गुरुवार, 23 जनवरी 2014

तलाश'ऐ,मोहब्बत


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हसी ,
आती है ,
उसकी ,
तलाश'ऐ,मोहब्बत पे।

मुझको ,
ठुकरा के ,
वो ,
मुझी सा ढुंडती है।।

ऐसे ,
भटक रही है ,
प्रेम चन्दन गलियों में।

जैसे ,
कोई दीवानी ,
कस्तुरी को ढुंडती है।।

#सारस्वत
24012014

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