मंगलवार, 28 जून 2016

#स्टोरीबोर्ड

भारत में #स्टोरीबोर्ड के बारे में शायद बहुत कम ही लोगों को पता होगा कमर्शियल आर्ट के क्षेत्र में तेज़ी से उभरता हुआ नाम है स्टोरीबोर्ड
हमारे देश में फिल्म के निर्माण के क्षेत्र में पिछले कुछ दशकों में रील के डिजिटल होने तक फिल्म के प्रोसिस में बहुत बड़ा बदलाव आया है
                    #रजनीश [पिंगलराज ] स्टोरीबोर्ड आर्टिस्ट

नयी नयी तकनीक दिन प्रति दिन आ रही हैं और ये भी सत्य है इन सुविधाओं के माध्यम से फिल्मांकन पहले की अपेक्षा बहुत सरल हो गया है ... जिस तरह से फिल्म के किसी सीन के शूट में स्पेशल इफ़ेक्ट [vfx] के लिए कंप्यूटर का उपयोग हो रहा है ... वैसे ही आज किसी भी फिल्म को बनाने में स्टोरीबोर्ड का बहुत बड़ा महत्व है #स्टोरीबोर्ड चित्रों की एक क्रमबद्ध श्रंखला होती है ... जिस से हमें शूटिंग की रूपरेखा समझने में आसानी होती है
किसी भी मूवी की शूटिंग से पूर्व  ...
उपरोक्त सीन के हर एक एंगल को चित्रित करके सब कुछ तय कर लिया जाता है कि ...
उस सीन के लिए कैमरे का एंगल क्या होगा ...
उसमें कब कब लॉन्ग शॉट होगा , कब कब क्लोज शॉट लिया जायेगा
कैमरामैन का कैमरा कब कहाँ से कहाँ कैसे मूव करेगा
#स्टोरीबोर्ड के द्वारा हम पहले से ही देख समझ सकते हैं  ... कौन सा सीन कैसा दिखाई देगा
कब कहाँ किस चीज़ की आवष्यकता है अथवा नहीं कभी कभी आर्टिष्ट की ड्रेश-कोड आदि का निर्णय भी #स्टोरीबोर्ड पर ही होता है
फिल्म निर्माण में #स्टोरीबोर्ड बनाना ज़रूरी है क्योंकि  ...
#स्टोरीबोर्ड के द्वारा हम शूटिंग से पूर्व ही कैमरामैन से लेकर प्रोडूसर तक को अच्छी तरह से बता समझा सकते हैं की  ...
मूवी के लिए निर्देशक ने किसी भी सीन को किस प्रकार से शूट करने का सोचा है
अगर उसमे कोई भी बदलाव करना हो तो  ...
वह  सभी बदलाव #स्टोरीबोर्ड पर कर लिया जाये  ...
वर्ना मूवी शूट होने के बाद में उसमें कोई फेरबदल करने मतलब होगा समय और पैसा दोनों की बरबादी

अतः मूवी शूट करने से पहले निर्देशक उसके हर सीन को एक #स्टोरीबोर्ड आर्टिस्ट के साथ में बैठ कर उसको मूवी के लिए महत्वपूर्ण सीन के सभी एंगल , कलर , लाइटिंग अादी सभी कुछ समझा देता है  ...
फिर #स्टोरीबोर्ड  आर्टिस्ट उसके हिसाब से एक-एक फ्रेम तैयार करके मूवी का #स्टोरीबोर्ड बना देता है
मूवी निर्माण के अगले चरण की शुरुवात ... निर्देशक की तरफ से #स्टोरीबोर्ड को मंज़ूरी मिल जाने के बाद ही होती है , सभी कुछ निश्चित हो जाने के बाद सैट-निर्देशक #स्टोरीबोर्ड के अनुसार सैट का निर्माण करता है ... जिसके बाद में  शूटिंग शुरू होती है
अब निर्देशक के द्वारा वह #स्टोरीबोर्ड कैमरामैन को दिया जाता है ... कैमरामैन #स्टोरीबोर्ड देख कर समझ जाता है की उसे कौन सा शॉट कैसे लेना है ... इस प्रकार से कैमरामैन ओर निर्देशक के बीच में फिल्म को लेकर अच्छी अंडरस्टेंडिंग हो जाती है जिससे काम काफी आसान हो जाता है
ऐसा नहीं है की फिल्म जगत में #स्टोरीबोर्ड का चलन हमेशा से रहा हो ... भारत में #स्टोरीबोर्ड का इतिहास बहुत पुराना नहीं है
मशहूर निर्देशक #सत्यजीत_रे जी अपनी सभी फिल्मों के #स्टोरीबोर्ड खुद बनाया करते थे लेकिन उस समय फिल्म मिडिया जगत स्टोरीबोर्ड को गंभीरता से नहीं लेता था ... #स्टोरीबोर्ड के बिना ही तब फ़िल्में बना ली जाती थी  ... लेकिन आज #स्टोरीबोर्ड फिल्म निर्माण का एक अभिन्न अंग है
#स्टोरीबोर्ड का उपयोग फीचर फिल्म, एनीमेशन, फोटोशूट, टेलीविज़न विज्ञापन इत्यादि फिल्म निर्माण के सभी क्षेत्रों में होता है लेकिन आजकल #स्टोरीबोर्ड का उपयोग सब से ज़्यादा विज्ञापन के लिए होता है
वैसे भी दुनियां में सबसे ज़्यादा शूटिंग विज्ञापन की ही होती है
आज किसी भी विज्ञापन की शूटिंग #स्टोरीबोर्ड के बिना लगभग असंभव सी ही है क्योंकी हर विज्ञापन से पहले उस ब्रांड की कंपनी से लेकर एजेंसी तक सब को यह देखना होता है निर्देशक उन के ब्रांड को ज़्यादा से ज़्यादा कैसे दिखा सकता है ... सेकंडों में उन्हें अपने ब्रांड को प्रमोट करना होता है  ... आर्टिस्ट के हावभाव स्पष्ट होने ज़रूरी हैं ... फ्रेम लोकेशन में रंग भी ब्रांड के अनुरूप होने चाहिए
जैसे डेटोल में हरे रंग का प्रभाव , कोलगेट विज्ञापन में ज़्यादातर लाल रंग का उपयोग इंटेल के लिए ब्लू कलर आदि ,  इसलिए विज्ञापन फिल्म का #स्टोरीबोर्ड बहुत ही प्रोफेशनल होना चाहिए
जब तक कंपनी स्टोरीबोर्ड के हर पहलु से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो जाती विज्ञापन का काम आगे बढ़ नहीं सकता

दुनियां में सब से ज़्यादा फ़िल्में बनने का गौरव हमारे देश भारत को ही प्राप्त है ,  एशिया में सबसे ज्यादा विज्ञापन भी भारत में ही बनते हैं ... कुछ पडोसी देश भी विज्ञापन बनाने और स्पेशल इफ़ेक्ट के लिए भारत में आते हैं यह सर्वविदित है इस प्रकार भारत तारीख में #स्टोरीबोर्ड आर्टिस्ट बहुत मांग है
इस हिसाब से भी #स्टोरीबोर्ड आर्टिस्ट के लिए भारत का बहुत बड़ा बाजार है
#सारस्वत
23062016

मंगलवार, 21 जून 2016

#
तस्वीर लिए हूँ हाथों में तकदीर ढूंढ रहा हूँ   
भारी मन है भावुक तन है तदबीर ढूंढ रहा हूँ     

जाने कितने दिन गुजरे हैं जाने कितनी  ... रातें  
पतझड़ के आँगन में अंबर सावन का ढूंढ रहा हूँ 
तस्वीर लिए हूँ हाथों में  ...

भीड़ में होकर भी भीड़ में खोकर भी ... इकला 
बन कर हिस्सा भीड़ का खुद को ढूंढ रहा हूँ 
तस्वीर लिए हूँ हाथों में  ...

अंदर अंदर उबल रहे हैं सुलगते कुछ  ... सवाल 
आधे अधूरे जीवन के हल मुश्किल ढूंढ रहा हूँ 
तस्वीर लिए हूँ हाथों में  ...

तन्द्रा ना टूटी नींद ना छूटी झूठी रूठी  ... सांसें 
स्वप्न सुनहरे जीवन में मृगतृष्णा ढूंढ रहा हूँ 
तस्वीर लिए हूँ हाथों में  ...
#सारस्वत 
21062016

रविवार, 12 जून 2016

#Spot_Boy ... a short story

#Spot_Boy 
a short story 
फिल्म इंडस्ट्री के किसी भी प्रोडक्शन हॉउस में  , 
स्पॉट बॉय सबसे निचले पायदान पर खड़ा वह व्यक्ति है  ...  
जिसके बिना प्रोडक्शन हॉउस की कल्पना अधूरी ही रहेगी  
अगर  ...
स्पॉटबॉय नहीं होगा
... तो  ...
सेलिब्रिटी के लिये
शीशा कौन पकड़ेगा , 
छतरी लेकर कौन खड़ा होगा , 
चाय पानी लाकर कौन देगा ,
स्पॉटबॉय नाम का जीव
नहीं होगा तो
उनके गुस्से को कौन हज़म करेगा
उनके नखरे कौन उठायेगा
सितारों की भीड़ में  ...
स्पॉटबॉय नहीं होगा तो
उनके सेलिब्रिटी होने का एहसास
उन्हें कौन करायेगा
लेकिन  ... किन्तु  ... परन्तु  ...
इस स्पॉटबॉय की भी इच्छाएं हैं , ख्वाइशें हैं   
उसने भी कभी सपने देखे थे  ..
सपनो के शहर में 
सितारों की भीड़ में
खुद को चमकता सितारा देखा था  ... 
आज वह स्पॉटबॉय
सितारों की उसी भीड़ में खड़ा होकर
अपने उसी सपने को
दूर से देखता है  ... 
धक्के खाता है ...
डांट गालियां सुनता है ... 
तो बस  ...
उन्हीं सैलिब्रिटी सितारों को 
करीब से देखने की चाहत में  ...
वह जानता है
सपनो के बिना उम्मीद का होना
उम्मीदों के बिना जीत का होना
लगभग नामुमकिन होता है
इसीलिए तमाम
मुश्किलों, अड़चनों, दिक्कतों
और समस्याओं के बीच भी
जोश व जज्बा पैदा करते हुए
स्पॉटबॉय अपने सपनों को जिन्दा रखता है
और ,
जब कोई सैलिब्रिटी सितारा ...
उसके साथ हसकर बोलता है  ...
उससे खुश होकर थैंक्स बोलता है 
तो  ... 
उसका सीना चौड़ा हो जाता है  ... 
वह अपना दुखदर्द सब भूल जाता है  ... 
स्पॉटबॉय फिर रात भर सो नहीं पाता  ... 
अगले दिन 
स्पॉटबॉय 
दुगने जोश के साथ
तैयार होता है
फिर से  ...
उन्ही ख्वाइशों के साथ में
सपनो के शहर में 
सैलिब्रिटी सितारों की
डांट गालियां सुनने के लिये 
#सारस्वत 
04052012

#SPOT_BOY ... a short story

#Spot_Boy 
a short story 
फिल्म इंडस्ट्री के किसी भी प्रोडक्शन हॉउस में  , 
स्पॉट बॉय सबसे निचले पायदान पर खड़ा वह व्यक्ति है  ...  
जिसके बिना प्रोडक्शन हॉउस की कल्पना अधूरी ही रहेगी  
अगर स्पॉटबॉय नहीं होगा तो  ...
सेलिब्रिटी के लिये शीशा कौन पकड़ेगा , 
छतरी लेकर कौन खड़ा होगा , 
उन्हें चाय पानी कोई लेकर देगा , 
सितारों की भीड़ में  ...
उनके सेलिब्रिटी होने का एहसास कौन करायेगा
लेकिन किन्तु परन्तु  ...
इस स्पॉटबॉय की भी इच्छाएं हैं , ख्वाइशें हैं   
उसने भी कभी सपने देखे थे  .. 
सितारों की भीड़ में खुद को चमकता सितारा देखा था  ... 
आज वह उस सपने को दूर से देखता है  ... 
धक्के खाता है ... डांट गलियां सुनता है ... 
तो बस उन्हीं सैलिब्रिटी सितारों को 
करीब से देखने की चाहत में  ... 
और ,
जब कोई सैलिब्रिटी सितारा ...
उसके साथ हसकर बोलता है  ...
उससे खुश होकर थैंक्स बोलता है 
तो  ... 
उसका सीना चौड़ा हो जाता है  ... 
वह अपना दुखदर्द सब भूल जाता है  ... 
स्पॉटबॉय फिर रात भर सो नहीं पाता  ... 
अगले दिन 
स्पॉटबॉय 
दुगने जोश के साथ तैयार होता है 
सैलिब्रिटी सितारों की डांट गलियां सुनने के लिये 
#सारस्वत 
04052012