जिंदगी का हिसाब मेरी शायरी
शुक्रवार, 9 अगस्त 2019
जलधारा ... प्रियतम ... मिलन ...
#
पहले
चंचल उच्छल
जलधारा सी बहती थी
‼️
प्रियतम
मिलन की आस लिए
अविरल चलती रहती थी
‼️
इठलाती थी
जो बलखाती थी
मन उसका यूँ तृप्त हुआ
‼️
व्यक्त हुआ
जब मेल हुआ
और सरिता सागर हो गई
‼️
#सारस्वत
10082019
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