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गुजरे जब शाम शहर में , तो ख्याल जरूरी है
उतरे जब शाम ऐ असर , तो ख्याल जरूरी है
वक्त का लौट के आना , यादों की उधारी है
हो वक्त को वापस लाना , तो ख्याल जरूरी है
मौसम की हर एक बारिश , का हिसाब जरूरी है
जब लम्हे करे ये गुजारिश , तो ख्याल जरूरी है
हसरत को जिन्दा कर लो , गहरी सी खुमारी है
ख्वाइश की कमीं मकानों में , तो ख्याल जरूरी है
आखों में इश्क का काजल , दिल की बिमारी है
हो शामेगजल की महफ़िल , तो ख्याल जरूरी है
#सारस्वत
30042014
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