#
आख़िरी वक़्त था
कोई आ रहा था
कोई जा रहा था
'मगर ,
जिसे वह बुला रहा था
वह नदारद था
साँस अटकी थी आस में
मिलकर ही जाऊंगा
और वह ...
हठयोगी बन बैठा था
इस अंधे विश्वास में
मिलने ना जाऊंगा
तो ये भी ना जायेगा
जिन्दा रहेगा
एक ज़िद कर बैठा था
दूसरा रूठ कर बैठा था
सभी आ रहे थे मिलने
देख रही थी तमाशा
दरवाज़े पर खड़ी मौत
आख़री सांसों का
आख़िरी वक़्त था
कोई आ रहा था
कोई जा रहा था
#सारस्वत
31052016