवै (राजबीर समझ जाता है ) 

**** 

सुबह के समय वीरू उठकर तैयार हो रहा है 

तभी बाहर से ताऊ की आवाज आती है , वो किसी को जोर से बोलकर बता रहे थे खेत पर जा रहा हूँ 

वीरू मुस्कुराता है 

***** 

वीरू तैयार होकर खेत पर जाने के लिए निकलने लगता है तो पीछे से धनप्रकाश आवाज लगाता है मगर वह अनसुना करके  आंगन पार करने लगता है 

तभी गेट से जितेंद्र अपने लड़के और कुछ गांव वालों के साथ में प्रवेश करता है बेटे के हाथ में सजी हुई थाली है ... 

जितेंद्र :- बधाई बधाई ... जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई बेटा 

आवाज सुनकर वीरू रुक जाता है , धनप्रकाश और वीरू की मां भी चौक में आ जाते हैं 

( वीरू पिता की तरफ देखकर इशारे से ... यो क्या ड्रामा है ...  पूछता है ) 

जितेंद्र :- अरै बेटा अपने बाप की तरफ क्या देख रा ... 

गले लगजा जग्गी से , जग्गी आज बहोत खुश है 

 बेटे के जन्मदिन सै बढ़िया रिश्ता पक्का करने का कौन सा दिन हो सकै ... क्यों बाई धनप्रकाश 

**** 

कॉलेज में लल्लन जस्सी के बेटे की बाइक में से हवा निकाल रहा है , 

***
थोड़ी देर बाद जस्सी जा बेटा और पुजा बाइक के पास आते हैं , बाइक में पेंचर देखकर ...
जसडी :- ओ तेरी . ..
पुजा :- ओ तेरी क्या भईया .   यो तो रोज़ का काम हो लिया ...
(तभी उनके पास से लल्लन निकलता है , जस्सी का बेटा आवाज़ लगा कर रोक लेता है)
पुजा :- भईया आप इसके टायर ट्यूब क्यू नी बदलवाते
लल्लन :-  ... रोज़ का काम हो गया तेरा ... इसका नमक खरीद लै नमक !!!! ( पुजा हसने लगती है )
जस्सी का बेटा :- (लल्लन से ) वीरू किधर है
(वीरू की एंट्री बाइक पर )
जस्सी का बेटा वीरू से बात करता है ...
वीरू :- मुझे पुजा को लेजाने में कोई दिक्कत नी है ... पर यो नखरे बहोत करै
और वीरू पुजा को लेकर चला जाता है , लल्लन और जस्सी का बेटा बाइक खिंच कर ले जाते हैं
" रास्ते में गाना "
वीरू पूजा को घर छोड़कर आता है , जस्सी दोनों को देखता है
****
रात धनप्रकाश जस्सी के पास रिश्ता मांगने गया था , मगर जस्सी ने तो बटवारे की शर्त रख दी थी , ऐसे में धनप्रकाश का दिमाग सुन्न हो गया था , अब उसे गलत सही का कुछ नहीं पता था ...  देर रात दारू पीकर आया था धनप्रकाश ...
अब अगले दिन धनप्रकाश की क्लास बड़े भाई के सामने लगनी थी ... और आज फिर इसे ही सूरज निकला ...
(राजबीर ने वीरू की शहर जाकर खाद लाने के लिए बोला )
वीरू आज जल्दी ही तैयार हो रहा था ,उसके एग्जाम होने थे इस लिए ...
इतने में धनप्रकाश उठकर चोक में आया तो राजबीर ने धनप्रकाश को आवाज दी ...
राजबीर:- इधर आइये धनप्रकाश ...
धनप्रकाश :- आया भाई साब (कुलल्ला करने लगा )
यह देखकर वीरू हस्ता हुआ (तैयार होकर) रसोई की तरफ गया तो वहां पर माँ को देखकर वीरू बोला ...
वीरू :- रात पी कै आया था बापू
वीरू की माँ :- पता नहीं तो ... क्यूं क्या बात ... 
वीरू :- वो देख सामहि ... ताऊ जी नै बापू को आवाज़ इबी लगाई ...,(हस्ते हुए .. )
वीरू की माँ  :- कुछ  काम बी तो हो सके ..
वीरू :- हमै ताऊ जी की आवाज़ का पता ...
ताई रसोई की तरफ आते हुए वीरू से) :- हां पता हमे बी ... तेरा अर तेरे ताऊ का बस , इन बातों में ही ध्यान रहन लगा (वीरू हस्ता है... ) जब स्कूल जल्दी जाना तो ... यो बकवास छोड़ कै तैयार हो लै
वीरू :- इबी बहोत टैम है ...
ताई :- दो चक्कर लगा गिय लल्लन ,(डांटते हुए) , ले पकड़  ... (और ताई ने वीरू को दूद का गिलास और दो परांठे पकड़ा देती है )
वीरू परांठे खाकर बाइक लेकर निकलता है तो ...
राजबीर (धनप्रकाश से) :- तेरा तो यो रोज़ का हिल्ला हो लिया बाई
धनप्रकाश :- किसका भाई साब ...
राजबीर :- पीने का और किसका ... क्यों सही है ना ...
धनप्रकाश :- नहीं भाई साब ...
राजबीर :- अच्छा तो हम झूठ बोल रे ...
धनप्रकाश (गर्दन झुककर ) :- नहीं भाई साब
( वीरू चला जाता है )
***
( वीरू लल्लन को आवाज़ लगता है , उसे लेकर जस्सी के घर की तरफ जाता है ,जहां से चारो को कॉलेज जाना था हमेशा की तरहा , जस्सी के घर जाकर हॉर्न बजाते हैं ... और वीरू सुबह  ताऊ के बापू को डांटने की बात बताने लगता है ... यह बात जस्सी भी सुन लेता है .. .
फिर चारो दो बाइक पर शहर की तरफ चल देते हैं
जस्सी के चेहरे पर मुस्कुराहट का क्लोज़ ... )
****
धनप्रकाश :- भाई साब इसमें जस्सी का जिक्र कहां सै आ गया ...
राजबीर :-  क्यों भई जस्सी का नाम क्यों नी आवेगा ...
जिब रोज़ के रोज़ पीने पिलाने का पिरोग्राम जस्सी के साथ मै होगा ... तो जस्सी का जिकरा तो होवै ई होवै
धनप्रकाश:- भाई साब आपको मझै जो कुछ बी कहना कह लो ... मेरे दोस्त को कहने का आपका कोई मतलब नी उठता ...
राजबीर :- अच्छा तो आज तू हमै समझावेगा ... किसै कहना है.. अर किसै नई कहना है ...
धनप्रकाश:- भाईसाब मेरा वो मतलब नी था ...
राजबीर:- हम तेरे सारे मतलब समझै धनप्रकाश...
बात को बढ़ता देखकर धनप्रकाश की भाभी उन्हें रोकने के लिए आने लगती है ... भाभी को पास आता देखकर धनप्रकाश ...
धनप्रकाश :- देख लै भाभी ... भाईसाब बात को कहां सै कहां लेके जारे ...
वीरू की भाभी :- आज कुछ काम नी है क्या आपको ... सुबह सुबह देवर जी को पकड़ लिया...
राजबीर (पत्नी से ):- तेराबी गज़ब होरा मतलब.इसै बिगड़ता हुआ देखता रहूं .. गाम वाले क्या कहैंगे ..
वीरू की ताई :- इतनी जोर सै बोलरे .. गाम वाले तो अब बी कहैंगे ..
धनप्रकाश :- कहैंगे क्या भाभी ... वो तो रोज़ कह ..
राजबीर;- हैँ !! किसनै क्या कह दिया ... ज़रा मै बी तो सुनु ...
धनप्रकाश:- सारा दिन कोहल्लु के बैल की तरिया लगा रहूं ... फिर बी ...
राजबीर :- किसनै कान भरे तेरे ... जस्सी नै ...
वीरू की ताई :- अज़ी रुको तो ...
राजबीर :- देख री इसै ... क्या बोलरा यू (धनप्रकाश से ) ना ना ... आज तू नी बोलरा ... आज तो तू किसी होर की बोल्ली बोल रा ...
धनप्रकाश :- जो बोल रा मैं बोल रा .. इसमेँ किसी होर का क्या लेना देना ...
वीरू की ताई :- देवर जी तम ई चुप हो जाओ ... बात कू बढ़ाया नी करते ...
धनप्रकाश :- सच्ची पूछो तो भाभी ... मैं तंग आ लिया इस रोज़ रोज़ की ...
राजबीर :- क्या कहना चाह तू ... खुल कै बोल ...
या जस्सी सै पूछ कै बतावेगा ... क्या कहना ...
धनप्रकाश :- भाईसाब टीम फेर जस्सी को बीच मै ले ई आये ...
राजबीर :- हां हां ... तो बता मझै ... जस्सी नै क्या कहा तुझे ... (गुस्से में ) अरै बोलता क्यूं नी ... इबी जुबान सुख गी क्या ... 
धनप्रकाश :- बटवारा !!!!!
(राजबीर ,वीरू की ताई , वीरू की माँ कॉलेज फेस )
क्या ... क्या ... क्या ...


****

दोपहर हो चुकी है , राजबीर और धनप्रकाश खेत में काम कर रहा है , वीरू बाइक पर खाना लेकर आता है , धनप्रकाश और राजबीर अलग अलग बैठ कर खाने लगते हैं  , वीरू रजबीर के पास में बैठकर खाने लगता है ...
राजबीर :- उधर चल उधर , तेरा रोज़ का हिल्ला हो लिया ... अपने बाप के साथ बैठ ...
( थोड़ी देर में पूजा आ जाती है , वीरू बहाने से )
***
श्मशान में राजबीर रो रहा है लाला राजबीर को संभालने की कोशिश कर रहा है गांम वालों ने गोससे लगाकर तैयारियां कर दी हैं , लाला राजबीर को हाथ पकड़कर उठाता है राजबीर अपनी पत्नी के शव की गांव वालों के साथ मिलकर लकड़ियों के उपर रखता है  तभी वीरू दौड़ता हुआ आता है और ताऊ से लिपट कर रोने लगता है , एक आदमी जली हुई लकड़ी लेकर आता ह राजबीर को पकड़ता हैै ... राजबीर जलती हुई लकड़ी वीरू को पकड़ा देता है ...
वीरू अपनी ताई की दाग देता है ... धीरे धीरे सभी चले जाते हैं ... वहां पर राजबीर लाला और वीरू रह जाते हैं तो लाला राजबीर को लेकर चला जाता है , आखिर में वीरू अकेला रह जाता है
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डूबी देखी मैंने शाम गाने से पहले
लल्लन वीरू को ढूंढता हुआ नहर के पास पहोचता है
लल्लन :- गजब है तेरा बी ... यहां बैठा , मैं सारे गाम मै ढूंढ आया
( वीरू कोई जवाब नहीं देता )
लल्लन :- क्या बात है ... किधर खोरा ... हम बेफालतू मै ई बक रे क्या ...
( वीरू इस बार भी कोई जवाब नहीं देता )
लल्लन :- पुजा सै झगड़ा हो गया क्या (नहीं ) ... चाचा नै कुछ कह दिया  (नहीं) ... ताऊ जी की याद आरी ... (नहीं) ... फेर के बीमारी है कुछ बतावेगा बी ...
वीरू :- ताई याद आती ...(रोने लगता है) तुझे क्या बताऊँ लल्लन , अभी दो दिन पहलै सुबह के टाइम ताई नै मुझै दहीं खिला कै शहर भेज्जा खूब खुश थी ... अर मेरे पीछै पता नी क्या तो हुआ क्या नी ...
घर मै दीवार खिंच गी अर मेरी ताई दुनियां सै जाती रही ... यकीन ई नी आता ... घर मै इतना कुछ हो गिया ... अर वीरू कहीं बी नी था ...
लल्लन :- वीरू तो जिब आया जिब घर का नाश हो लिया था
(लल्लन भी रोने लगता है और रोते हुए चला जाता है ... सुनकर वीरू चीख कर रोने लगता है !!!!! )
*****
( गाना - डूबी देखी मैंने शाम ... )
[ गाने में वीरू , राजबीर-लाला ]
*****
गाने के बाद लाला राजबीर को छोड़ने आता है .. धनप्रकाश के घर के सामने खड़ा हो जाता है और
जोर से आवाज लगाता है ... 
धनप्रकाश ... धनप्रकाश ...
(धनप्रकाश जब तक आता है राजबीर अपने घर की तरफ चल देता है , उसकी अपने छोटे भाई की तरफ कमर होती है )
धनप्रकाश (गुस्से में ) :- क्या है लाला... इतनी रात क्यू शोर मचा रा
लाला :- (एकबार राजबीर को जाता है देखता है फिर धनप्रकाश की तरफ हस्ते हुए ) मैं तो नू कहूँ था दरवज्ज़ा बन्द कर लै रात होरी
धनप्रकाश लाला को घूरता हुआ बड़बड़ाता है ... तुझे तो मैं तड़कै देखूंआ (और दरवाजा बंद कर लेता है )
***
(थोड़ी देर में वीरू गिरता पड़ता आता है ... दोनों तरफ के दरवाजे बंद देखकर वीरू ताऊ के दरवाजे पर पहोचता है और दरवाजा खड़ाकर ताऊ जी से खोलने को बोलता है , आवाज सुनकर राजबीर दौड़कर दरवाजे के पास जाता है , दरवाजा खोलने से पहले ही अपने हाथ वापस खींच लेता है , बाहर वीरू बोल रहा है ... मगर राजबीर चाहकर भी दरवाजा नहीं खोल पता ... और राजबीर मुह पर कपड़ा ऱखकर सिसकियां भरने लगता है ... सिसकियों की आवाज सुनकर वीरू बाहर रोने लगता है और चिल्लाता है )
म्हारा नास कर दिया ... मेरे बाप नै म्हारा नास कर दिया .... ताऊ जी सुन रे ना तम ... थारे होतेसोते मेरे बाप नै नास कर दिया ....
दोनों रोते रहते हैं , चौक में वीरू की माँ खड़ी हुई  बेटे की बात सुनती सुनती बैठ जाती है , तभी पीछे से धनप्रकाश भी आ जाता है .... बाहर वीरू रोने लगे रहा है )
***
अगले दिन धनप्रकाश लाल की दुकान पर जाता है ...
धनप्रकाश:- कल के था लाला ...
लाला :- कल ..  कल तो तेरी मेरी मुलाकात बी नी हुई
धनप्रकाश :- झूठ क्यूं बोलरा लाला ... रात तम दोनों साथ नी थे
(अरै सच्ची पूछै तो ... तेरी शक्ल देखना बी नी चाहता ... मुलाकात तो ढेर दूर की बात है .... )
लाला :- मैं किसकी साथ था किसकी साथ नहीं था , इससे क्या फरक पड़ै ... जिब हम कहरे, नहीं मिले तो नहीं मिले ... इसमें झूठ सच की क्या बात आगी भला
धनप्रकाश:- इबी तू फालतू बोलरा लाला , रात तम दोनों नी थे 
लाला :- दोनों ?? मेरै तो घरवाली बी नी है , तड़कै ई सटीक आया दिक्खे
धनप्रकाश :- तू तो मुझै ई झूठा साबित करने पै तूलरा ... क्यूँ बई .. रात तू उसके साथ नी आया था
लाला :- उसकी किसकी गैल आया था , उसका कुछ नाम बी होवै ...
धनप्रकाश :- वो .. वो ...
लाला :- वो वो .. अरै कौन वो वो
धनप्रकाश :- राजबीर !!!!
लाला :- (ताली बजाकर ) बढिया बहोत बढिया ... जिसके आगे धनप्रकाश का आजतक कभी सिर नी उठा ... बटवारा क्या होगया ... अब ... बाप बराबर बड़े भाई का नाम लिया जारा ... सुना था कलयुग आ गया ... आज देख बी लिया
(धनप्रकाश वापस चला जाता है )
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कॉलेज में वीरू और पूजा की बात
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कॉलेज से वापसी आते हुए वीरू ललन को घर छोड़ने जाता है तो लाला वीरू को रोककर ...
लाला :- घर मै दीवार आगी तो ताऊ को भुला दिया दिक्खे
वीरू :- नहीं ताऊ जी ... मैं तो ...
लाला :- मझै ना चपरवै ..  थारे बाप बेट्टे दोनों के ड्रामे सारे जाणू  ...
लाला :- वो तेरे ताऊ के खेत सुख्खन लगरे ... वी तो नी दिखाई दिए होंगे तम बाप बेट्टे मै सै कोई से कू बी ,
(सुनते ही वीरू घर की तरफ बाइक मोड़ देता है )
बस बाइक पै घूमना होना चाइये ... ताऊ साउ का रिश्ता कोनसा बाककी रह रा कुछ ...
(थोड़ी देर बाद लाला को वीरू ट्रेक्टर लेकर जाता हुआ दिखाई देता है )
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(धनप्रकाश और जस्सी साथ में हैं तब ही वीरू ट्रेक्टर लेकर आता है ... वीरू को देखकर जस्सी )
जस्सी :- लै बई , वीरू तो खेत जोत कै आलिया , अब हम चलै ... (कह कर उठने लगता है ... धनप्रकाश ...  )
धनप्रकाश :- किधर सै आरी सवारी ...
वीरू :- कुछ काम था
धनप्रकाश :- जरा हमें बी बता दै ... ट्रेक्टर लेकै कौन से काम पै गया था  
वीरू की मां :- ऐसी क्या बात होगी जो दरवज्जे पे ई खड़ा कर दिया वीरू कू ... इसै अंदर तो आ जान दो
धनप्रकाश:- अपने लाडले सै पूछ तो लै पहलै किसके खेत मै ट्रेक्टर चला के आ रा
वीरू की मां :- किसके खेत मै ???
धनप्रकाश :- मेरे सै क्या बुझै ... यो ई बता देगा
(वीरू की मां , वीरू की तरफ देखती है ... तब वीरू )
वीरू :- जो पैसे देगा ... वीरू तो उसकै खेत मै ट्रेक्टर चला देगा .. मेरे सै तो कोई बी ट्रैक्टर चलवा लो ... तुम कहोगे तो थारे खेत मै बी चला दुम्मा ... (कहकर निकल जाता है )
धनप्रकाश :- सुन लिया ... बाप सै कैसै बोलला जा
सारी तमीज़ भूल गिया तेरा लाडला ... ( कहकर धनप्रकाश बाहर निकल जाता है , वीरू की मां खड़ी रह जाती है )
वीरू की माँ :-  बाप सै कैसे बात करा करें यो बी भूल गया क्या
वीरू :- मैं ई कौनसा ऐसे बोलना चाहूं ... मां तू समझ नी सकती ... घर का नाश कर दिया बाप्पू नै ...
(और कहकर रोते हुए अपनी मां से लिपट जाता है )

******
रात के समय है , वीरू और राजबीर छत के उपर बैठे हैं ...
वीरू , ताऊ राजबीर के पास से जाने लगता है ...
राजबीर , वीरू का हाथ पकड़ कर सीने से लगा लेता है
वीरू (चौक कर) : -  क्या हुआ ...
राजबीर (लिपटकर ) : - हर साल जन्मदिन पै तू ...
सबसे पहलै मेरे पास आया करै था ... याद है ना ...
वीरू : -हां याद है सब ...
राजबीर (सिरपर हाथ फेरते हुए) : - कल तेरा जन्मदिन है ना ...
बस इसलिए तुझे पुचकरुं था  ...
वीरू (ताऊ के बाहुपाश से निकलते हुए) : - यो बहाना नि चलै ,
ना .. जन्मदिन कल है तो ... कल कू ई पुचकरिये ...
राजबीर : -  अरै कल कू कहां टैम मिलै तूझै
वीरू : - कल कू कैसै टैम निकलेगा , कैसै नी ...
यो सोचने का काम तेरा है ... हमें नी पता ...
धनप्रकाश को छत पर दोनों के खुसरपुसर की आवाज़ सुनाई देती है
धनप्रकाश नोकर से कहता है उपर देखिए कौन है
नोकर चौक में आकर आवाज लगाता है
नोकर  : - अरै कौन सा छत पै ...
नोकर की आवाज़ सुनकर , वीरू चलने लगता है , तो ...
राजबीर ताऊ , वीरू का पीछे से कंधा पकड़कर ...
राजबीर (धीरे से ) : - अरै कहां मिलेगा यो तो बताता जा
तभी नोकर  की फिर से आवाज़ आती है : - अरै कौन सा छत पै ...
वीरू (नोकर से): - खड़का ना करै , वीरू के अलावा कौण हो सकै ...
और ताऊ से कंधा छुड़ाकर ... चलते हुए ...
(जोर से छत पर ताऊ को सुनकर ,नोकर से ... )
सुना है , ऐसे मौसम मैं ... टुबैल का पानी मीठा होवै , तेरा क्या ख्याल है
नोकर :- बात तो आप सही कहा जी ...
वीरू :- हम तो सारी सही कह , पर किसी के सिमझ मै आवैं , जिबकी है
(और राजबीर समझ जाता है , सुबह ... खेत पर मिलेगा वीरू )
#सारस्वत ( राइटर डायरेक्टर )
... बटवारा रिश्तों का ...

आज वीरू का जन्मदिन है ... वीरू घर से तैयार होकर ताऊ से मिलने जा रहा है , घर से निकलने लगता है तो पीछे से धनप्रकाश आवाज लगाता है मगर वीरू उसकी किसी भी बात का जवाब नहीं देता (बटवारे के बाद से वीरू ने धनप्रकाश से बोलना लगभग छोड़ दिया है , चौक पार करते ही जग्गी आता हुआ दिखाई देता है

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वीरू को जग्गी के बेटा गुंडों के साथ घेर लेता है ,
दोनों की लड़ाई होती है
लड़ाई देखकर एक गांव वाला धनप्रकाश को बताने के लिये गांव की तरफ दौड़ता है
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वीरू का इंतजार करके राजबीर और लाला खेत से वापस आने लगता है ...
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गांव वाले आदमी को रास्ते में राजबीर साईकल के साथ मिलता है ....
वह राजबीर को वीरू की लड़ाई के बारे में बता देता है
सुनते ही राजबीर साइकल छोड़ कर वीरू की तरफ दौड़ लगाता है ... (अरै किसकी हिम्मत होगी मेरे बेटे पै हमला करने की ... (लाला - आलिया आलिया मै बी आलिया )
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गांव में वीरू के ऊपर गुंडों ने हमला कर दिया , लड़ाई का शोर मच जाता है ....
*****
धनप्रकाश ... लल्लन ... पीछे गांव वाले
( सिंगल फ्रेम में )
सभी दौड़ते हुए लड़ाई वाली जगह (पुलिया के पास ) पहुचते हैं ... वहां पर कोई नहीं होता ...
तभी खेत में से कुछ काम करने वाले लोग निकल कर आते हैं , जो बताते हैं ...
जग्गी के बेटे ने चाकू मार दिया , बिचारे का बचना मुश्किल है  ... घायल को शहर हॉस्पिटल ले गए हैं ...
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सुनते ही वीरू के पिता धनप्रकाश की चीख़ निकल जाती है ...
और वह हॉस्पिटल की तरफ दौड़ लगा देता है ...
पीछे पीछे लाला भी भागता है ... उसके पीछे गांव वाले भी हॉस्पिटल की तरफ दौड़ते हैं ...
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( धनप्रकाश हॉस्पिटल के गेट को पार करके ,
सीढ़ियां चढ़ता हुआ , वीरू वीरू चिल्लाता हुआ हॉस्पिटल के रिशेप्शन से आगे से निकल जाता है ...
धनप्रकाश बदहवास सा हॉस्पिटल के ऑपरेशन थेटर की तरफ जाने लगता है ... )
तभी पीछे से वीरू की आवाज आती है ...
वीरू :- ज़िंदा हूं
धनप्रकाश (पलटकर वीरू के शरीर पर हाथ फेरते हुए ,बड़बड़ाता है ) :- गांव वाले तो कह रे थे , चाकू मार दिया ...
वीरू :- इतनी जल्दी नी मरने वाला ... (क्या ) ...
अगर तसल्ली हो गी हो तो वापस जा सकै ...
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( पीछे रिशेप्शन है जहां कुछ आदमी खड़े हैं .. वीरू निकल रहा है , पीछे धनप्रकाश है  )
धनप्रकाश :- अर तू ...
वीरू :- (रुककर )मुझै काम है .. (धनप्रकाश पीछे चलता है)( वीरू पलटकर) अर .. पीछा करने की जरूरत नहीं है
(आवाज़ सुनकर लाला रिशेप्शन से पलटता है , धनप्रकाश वीरू की तरफ फिरसे चलने लगता है तो लाला बोलता है )
लाला :- वीरू सही कहरा , उसका पिच्छा करने की जरूरत ना है
धनप्रकाश :- सुना लाला , वीरू क्या कहके गया ...
लाला :- मैंने सुन बी लिया , समझ बी लिया अर देख बी लिया
धनप्रकाश :- क्या मतलब
लाला :- राजबीर अगर बीच मैं ना आया होता ,
तो ... तेरे यार बास न आज वीरू का खेल खराब कर देना था ... उसने वीरू की सारी आफत जाफ़त अपने सिर लेली .. अर ईब हस्पताल मैं जिंदगी मौत के बीच मै झूल रहा
(और उसके साथ ही लाला धनप्रकाश को आंखों देखी लड़ाई बताता है )
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धनप्रकाश :- इस सारे फसाद की जड़ तो मैं हूँ , अगर मैंने जग्गी के कहने में आकै बटवारा ना मांगा होता तो ...
लाला :- कुछ शरम बाकी है तो इबी जाके माफी मांग ले
धनप्रकाश :- किस मुह सै माफी माँगू लाला , मैं तो ...
लाला :- इसी मुह तै आज माफी मांग लै , जिस पै उस दिन मन्थरा बैठ गी थी
(धनप्रकाश लाला की तरफ देखने लगता है )
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धनप्रकाश राजबीर के पैरों में गिरकर माफी मांगता है
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( जग्गी अपने बेटे को पिटता हुआ हॉस्पिटल आता है
लाला और धनप्रकाश के पास आकर माफी मांगता है )
लाला :- तेरा भेद खुल गया जग्गी , अब यहां नया ड्रामा करने की जरूरत ना है
जग्गी :- लाला यो सच है के प्रधानी की वजह सै राजबीर सै मै चिडूं था ,अर तेजिंदर के साथ मै शीशम के पेड़ों के झगड़े मै राजबीर नै जो फैंसला दिया उसकी वजह सै मैं राजबीर सै नफरत करने लगा , ओर उसे नीचा दिखाने की साजिश करने लगा , अपने गुस्से और नफरत की वजह सै ही मैंने दोनों भाइयों में बटवारा करवा कै राजबीर को अकेला करने की कौशिश करी , लेकिन ...
लाला :- इबी तो जी राज़ी होगा तेरा ... यही देखन आया होगा के राजबीर कितेक देर मै मरेगा ...
जग्गी :- राजबीर से जग्गी नफरत करे था यो सारा गाम जानै लेकिन मेरा यकीन मानिए लाला ... किसी को मारने की तो (मैं कदी बी नी सोच सकता ) इसनै (बेटे की तरफ ) मुझे हत्यारा बना दिया  , इसके लिए मैं हाथ जोड़ कै माफी माँगू
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पुलिस जग्गी के बेटे को पकड़कर ले जाती है
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रसोई में वीरू की माँ (शांति) , चाय बना रही है , तभी पूजा आ जाती है , पूजा शांति से चाय की ट्रे ले लेती है
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वीरू और लल्लन दीवार पर बैठे (चौपड़ खेल रहे) हैं
पूजा उन्हें चाय देती है ... तो वीरू
वीरू :- देख देख तड़कै ई क्लास लग गी
बापू की आज फिर क्लास लेली ताऊ नै
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लाला रसोई के समान के थैले के साथ में घर में एंट्री करता है , देखता है ...
घर की दीवार को वीरू और लल्लन तोड़ रहे हैं
राजबीर धनप्रकाश को डांट रहा है
वीरू:- ( लल्लन से )
लाला :- सबेरे सबेरे ... बोनी तो जरूरी होवे है ना
" बटवारा " (रिस्तों का ... कहानी औऱ खास सीन ) 

***#सारस्वत (writer director )***

 ___(rainbows media )___


सॉरी ... स्टोरी स्क्रीनप्ले .

( यस अपने it ऑफिस में काम करता है , पुजा से शादी हुए 2 साल हो गए हैं , आज उनकी मैरिज एनिवर्सरी है , पूजा के पास फोन आ रहे हैं , वह उन्हें अटेंड करते हुए केक को टेबल पर सज़ा रही है ... फ्री होने के बाद 
पुजा - यश को फोन करती है ) 

पुजा (फ्रेश मूड में मुस्कुराते हुए ) :- उठाओ उठाओ फोन उठाओ यश , किधर बिज़ी हो यार ... देखो मैंने यहां सब तैयारी कर ली हैं , अब बस तुम फोन को उठाकर बता दो , कितनी देर में आ रहे हो ... 

(यश अपने काम में बिजी है , फोन की बेल बजती है , 
मगर साइलेंट मोड़ की वजह से उसे पता नहीं लगता ) 

... उधर पूजा फोन दूसरी बार तीसरी बार बारबार फोन करती है , अब पुजा का मूड खुशी से नाराजगी की तरफ मुड़ने लगता है ... और यश के फोन का कोई जवाब ना देने पर ... पुजा गुस्से में केक के साथ फोन को भी तोड़ देती है ... और रोने लगती है ... 

( यश देर रात कार ड्राइव करके आता हुआ है , 
पुजा, यश को बालकोनी से देखकर मेनगेट का लॉक खोल देती है , जैसे ही यश घर में एंट्री करता है पुजा खुद बैडरूम का दरवाजा अंदर से बंद करके सोने के लिए लेट जाती है ... 

यश लॉबी में आता है तो ... 
केक बिखरा हुआ देखता है तो उसको एनिवर्सरी याद आती ... तो उसको खुद के ऊपर गुस्सा आता है .. 
बैडरूम के दरवाजे की तरफ जाता है ... और पुजा को एक्सक्यूज़ देता है )

यश :-  सॉरी यार , वर्कलोड की वजह से भूल गया ... प्लीज़ प्लीज़ प्लीज़ ... 
दरवाज़ा खोलो पुजा .... 
पुजा मुझे मालूम है तुम सोई नहीं हो ... 
माफी मांग तो रहा हूँ ... 
(हमका माफी देईदो हम से भूल हो गई ... 
(बड़बड़ाता है ) नहीं ... 
ओह शीट ... (फिर से दरवाज़े की तरफ पलट कर ) 
 मतलब आज ड्राइंगरूम में सोना पड़ेगा ... 
यू आर माई डार्लिंग तुम हो मेरी जान ... 
दरवाज़ा खोलो ना यार .... 

( मगर पुजा कोई जवाब नहीं देती केवल रोती रहती है ) 
... तब यश वापस लौटकर कपड़े बदलता है .. फिर केक से खराब हुए फर्श को साफ करता है ...
 ( जब से हुई है शादी आंसू बहा रहा हूं ... 
आफत गले पड़ी है ... ) 
मोबाइल को उठता है ... बैटरी लगाकर ऑन करता है तो वह ऑन हो जाता है , यश उसे टेबल पर रख देता है ... फ्रीज़ से पानी की बोतल निकाल कर सोने के लिए सोफे की तरफ चला जाता है )
अगले दिन सुबह यश उठता है बेडरूम के दरवाजे की 
तरफ देखता है , वह अभी भी बंद है , यश तैयार होता है फिर दरवाजे के पास जाकर ) 

यश :- रात के लिए सॉरी यार ... लेकिन आज आज मैं  जल्दी आऊंगा शाम को ...  ok .. अभी तो मैं ..निकल रहा हूँ ... तुम तैयार रहना ... (कैमरा अंदर कमरे में पुजा सो रही है ) ...डिनर बाहर ही करेंगे  अच्छा तो अभी निकल रहा हूँ ... शाम को मिलते हैं बाय !!! 

और यश ऑफिस निकल जाता है ... यश के जाने के बाद पुजा दरवाजे को खोलती है उसे यश दिखाई नहीं देता ... तो  उसको हैरानी होती है ) 

यश का ऑफिस में आज मन नहीं लग रहा है ... यश  पुजा की नाराज़गी को डायलूट करने के उपाय सोचता है मगर उसे कुछ समझ नहीं आता .. और आखिर में वह घर की तरफ निकल जाता है ... 

डोरबेल बजती है ... पुजा दरवाज़ा खोलती है तो देखती है...  
सामने यश बुका लेकर खड़ा हुआ मुस्कुरा रहा है ... 
यश ;- सॉरी !! 
पुजा यश को दरवाजे पर ही छोड़कर अंदर आने लगती है तो यश आगे आकर पुजा का रास्ता रोककर बुका पेश करता है और कल के लिये सोरी बोलता है ... पुजा का गुस्सा फूट पड़ता है और वह यश के हाथ से बुका छीन कर फेंक देती है... 
पुजा :- यश तुम्हें लगता है ... इन फ्लावर्स को देखकर मैं मान जाऊंगी ..  तुमने मेरा कल ... मैंने पता नहीं क्या कुछ सोच रक्खा था ... मगर तुम्हें तो हमारी शादी की तारीख तक याद नहीं थी ... एक . मैं ही बेवकूफ पागल हूं जो ... जो .. नहीं नहीं ...अब इस ड्रामे की कोई जरूरत नहीं है ... अब मैं अच्छे से समझ गई हूं तुम्हें ... तुम्हारी नज़र में मेरी कोई वेल्ल्यु नहीं है   तुम्हें मेरी कोई परवाह नहीं है ... मेरी तो किस्मत फूटी थी जो तुमसे शादी की मैने .... 

( पूजा के जो दिलमें आता है सुनाती है , यश सॉरी सॉरी करता रहता है ... 
तभी पुजा के फोन की बैल बजती है तो यश को वहीं छोड़कर अंदर चली जाती है ... ) 
पुजा फोन देखती है तो हैरान हो जाती है यश की तरफ देखने की कोशिश करती है (क्योंकि फोन यश के मोबाइल से आया था ... ) पुजा फोन ऑन करती है तो दूसरी तरफ से अनजान आवाज़ आती है ... ) 
इंस्पेक्टर :- हैलो !!! मैं गुड़गांव पुलिस स्टेशन से इंस्पेक्टर (इंद्रपाल) मलिक बोल रहा हूँ ... क्या मेरी बात यश भारद्वाज के परिवार के मेंबर से हो रही है 
पुजा :- जी हां मैं यश की वाइफ हुं ... एनी प्रोब्लम ... 
इंस्पेक्टर मलिक :- आपको फोन करने के लिए मै क्षमा चाहता हूं ... दरसल यहां एक एक्सीडेंट हुआ है ... जिसमें आदमी की डेथ हो गई है ... उसकी जेब से वायलेट और मोबाइल मिला है ... मोबाइल में यह नम्बर होम के नाम से सेव है ... तो मैम आपको बॉडी को पहचान के लिए यहां आना पड़ेगा ... क्या आप अभी सिविल अस्पताल आ सकती है ... 
पुजा :-  क्या ...  (हैरानी के साथ बड़बड़ाती है ) लेकिन ... मेरे पति तो यहां मेरे साथ में ... 
इंस्पेक्टर मलिक :- सॉरी मेडम .. यह घटना दो घण्टे पहले की है ... जब वह मेट्रो स्टेशन से बाहर निकल रहे थे ... 
पुजा फोन को छोड़कर ड्राइंगरूम की तरफ भागती है तो पुजा को ड्राइंगरूम में यश दिखाई नहीं देता ... 
पुजा दरवाजे की तरफ देखती है ... 
वह अभी भी बंद है .. 
अब पुजा को इंस्पेक्टर की फोन पर की हुई बात कानों में गूंजने लगती है ... 
****
अब पुजा को यश के साथ गुजारे लम्हें याद आने लगते हैं ... 1, 2, 3 , 4 ,5 .... 
पुजा को याद आता है .. 
एक बार यश पुजा की गोद में लेटा हुआ पुजा को छेड़ रहा था , पुजा मोबाइल पर स्टेटस देख रही थी .... तभी एक वालपेपर को देखकर पुजा बोली ... 
पुजा :- यश (हूं) देखो ना ये वायरल स्टेटस में क्या लिखा है ... 
यश (पुजा को छेड़ते हुए) :- क्या लिखा है ... 
पुजा :- इसमें लिखा है ... मरने के बाद इंसान एक बार उससे मिलने जरूर जाता है जिसकी वह सच्चा प्यार करता है ... 
यश :- अच्छा !!! ऐसा लिखा है ... 
पुजा:-  हां इसमें तो यही लिखा है  ... 
यश :- तो ठीक है ... मरने के बाद मैं भी तुमसे मिलने आऊंगा (हसने लगता है ... ) 
पुजा :-  (यश के होंटो पर उंगली रख देती है )... ऐसे नहीं कहते यश ... 
यश :- (पुजा की उंगली हटा कर ) अब कुछ नहीं हो सकता पूजा ... अब तो हमने अपनी मोहब्बत से वादा कर लिया है ... (और पुजा को बाहों में भर लेता है और धीमी आवाज़ में .. ) 
बिल्कुल भी डरना नहीं है ... तब मै तुम्हें प्यार करूगा  इस तरहा से ... (नहीं) ... इस तरहा से ... ( नहीं ) हां ऐसे भी ... (नहीं ) ... 
*** 
यकीन होने लगता है ... (पुजा के चारो तरफ को कैमरा घुमता है ) 
पुजा घर में बने मंदिर के सामने जाकर बैठ जाती है  
रोते हुए भगवान के सामने यश की जिंदगी की भीख मांगने लगती है ... फिर अपनी नाराजगी की माफ़ी मांगती है ... ओर अंत मे भगवान से विनती करती है के एक बार बस एक बार मुझे यश से मिला दो ... और रोने लगती है ... 

*** 
तभी बाथरूम का दरवाजा खुलता है ... 
उसमें से यश बाहर निकलता है ... 
दोनों की नजरें मिलती हैं ... 
यश को जिंदा देख कर पुजा ... 
दौड़कर यश से लिपट जाती है ... 
और रोते हुए पुजा बड़बड़ाने लगती है ... 

पुजा :- कहां चले गए थे ... 
यश :- अरे मैं तो बाथरूम गया था 
पुजा :- मेरी तो जान निकल गई थी ... 
यश :- क्यों ?? क्या हुआ तुम्हें ... 
पुजा :- कुछ नहीं बस !!!  ..  तुम नाराज़ तो नहीं हो 
यश :- नाराज़ और मैं ... मैडम जी क्या बोल रही हो 
पुजा :- अब मैं कभी नाराज़ नहीं होउंगी ... कभी नहीं 
...  वादा करो कभी मुझे छोड़कर नहीं जाओगे ... 
(औऱ यश को कस कर हग पुजा करके लिपट जाती है ... दोनों थोड़ी देर लिपटे रहते हैं ... फिर ... )
यश :- पुजा ...  (हूं) ... 
यश :- आज एक नुकसान हो गया ...  (अच्छा) 
यश :- पुछिगी नहीं क्या ... (क्या ) 
यश :- जहां मैंने तुम्हारे लिए बुका खरीदा ... (हां ) ... 
यश :- वहां किसी ने मेरा मोबाइल और वायलेट चुरा लिया ... 
पुजा :- मुझे मालूम है ... (कोई बात नहीं औऱ आ जाएंगे ... ) 
यश :- तुम्हें मालूम है ... (हां) 
और क्या मालूम है ... (कुछ नही ) 
फिर भी ... (कुछ नही ) 
नाराज़ हो ..( नहीं )
कुछ तो ...( नहीं) 
थोड़ा सा ... ( नहीं )
सच्ची ... (सच्ची ) 
धीरे धीरे ... स्क्रीन डार्क हो जाती है 
#सारस्वत