
बचपन था हम छोटे थे
मनके सच्चे हम बच्चे होते थे
तब भीड़ बड़ी सारी होती थी
जब मंदिर दर्शन को जाते थे
हम बच्चे छोटे से होते थे
घुटनों तक पिताजी के आते थे
चढ़ पिता के कंधों पर ,तब'
देव दर्शन हम करते थे
वो भुलाबिसरा बचपन का पल
नहीं किंचित भी तब भान हुआ
किन कन्धों पर हम होते थे
जब जयकारे हम करते थे
वही ईश्वर थे , परमेश्वर थे
चढ़ जिन कंधों पर
देव दर्शन हम करते थे
वही परमेश्वर थे जिन कंधों पर
हम बैठ के दर्शन करते थे
धरती के साक्षात महादेव
पिता को समर्पित
हरहरमहादेव
#सारस्वत 06022020
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