शुक्रवार, 15 जनवरी 2016

तेरे हर लव्ज़ को ...


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तेरे हर लव्ज़ को दर्द में डूबा हुआ देखा है
फिर भी हमने तुझ को हस्ता हुआ देखा है
तेरे हर लव्ज़ को  ...

अंदाज़े से चल रहा है जिंदगी का सफ़र
दूर तलक कोई कहीं आता नहीं नज़र
बस खामोशी तुझको हमने जी भर देखा है
तेरे हर लव्ज़ को  ...

किस तरहा सजाऊं तुझे बुलाऊँ सपनों में
गुनगुनाहट है ख़ामोशी लिये वीरानों में
नींद के दरवाजे पे लगा पैहरा हमने देखा है
तेरे हर लव्ज़ को  ...

समंदर से गैहरी तेरी ईन भीगी पलकों से
निकले अरमान कई बिखरे सांसों में पलके
जब भी छलका काजल रंग सुनहरा देखा है
तेरे हर लव्ज़ को  ...

अब भी बाकी हैं निशानियाँ वीरानियों की
रिस्ते एहसास टूटते छूटते आशियानों की
मासुम खुशियों को हमने फिसलते देखा है
फिर भी हमने तुझको ...
#सारस्वत
09012014

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