बुधवार, 5 फ़रवरी 2014

आया ऋतु बसंत

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प्रेम पथ पर प्रेम वंदन
प्रेम रस ऋतु बसंत
प्रेम का श्रंगार करके
आया ऋतु बसंत
















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परिणय घटा लेके आई
सूर्य की सुरमई किरण
बहने लगी मद्धम मद्धम
मौसम की सुनहरी पवन
प्रेम का श्रंगार करके
आया ऋतु बसंत
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धानी चुनरी सरसों लाई
फूल कलियाँ खिलखिलाई
खिल उठे बौर अंबुवा
छाई मंजरी की सुगँध
प्रेम का श्रंगार करके
आया ऋतु बसंत
*
पक्षियों का मुक्त विचरण
रसभरी कोयल का गुँजन
भवरों का प्रियसी मिलन
मन मयूर उल्लास उमंग
प्रेम का श्रंगार करके
आया ऋतु बसंत
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कजरारे नयनों का दर्पण
अधरों पर योवन का चुंबन
गजरा कजरा लेके आया
निखरा रूप अन्नत
प्रेम का श्रंगार करके
आया ऋतु बसंत
#सारस्वत
05022014

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