शुक्रवार, 1 सितंबर 2017

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मिलना किसी रोज़  ... 
मिलना तुम , ऐ जिंदगी फुर्सत के साथ में 
देखना !!
क्यों नहीं मिलती , मोहलत जिम्मेदारी के साथ में 
प्यासे को पानी  ... 
खुद पीना पड़ता है , बस  इतना समझ लो 
निवाला !!
तलक नहीं जाता , खुद चल कर  मूंह के पास में 
मिलते तो हैं  ...
इस दुनियां के लोग , चाहे मतलब से मिलते हैं 
वैसे !!
वक्त ही कहाँ मिलता है , यहाँ कभी वक्त के साथ में 
आसान तो यहाँ पर  ...
कुछ भी नहीं है , जिंदगी जीने के वास्ते 
जीतकर !!
हारा हूँ रोज़ , झूठसच की लड़ाई में बड़ाई के साथ में 
#सारस्वत 
01092017

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