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आज फिर से लहराया है...
उसने;
पर्दों को, दरवाजे पर ‼
पर्दों को, दरवाजे पर ‼
चश्में चिरागों से, रोशन होंगी...
खिड़कियाँ;
आज फिर... देर रात तक ‼
खिड़कियाँ;
आज फिर... देर रात तक ‼
और ;
कोई होगा,
... जो ...
दूर से देखकर, करेगा एहसास ‼
... जो ...
दूर से देखकर, करेगा एहसास ‼
ओम के,
प्रकाश के गुंजन की, थिरकन को ‼
#सारस्वत
31072019
31072019
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