मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

भीगे हुए खत ...

तुम्हें ...
रुकने को किसने कहा है
मैने तो नहीं ...
चलते रहो चलते चलो
ख्यालो के साथ में
सवालों के साथ में
जब तलक
मिल ना जाये जवाब
या फिर मैं !!!
रुकना नहीं कहीं
अटकना नहीं
विचारों का सरोवर गहरा है
तुम्हारे बिना भेजे
खत़ की तरहा !!!
कभी पढ़ कर देखो
पलकों से गिरी
बूंदों की तड़प को
महसूस कर सको तो ...
कभी ,
कंकर ही फैंक कर देखो
मन के सरोवर में
मिल जाएंगे मसले हुए जवाब
तुम्हें ...
भीगे हुए खतों में ही कहीं !!!
#सारस्वत 01042020

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