जिंदगी का हिसाब मेरी शायरी
बुधवार, 23 अप्रैल 2014
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जिंदगी तुझ को कभी तो
खुद को जीना चाहिये
उम्र हो गई ढोते ढोते
अब करवट बदलनी चाहिए
देखले आईने में दोदो सूरतें
दिखलाई देने लगी हैं
एक मेरी मुफ्लसी है दूसरी
तेरी ख़ुशी होनी चाहिए
#सारस्वत
23042014
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