गुरुवार, 26 जून 2014

कौन है तू












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दिन नहीं ,
दिन का उजाला नहीं
रात क्या ,
रात का अँधेरा भी नहीं
लू नहीं , धुप नहीं ,
गम ख़ुशी की छाया भी नही
साथ चलता है ,
नजर आता भी नहीं
कौन है तू ,
तू तो मेरा साया भी नहीं
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मैं ..
अपना हूँ पराया नहीं
तुने  ..
मुझे कमाया नहीं
मैं  ..
हवा नहीं पानी नहीं
समय नहीं , साया नहीं
जमीं नहीं , आसमां नहीं
जिस्म नहीं , काया नहीं
जिंदगी है तू ,
और मौत हूँ मैं ..
मुझ सा रिश्ता तो यहाँ ..
किसी ने निभाया भी नहीं
#सारस्वत
20072013



बुधवार, 25 जून 2014

जिधर देखो उधर धर्म के ठेकेदार कई बैठे हैं












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जिधर देखो उधर , धर्म के ठेकेदार कई बैठे हैं
हर मोहल्ले में , धर्म के दुकानदार कई बैठे हैं

सोचता हूँ मैं भी , धर्माधिकारी बन जाऊँ
पकौड़ी प्रसाद में दूँ , पर्स खाली करवाऊं
अच्छा धंधा है , चुटकी राख अगरबत्ती का
गली गली में , परोपकारी व्योपार लिए बैठे हैं
जिधर देखो उधर , धर्म के  …
दान दक्षिणा से , टपकेगा नूर मुझ में भी
कर दूंगा प्रचार , हूँ चमत्कार खुद में ही
चमकेगा सितारा , फ़क़ीरी का अपना भी
आँख के अंधे , पढे लिखे बीमार कई बैठे हैं
जिधर देखो उधर , धर्म के  …
नये तजुर्बों की , क़िस्मत लिखवाता रहूँगा
जब तक जीऊँगा , बाबाजी बन कर रहूँगा
मरने के बाद तो , कीर्तिमान बन ही जाऊँगा
कलयुग में कई , भगवान यूँ ही बने बैठे हैं
जिधर देखो उधर , धर्म के  …
#सारस्वत
25062014 

शनिवार, 14 जून 2014

एक मैं हूँ , एक तुम हो



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एक मैं हूँ ,   के   मैं   मैं   ना   रहा
एक तुम हो , जो रही तुम ही रही
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एक मैं हूँ , जो खुद को भूल बैठा हूँ
एक तुम हो , जिसे जरा भी याद नहीं
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एक मैं हूँ , वादे वफ़ा में जीता रहा
एक तुम हो ,के' वफ़ा का पता ही नहीं
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एक मैं हूँ ,जो' तुमसे जुदा हो ना सका
एक तुम हो , दिलसे कभी मिले ही नहीं
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एक मैं जिससे , तुम ही मिलने वाले थे
एक तुम हो ,  बिछुड़े फिर मिले ही नहीं
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एक मैं हूँ , किया ना कभी सवाल कोई
एक तुम हो , तुम्हारा तो जवाब ही नहीं
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एक मैं हूँ ,के' बाकी ना रहा कुछ भी
एक तुम हो , सब कुछ तुम ही रही
#सारस्वत
14062014 

गुरुवार, 12 जून 2014

प्यास बहुत है अंतर्मन में



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प्यास बहुत है अंतर्मन में
तृप्ति की इच्छा सागरमन में

व्याकुल मन है प्रेम मार्ग पर
तरल व्यथा कथा हृदयतल में

स्व्प्न पंखुरी झर मुरझऐ
मृगतृष्णाई मरुथल में

पीड़ा के राग बहुत हैं
स्मृतियों के उपवन में

आशाओं की अंजुरी भरलो
विश्वाश के अरुणांचल में
#सारस्वत
23022014 

गुरुवार, 5 जून 2014

" पर्यावरण -:- दिवस -:- विशेष "


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जल से खेल रहा है मानव
पल से खेल रहा है मानव 
धन लिप्सा में दानव मानव
कल से खेल रहा है मानव
जल से ....
मौसम ने हुंकार भरी है
कुदरत की ये मार बड़ी है
हरियाली पे थोक के पत्थर
छल से खेल रहा है मानव
जल से ....
नही देख रहा सुखी जल धरा
काट काठ किया बंजर सारा
प्यासी धरती बिलख रही है
तल से खेल रहा है मानव
जल से ....
जन गण मन से आवाहन है
जल जीवन का सम्बोधन है
जल जीवन का प्राणाहल है
हल से खेल रहा है मानव
जल से ....
#सारस्वत
20 06 2010

बुधवार, 4 जून 2014

मत पूछो किधर जा रहा हूँ मैं










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मत पूछो किधर जा रहा हूँ मैं
देश तरक्की कर रहा है इन दिनों
सच बोलूँगा तो कहोगे आँख में ऊँगली डाल दी
इसीलिए मुँह को ताला लगा लिया है इन दिनों
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छुप के मिलना सच्चा लगता है
घर से भागना अच्छा लगता है
इज्जत की जरूरत नहीं रही जिंदगी में
प्यार का फ़ितूर अच्छा लगता है इन दिनों
मत पूछो किधर जा रहा हूँ मैं
देश तरक्की कर रहा है इन दिनों
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फिल्मों के किसिंग सीन क्लिक करते हैं
बिस्तर के गरम सीन अच्छे लगते हैं
घर में सभी शौंक से देखते हैं साथ बैठ कर
शर्मोहया का पर्दा खुद शरमा रहा है इन दिनों
मत पूछो किधर जा रहा हूँ मैं
देश तरक्की कर रहा है इन दिनों
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तड़का आइटम सोंग का लग रहा है
भारत सैक्सी इंडिया बनता जा रहा है
अंडरवियर पहन कर दिखाओ या चॉकलेट खिलाओ
परफ्यूम लगाकर लड़की को पटाया जा रहा है इन दिनों
मत पूछो किधर जा रहा हूँ मैं
देश तरक्की कर रहा है इन दिनों
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सबसे हॉट की खबर बनती है
भैंस चौरी ब्रेकिंग न्यूज़ चलती है
देश का चौथ स्तम्भ क्रन्तिकारी जिम्मेदारी निभा रहा है
प्रदर्शन अंग प्रदर्शन लाइव टेलीकास्ट चल रहा है इन दिनों
मत पूछो किधर जा रहा हूँ मैं
देश तरक्की कर रहा है इन दिनों

#सारस्वत
04062014