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दिन प्रतिदिन दिन नया होता है
छण प्रतिछण छण नया होता है
दिन प्रतिदिन ...
चक्रसुदर्शन सा जनन रचना चक्र
पल प्रतिपल आयाम नया छूता है
प्रभात की किरणें उमंगे लहरें तरंगें
उदभव होती हैं तो मनमयूर होता है
दिन प्रतिदिन ...
रूचि सुरुचि प्रज्ञा सृजन ज्ञानतंत्र
मनभावन स्वरसंगम नया होता है
चित्त चितवन में मनन मंथन में
प्रजनन उत्सर्जन उद्गम नया होता है
दिन प्रतिदिन ...
अंश से वंश तक धरा से गगन तक
पुरातन कोई जाता है नूतन कोई नया आता है
युगों युगों से जन्मोजन्म तक चलायमान
प्रकृति का प्रकति से संवाद यही होता है
दिन प्रतिदिन ...
दिन नया होता है
दिन प्रतिदिन ...
दिन नया होता है
#सारस्वत
01012017
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