शनिवार, 25 जनवरी 2014

नेता


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कुर्सी के प्यारे नेता हैं ,
यंहा नेता को प्यारे नकारे 
जनता घुन बन कर पिसती है ,
रंग बदलती सरकारे 
कुर्सी के प्यारे नेता हैं  …
सब की जीब चटोरी है ,
कुर्सी के बटवारे में
नेता को कुर्सी प्यारी है ,
सत्ता के गलियारों में 
कुर्सी के प्यारे नेता हैं  …
खादी के मुंह में हड्डी है ,
नही कोई यंहा फिसड्डी 
सब लंगड़ी में अब्बल है ,
खादी की कबड्डी में 
कुर्सी के प्यारे नेता हैं  …
देश धर्म को भुला दिया ,
झंडे के लम्बरदारों ने 
जनता को रोना सिख दिया ,
सत्ता के नाकारों ने 
कुर्सी के प्यारे नेता हैं  …
# सारस्वत
26012014
                                                                                        26012014

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