जिंदगी का हिसाब मेरी शायरी
शुक्रवार, 31 जनवरी 2025
मृत्युलोक में जीवनयात्रा
शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2023
अपनों से अलग
खुद से मिलोगे ,तो ना जानोगे कितने हो अलग
अपनों से अलग और भीड़ में भी अलग थलग
रुआब के रुआब में तू , इतना भी मत उलझ
ऐसेतो हिसाब देने में ,बिखर जायेगा सो अलग
ये जो गुमान है ना , खुद ही में खुद के होने का
घमंड से कमतर , कहीं कुछ भी नहीं है अलग
श्याणपत्ति को समझदारी नहीं ,धूर्तता कहते हैं
चुप रहता है समाज , लानतें ईनाम देती है अलग
अमल बढ़ जाये तो अम्लपित्त मुँह से टपकता है
दंभ गगनचुम्बी हो तो ,बेशर्मी टपकती है अलग
बहुत सोचा मैंने , रिश्ते तुझसे बरकरार रक्खूँ
सुधार के पार निकल गए हो तो ,रहो तुम अलग
सवालों के जवाब तो , देने पड़ेंगे यारा तुझको भी
यहां पर ना सही ' वहां सही , वो बात है अलग
#सारस्वत 07102023
मंगलवार, 5 सितंबर 2023
लिया है जन्म मृत्युलोक पर , तो देहावसान भी निश्चित है
जीवन शाश्वत अटल मृत्यु ही , जीवन का अंतिम सत्य है
धर्म विरुद्ध होकरके भी यहां , पाई तो जा सकती है मृत्यु
संस्कार हीन संस्कृति विहीन , दशमुखी के होते अनुगत हैं
सनातन को समाप्त करने की , हो रही हैं घोषणाएं वर्तमान में
यात्रा भारत जोड़ो करने वाले , बन मूक बधिर हुए सहमत हैं
विस्म्त नहीं हूं बिंदु गठबंदन के , कुरूप लच्छनों को देख कर
लज्जित हूं अपने हिन्दू भाइयों से , जो इन कालनेमियों के समर्थक हैं
#सारस्वत 05092023
बुधवार, 23 अगस्त 2023
पृथ्वीजन्य शशिभूमि विक्रम योद्धा पदार्पणम
जंबुद्वीपे व्रतखंडे भारतवर्षे चंद्रयान प्रेक्षपातिके
शुद्ध व्योम लक्ष्य जागृते सिद्ध चंद्रकला साधिके
संघर्मण तिक्षणाग्नि संघर्षिते घोष लोम भयंकरे
आवर्ते निर्रावरते निर्रनिर्विघ्नम अनावृते निरंतरे
शोर्यकर्म सोमनाथ विरानुथुवेल श्रीकांत संकरन
नारायण रामकृष्णा कल्पना विनिथा उन्नीकृष्णन
पृथ्वीजन्य शशिभूमि विक्रम योद्धा पदार्पणम
श्रवण अधिमासे सप्तमी आनंदनम अलिंग्नम
उत्कीर्ण दिनेवासरे अवतरेण ज्योत्सना कलानिधि
शोध साध्य सुत्रपात प्रज्ञान अविकल्पम चतुर्दशी
परिक्षण्म विविध प्रपादिते त्वमेव स्वमेव विलक्षण्म
वंदंम अभिनंदनम अहोभाग्य सुखम दिग्दर्शनम
#सारस्वत 24082023
रविवार, 30 जुलाई 2023
आखिरी लम्हों में ...
अहदे करार से बढ़ के , मगरूर सहूर डेरे थे
परिंदो के से उड़ते थे , पतंगो के जैसे मचलते थे
उमर बदली खिलोनो की ,इश्के शरूर चफेरे थे
करतब करतूत तेरे किये ,दस्तावेज़ी सबूत बने
मुस्तकबिल बन गए तेरे है , करमों के जो फेरे थे
दराजे उम्र हुआ तो अब ,याद करता है रब को
गाफिल नज़रों का रुतबा , मकामें फितूर ज़ेरे थे
माफ़ी के ना कालम हैं ,मोहलत के ना दिन बाकि
जाते हुए आखिरी लम्हें हैं , गए दिन जोभी तेरे थे
चल उसको याद करले अब , जो सबका महेश्वर है
रामेश्वर राम के नमामि प्रभु ,रामेई राम भी तेरे थे
#सारस्वत 30072023