शुक्रवार, 2 मई 2014

"नाक में दम कर रक्खा है मजदूर ने"

#
जीवन की सच्चाई यही है 
मजदूर को हर कोई मजदूर समझता है 

बस , 

हाड़मास का पुतला समझता है 
इस से ज्यादा कुछ नहीं समझता है 
बराबर से 
उसके ऐसे गुजरा जाता है 
जैसे , 
मशीन के पास से निकला जाता है 
संवेदनाये खत्म हो गई आज 
इंसान की इंसान के प्रति 

जिसे , 
कुंठा का शिकार बना दिया समाज ने 
ऐसे में , 

अब नाक में दम करने वाला ही लगेगा 
जो दुनिया के आगे 

झुका हुआ खड़ा है सदियों से 
गुलाम तो नही है फिर भी 
गुलामी ने जकड़ा हुआ है , जिसे 
अछूत नही है लेकिन 
अछूत समझता है सभ्य समाज , जिसे 
वो मजदूर है , 
जो आज भी 
ऊँचे लोगो को भगवान की तरह देखता है 
दानापानी के लिए उनके चक्कर लगता है 
अपनी ही मजदूरी जिसे 

कभी समय पर नही मिलती 
जिसे 

सभी नाक में नकेल दाल कर रखना चाहते हैं 
वही मजदूर 
अगर बात का जवाब देता है तो 
कहा जाता है 
नाक में दम कर रक्खा है मजदूर ने 
#सारस्वत

02052014

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें