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कुछ कह रहा हूँ तुमसे ... सुनो बस यूँ ही
पलकों की ओढनी से , वो मुस्कुराई दी यूँही
समय रुक सा गया , नैनो में उलझ कर के
रुको !! जरा सा तुमभी ठहरो कुछ देर यूँ ही
एक तुम्हारे दम पर ही , जीता हूँ हमदम
ना होती तो , हार जाता सब कुछ यूँ ही
सुनो जब जब कहता हूँ ... सुना है कुछ
बोलता है डर अंदर का , तब तब यूँही
खुद से अकेले में ... कुछ भी तो नहीं हूँ
खुद से अकेले में ... कुछ भी तो नहीं हूँ
अकेला एक मैं नहीं , तुम भी हो यूँ ही
आस उम्मीद ... अपनेपन का एहसास
लौ विश्वास की , जलती रहती है यूँ ही
लौ विश्वास की , जलती रहती है यूँ ही
समझ रही हो ना ... क्या कुछ कह रहा हूँ
अभी पूछा भी ना था , वो मुस्कुराई दी यूँही
#सारस्वत
13062018
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