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मत पूछ बाद मुक्ति के मन मुक्त तन किधर जायेगा
पांच तत्वों की निर्जीव देह को पुनः पंचतत्व मिल जायेगा
सनातनी के प्रारब्ध में शुभ होती है शमशान की यात्रा
म्रत शरीर पूर्णाहुति स्वरूप अग्नि को समर्पित हो जायेगा
मृत्यु लोक में जीवन सुधा की संध्या आरती है मोक्ष
नश्वर आत्मा को प्राण प्रिय नव तन पर्ण मिल जायेगा
प्रथम चरित्र की समीक्षा तदेन कर्मों की गणना होगी
क्रमानुसार अंकुरित जीव को नवजीवन उपलब्ध हो जायेगा
जीवनचक्र विखंडन सृजन की परिक्रमा का ही नाम है
जन्मोंजन्म श्रंखलाबद्ध अनुबंदित शुद्धकमल खिल जायेगा
सादर वंदन
#सारस्वत
24062015
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