जिंदगी का हिसाब मेरी शायरी
सोमवार, 20 जनवरी 2014
अरमान
#
इतना सा है अरमान के ,
तुम प्यार ना करो
रूठ कर करो एहसान ,
मुस्कुराया ना करो
धोखों में जीने की तमन्ना ,
अब बाकी नही रही
हसकर ना करो फरेब ,
जानोमाल जाया ना करो
#सारस्वत
21012014
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें