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पहली नज़र जिसके घायल है हम ' वो , पहली हसी जिस पे मर गये हम
जिसका ज़िकर मगरूर दिल ने किया ... वही ..वही ..वही ... वही ... तुम मेरे हो
तुम मेरे हो ......... तुम ही तुम मेरे हो , वही .........तुम .... मेरे हो
वो दिलकश नज़ारा नहीं भूलता , हुआ जब दीवाना मैं पहली दफा
जबसे देखा तुम्हें है दिल कह रहा ... या..या..या..रा ... तुम मेरे हो
तुम मेरे हो ......... तुम ही तुम मेरे हो , वही .........तुम .... मेरे हो
करता हूँ मैं रोज़ ... पीछा तेरा ... मुकम्मल मुलाकात होती नहीं
सिलजाते हैं लब तुमको देखकर ... कभी कोई बात अपनी होती नहीं
अरमां था कल तक मिलने का ,
घर अब बसाने की चाहत है
चाहत से ज्यादा खवाइश नहीं , खवाइश से बढ़कर कुछ भी नहीं
जिसके लिये दिल में अरमाँ जगे ....... वही .. वही .. वही .. वही... तुम मेरे हो
तुम मेरे हो ......... तुम ही तुम मेरे हो , वही .........तुम .... मेरे हो
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मैं आधा अधुरा सा अल्फाज़ था , तुमसे जुड़ा तो गज़ल बन गया
हँसना तेरा वो पलटना तेरा , नज़र की नज़र का शगल बन गया
बचकर निकलता था जो रास्ते
निकलने लगा हूँ उसी राह से
मुझ मे बसी ... तू ,तुझमे हू ... मै , जन्मों जनम का नाता है ये
करता है दिल बातें अक्सर जिसकी ... वही .. वही .. वही .. वही ... तुम मेरे हो
तुम मेरे हो ......... तुम ही तुम मेरे हो , वही .........तुम .... मेरे हो
#सारस्वत
06022017
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