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भाव को जीवट रखिये स्वभाव को जीवित रखिये
मृदंग की टंकार में भी धनुर्भाव को जीवित रखिये
लक्षित रहे मन एकाग्रता रक्षित हो धर्म संस्कृति
संरक्षित रहें उत्कीर्णे हृत्पिंडताव को जीवित रखिये
स्वच्छता शुंडी शुद्धता संग सुचिता सिद्धि समग्रता
पुण्यता पवित्रता गर्वित समभाव को जीवित रखिये
जीवन यात्रा है सरल तरल गरल जलधारा के जैसी
प्रण प्राण जीव आत्मा में मनुर्भाव को जीवित रखिये
शिष्टता की महत्ता एवम विशिटता की समग्रता
मेघाशक्ति जागृति शतशक्तिभाव को जीवित रखिये
कर रहा छल का नीरद कालानाग द्रव्यपीप की हुंकार
जन एकता अखंडता के प्रादुर्भाव को जीवित रखिये
कूटकपट गुप्तदल वर्तमान में संलिप्त हैं षड्यंत्र में
पट नयन बिंदु खोल कर राष्ट्रभाव को जीवित रखिये
#सारस्वत
16042020
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