शुक्रवार, 6 अक्तूबर 2023

अपनों से अलग







 

खुद से मिलोगे ,तो ना जानोगे कितने हो अलग 

अपनों से अलग और भीड़ में भी अलग थलग 

रुआब के रुआब में तू , इतना भी मत उलझ 

ऐसेतो हिसाब देने में ,बिखर जायेगा सो अलग 

ये जो गुमान है ना , खुद ही में खुद के होने का 

घमंड से कमतर , कहीं कुछ भी नहीं है अलग 

श्याणपत्ति को समझदारी नहीं ,धूर्तता कहते हैं 

चुप रहता है समाज , लानतें ईनाम देती है अलग 

अमल बढ़ जाये तो अम्लपित्त मुँह से टपकता है 

दंभ गगनचुम्बी हो तो ,बेशर्मी टपकती है अलग 

बहुत सोचा मैंने , रिश्ते तुझसे बरकरार रक्खूँ 

सुधार के पार निकल गए हो तो ,रहो तुम अलग 

सवालों के जवाब तो , देने पड़ेंगे यारा तुझको भी 

यहां पर ना सही ' वहां सही , वो बात है अलग 

#सारस्वत 07102023