शनिवार, 28 जनवरी 2017

तुम याद आये ...

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जब भी तन्हाई को चाहा  ... तुम याद आये
कदम जिसभी तरफ बढ़ाया , तुम याद आये
सुने दिल की ख़ातिर  ... सुनेपन में
गुनगुनाना कुछ भी चाहा , तुम याद आये
*
तुमने भुला दिया होगा , अक्सर सोचता हूँ
हमने जब भी भुलाया  ... तुम याद आये
सारे वादे तेरे ,  हर एक इरादे की कसम
हमने ऐसे निभाया के , तुम याद आये
*
इश्क करते हुए 'इश्क,  ने सोचा ना कभी
दिल के हाथों यूँ लूटा , के तुम याद आये
अब छुपाता हूँ , कभी खुद से 'कभी, तुझसे
है धूप के बाद का सफर  औ' तुम याद आये
*
जब भी आये चलके  , छलके मचलके आंसूं
धड़कना भूल गई धड़कने , तुम याद आये
मेरे घर का 'पता, मुझ को भी  ...  तो बता दो
रहता हूँ जिस गैर के दिल में , तुम याद आये
#सारस्वत
28012017 

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