सोमवार, 29 जून 2015

माया शक्ति स्वरूपा है



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ब्रह्म सत्यम जगत्‌ मिथ्यम

माया शक्ति स्वरूपा है श्रेष्ठ है
माया जाग्रत अवस्था का स्वप्न है
जीवन एक पर्दा है कठपूतली खेल का 
मानव खिलौना बुद्धि के जाल में कैद है
किर्या की किर्या काया की प्रतिकिर्या है  
संज्ञा की संज्ञा महामाई माया की जाया है 
माया के प्रीत द्वेष अंकुरित पुष्प होते हैं 
माया त्रिया से पुष्प सुगंध गतिशील होते हैं 
मृत्युलोक में माया का तेज अविद्या है
माया का अर्थ शक शंका और चतुराई है
माया की शक्ति है स्वार्थ की धूर्तचाल 
माया की माया में विलक्षण जादूगरी है
माया पारद है विशारद है सबरंगी पदार्थ है 
रूप के विपरीत रूप दिखाने में शक्षम है 
भ्रम के रूप में कभी मतिभ्रम की धुप में 
माया का अभाव मिथ्या है भाव व्यापक है
शक्ति से विलग शिव भी शव के समान है
शिवशक्ति ऊर्जा का चतुर्भुजी स्वरूप है  
यही ध्यान के ज्ञान का विज्ञानं है 
जीवन के लिये अमृत समान है
सादर वंदन
#सारस्वत
25062015 

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