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ब्रह्माण्ड का स्वर ॐ है
आदि अनादि ॐ ही ॐ है
ॐ प्रकृति है ॐ संस्कृति है
चेतन अवचेतन ॐ ही ॐ है
ॐ जल है ॐ तल है
ॐ पवन है ॐ गगन है
जीव का जी ॐ सजीव निर्जीव है
सर्वत्र प्रभामंड़ल में ॐ ही ॐ है
ॐ चिंतन है मनन है मंथन है
ॐ किर्या है कारक है परिवर्तन है
नव सृजन का घर्षण समर्थन है
ॐ के सम्बोधन में ॐ ही ॐ है
ॐ साक्ष्य है शिक्षा है समीक्षा है
ॐ पुण्य है परीक्षा है प्रतीक्षा है
धैर्य है धर्म है कीर्तन का मर्म है
सर्वज्ञ सत्य की दीक्षा ॐ ही ॐ है
ॐ सुर है स्वर है ध्वनि है
ॐ खरल है गरल है अग्नि है
यज्ञ के उच्च में जग समुच्चय में
भस्म में वर्तनी में ॐ ही ॐ है
कालखण्ड का काल ॐ है
पतित पावन नटराजन ॐ हैं
कणकण में अणु परमाणु में
सर्वकालिक अनन्तनाद ॐ ही ॐ है
23052014
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