रविवार, 12 जुलाई 2015

बारिश के मौसम में




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मैंने पूछा गगन से आज दिन नहीं निकला 
वो हसकर बोला बस उजाला नहीं निकला 

लगता है मौसम आज बारिश का देख कर 
भीगने के डर से सूरज घर से नहीं निकला  

मुंह चिड़ाने लगे मेरा रस्सी पर लटके कपड़े 
जब छतरी को लेकर मैं आँगन में निकला 

गली में देखा छोटे बच्चे चिल्लाये जा रहे थे 
कागज़ की नाँव का देखो मौसम आ निकला

कच्ची दीवारों में फिर आकर बैठ गया है डर 
जबसे सुना है बादल फिर पानी लेकर निकला 

पहली बारिश में ही समुन्दर बन गया है शहर 
कश्तियाँ उतारो सड़क पर है रस्ता नया निकला 
#सारस्वत 
12072015 

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