शुक्रवार, 20 जुलाई 2018

कारवां ...


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बगैर मेरे भी चलता रहेगा ज़माने का कारवां 
रुक गया  तो गया समझो उड़ा देगा कारवां 

हिस्सा हूँ  भीड़ का इसी भीड़ में खो जाऊंगा 
रौंद डालेंगे अपने करीबी लश्कर है कारवां 

मुड़कर देखने का रिवाज़ नहीं है दुनियां का 
निशाने पर  हम तुम सभी मज़हब है कारवां 

यक़ीन भरोसा एतबार लब्ज़ बेमानी हो गए 
मतलबों की दुनिया ये प्यारे मतलबी है कारवां 

वक्त की जद में है सब बस इतना समझले 
बाद मेरे भी चलता रहेगा ज़माने का कारवां 
#सारस्वत
20072018 

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